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IG @kavi_neetesh
कात्यायनी मैया, शरणागत को चरणों में ले लो, हे मातारानी दुनिया में, तेरी कृपा बड़ी महान् है। आदिशक्ति का छठा रूप हो तुम, शक्ति स्वरूपा, महिषासुर मर्दनी रूप में, जग में तेरी पहचान है। कात्यायनी मां……. ब्रह्मा, विष्णु, महेश के आग्रह पर हे देवी महारानी, आदिशक्ति दुर्गा भवानी का दिया, रूप यह वरदान है। कात्यायन ऋषी आश्रम गई थी, आप बेटी बनकर, धर्म ग्रंथों में हे मां, ऐसा ही तेरा अमर निशान है। कात्यायनी मां……….. पीताम्बर परिधान तुमको, बहुत भाता है देवी माता, पंचमेवा तेरे भोग का भवानी, मन पसंद सामान है। द्वापर में ब्रजमंडल की, अधिष्ठात्री देवी रही थी मां, त्रेता युग में रामावतार में, श्रीहरि की रही शान है। कात्यायनी मां………….. मैया, महिषासुर वध करके, दिया तुमने सुंदर उपहार, तीनों लोक में बजा डंका, आज भी वही सम्मान है। चार भुजाओं वाली देवी, तुम सारे जग की जननी हो, अस्ताचल की शोभा मैया, तू सबके मन का अरमान है। कात्यायनी मां ………….. ©IG @kavi_neetesh कात्यायनी माता अराधना (माता रानी के षष्टम रूप की अराधना) “आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को शारदीय नवरात्रि के परम पावन
कात्यायनी माता अराधना (माता रानी के षष्टम रूप की अराधना) “आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को शारदीय नवरात्रि के परम पावन
read moreबेजुबान शायर shivkumar
=============================== समर्पित माॅं चंद्रघंटा की महिममयी कहानी =============================== शिव से विवाह कर महागौरी ने धारी है, माथे पर अर्धचंद्रमाॅं तो कहलाईं चंद्रघंटा। महिषासुर से ब्रह्मा,विष्णु, महेश के कोप, क्रोधाग्नि ऊर्जा से प्रगटी है माॅं चंद्रघंटा।। शिव त्रिशूल,विष्णु चक्र, इंद्र घंटा,सूर्य ने, अपना तेज,तलवार,और सिंह सौंप दिए। माॅंं महिषासुरमर्दिनी आक्राॅंता वध कर, स्वर्ग में देवों के दूर राक्षसी खौप किए।। नवरात्रि तृतीय दिवस माॅंं चन्द्रघंटा की, प्रताप परम शांतिदायक,कल्याणकारी। दस हाथों में खड्ग,बाण, कमल, धनुष, तलवार,त्रिशूल,गदा वअस्त्र-शस्त्र धारी।। नौ रात्रि माॅं की विलक्षण कहानी भक्तों, इस विधि कहलाईं है माॅं शिव पटरानी।। अनन्त-अनादि ब्रम्ह की अद्भुत शक्ति वे, अखण्ड साधना-तपोबल से हुई वरदानी।। माता की अलौकिक स्वरूप दिलाएगी, कलयुगी क्रुर-पापी-पाखण्डि़यों से मुक्ति। सहृदय माॅं की आराधना-साधना करें तो, सुझाऍंगी माता कठिन समय नव युक्ति।। कमल,शंखपुष्पी फूल अर्पित करें माॅंं को, स्वर्णिम आज शास्वत महाशक्ति दायिनी।। चंचल मन राक्षस न बने विकृत हो कर रे, समर्पित माॅं चंद्रघंटा की महिममयी कहानी।। =========================== ©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि Kshitija puja udeshi Sethi Ji Andy Mann mithilani भक्ति गीत भक्ति फिल
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
read moreNilesh
राजपूत की तलवार जब निकलती है तो या तो खुद के गर्दन पर गिरती है या सामने वाले की गर्दन पर ©Nilesh #तलवारें