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ajaykumarjabdoli4140
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aazad parinda

आज लिखेंगे हम कल

shayar.com

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aazad parinda

White तन्हाइयों में है जिंदगी, सो तन्हा गुजार रहे है हम
रहा होगा कोई कर्ज किसी का सो उतार रहे है हम
और सहसा इल्म नही चाहिए लोगो को मेरी मुफलिसी का
सो रफ्ता रफ्ता नकाब बे रूखी का उतार रहे है हम
By...... शायर गुमनाम   09082024

©aazad parinda
  #Sad_shayri
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aazad parinda

White की
पत्थर तोड़ कर, पथ बना रहे है।
कभी ना रुके ऐसा, रथ  बना रहे है।
होंगे भीम की गर्जना के कायल सब
जैसे जैसे बहुजन, को समर्थ बना रहे है.....(1)
बगावत नही बदलाव की रेखा बना रहे है
कोई ऊपर नीचे नही,सबको एक जैसा बना रहे है
और जैसी रची थी ईश्वर ने ये दुनिया कभी
हमसब मिलकर इसको वापस, वैसा बना रहे है
जैसे जैसे बहुजन, को समर्थ बना रहे है.....(2)
200 नही साल 200 से कम बता रहे है 
आंखें  बनी थी झरना फिर भी, सिर्फ नम बता रहे है 
और कट गिरे थे स्तन जिस दिन इस धरा पर उस मां के
उसको भी आंखों का महज छम (धोका) बता रहे है 
फिर भी नही रख सकते,स्वयमसमान तो हम बता रहे है
नारे से भीम गर्जना का दम बता रहे है, हा हा अब हम बता रहे है
जैसे जैसे बहुजन, को समर्थ बना रहे है.....(3)
By......शायर गुमनाम 09/08/2024

©aazad parinda
  #love_shayari world indigenous day

#love_shayari world indigenous day #Poetry

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aazad parinda

White अर्ज किया है कि 
ये घर बार,दरों दीवार सब तेरे है
ये प्यार,व्यार संस्कार सब तेरे है 
और होते होंगे लोग लालची तेरे धन के मगर
हम तो जैसे है,किरायेदार सब तेरे है 
कर कर खून पानी अपना सब पौधे लगाए तेरे है
तेरी बरसी रहमत के शुक्रगुजार सब तेरे है
एक इल्तज़ा करके रब से,यही मिन्नत सब ने मांगी है
रहे सलामत नायक घर का,हर कोई सहारे तेरे है
ये घर बार,दरों दीवार सब तेरे है.......(2)
(एक रूप पिता का.............ऐसा भी)
By...... शायर...... गुमनाम

©aazad parinda
  #fathers_day by... शायर......गुमनाम

#fathers_day by... शायर......गुमनाम #Poetry

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aazad parinda

White    शीर्षक:: पत्रकार की जिंदगी
की
सारा दिन थक हार के
चलते फिर भी सीना तान के
अपनी जान को हाथ पर रख कर
रहते सच निकाल के
ना धूप छाव का है ख्याल कोई
कभी बन जाती जिंदगी सवाल कोई
इस डिजिटल होते दौर में 
क्या करू किसी से मलाल कोई
की घर में ज्यादा टिक नहीं पाता 
लेकिन फर्ज सभी (भाई,बाप, बेटा) का निभाता हूं 
जब _जब हो बात धर्म _अधर्म की
मैं सबसे पहले आता हूं 
इन आती जाती सरकारों से बोलो अब तो क्या कहना है
मैं बन जाऊ नाद आपकी,फिर सबको हक दिलाता हूं 
By......शायर ......गुमनाम
©ajay kumar jabdoliya

©aazad parinda
  पत्रकार की जिंदगी

पत्रकार की जिंदगी #Poetry

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aazad parinda

की
तेरी आंखों में डूब जाए, तू आवाज तो दे
तुझे तुझसे खूब,चाहे तू आवाज तो दे
तूने छोड़ा है तीर नजर से तो क्या करे
छोड़ दें राह में दिल को तू आवाज तो दे 
By....... शायर.......गुमनाम

©aazad parinda
  #Reindeer
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aazad parinda

की
आप दोनो की जिंदगी को नए आयाम मिले
हर दिन खुशियों के नए पयाम मिले
है दुआ ये इक दूजे के राज का मान करना
चाहे फुसफुसाहट के किस्से तमाम मिले

dil se...... शायर गुमनाम...
dear tarun...

©aazad parinda
  #hibiscussabdariffa
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aazad parinda

26 jan republic day चंद्रयान तो भेजा,हमने
राफल भी हमने उड़ाया है
जब जब हुआ देश,विकट मे
हमने अपना लहू बहाया है
और राजगद्दी को हटा,देश से
गणतंत्र का मान बढ़ाया है
कर रचना संविधान,अमर की
नव भारत देश,बनाया है
by.......... शायर गुमनाम

©Ajay kumar jabdoliya #26janrepublicday
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aazad parinda

की
मचौले ईक दूजे से कैसे करे
दिल को तसल्ली कैसे मिले
प्यासी है निगाहे दीदार को उनसे
अब हीर से रांझा कैसे मिले

,दिल में मिलन की लहर उठी है
पतंगे लेकर छत पे चढ़ी है
मजनू आसमां सब ताक रहे है
जब से लैला की पतंग उड़ी है

,फूल खिले सब कली खिली
नज़रे दो से दो चार मिली
चरखी ऐसे पकड़े है सलीम
जैसे उड़ाए पतंग अनारकली

,सबके ईश्क की दाल गले
ना कभी किसी को हार मिले
ऐसे मिला दे सबको रबा
जैसे सोनी को महिवाल मिले

©Ajay kumar jabdoliya #makarsankranti with शायर गुमनाम #💖

#makarsankranti with शायर गुमनाम #💖 #👉 #लव

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aazad parinda

की
 ना छेड़ ईश्क को इतना भी,के साज बन जाए वो
कही तुम्हारे सीने में दफन  हो के,राज बन जाए वो
अपने लबों को ना रोक उसका नाम लेने से
कही ऐसा ना हों के सिर्फ ,एहसास बन जाए वो
By..... शायर गुमनाम.....

©Ajay kumar jabdoliya
  #Butterflylove u
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aazad parinda

अर्ज किया है 
इस विरान जिंदगी का,चलो इक और पल काट लेते है
तुम बैठो तो यार,दर्द जुदाई का बाँट लेते है

©Ajay kumar jabdoliya
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