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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे में यार फंस जाता हूं तेरी महफिल में आके अपनी चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White अफ़सोस इतना गहरा नहीं कि सब कुछ मिटा देने को मन करे ना ही दुख इतना गहरा कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ बस निष्प्रभ हूँ, डगमगाता , लड़खड़ाता सा कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे उन्हें लेने और ना लेने का खामियाजा भुगतता हुआ कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में अगर ऐसा होता तो क्या होता अगर ये कर लिया होता तो क्या होता क्या ये होता.. या फिर..... इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...
अक्सर...
read moreAshtvinayak
मैं प्रयास कर रहा हूं... #HeartfeltMessage कविता कोश हिंदी कविता कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
मिट्टी धूल धूसरित तन हो जिसका सब कहतें हैं मैला उसे देखते हैं नफरत से कहते शब्द विषैला वह मिट्टी का कर्ज चुकाता नमक है जिसका खाता उसे प्रेम करता जीवन भर निज सर्वस्व लुटाता उसका नमक सभी खातें हैं फिर भी करें न प्रेम चेहरे पर मुश्कान सभी के यह उसकी ही देन कहती मिट्टी मेरे पुत्र को दुनिया नहीं सताए बेखुद सबकी भूख मिटाकर खुद भूखा सो जाए ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #मिट्टी
Ashraf Fani
White सिर्फ दिखावे की ख़ातिर रावण पे थूक रहे हैं कलयुग के रावण ही, अब रावण फूँक रहे हैं ©Ashraf Fani सिर्फ दिखावे की ख़ातिर रावण पे थूक रहे हैं कलयुग के रावण ही, अब रावण फूँक रहे हैं #ashraffani #Dussehra हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता Hin
सिर्फ दिखावे की ख़ातिर रावण पे थूक रहे हैं कलयुग के रावण ही, अब रावण फूँक रहे हैं #ashraffani #Dussehra हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता Hin
read moremanshisingh@gmail.com
मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं 🩷🩷🩷 ©manshisingh@gmail.com zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है
zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White अक्सर…. इन भीगी शामों में पुराने ख्याल उमड़ आते हैं बादलों की गरज से, आसमानी बिजली की चमक से हौले हौले गहरे स्याह होते हुए विगत को देखता हूँ तो अब न कोई अफसोस… न कुछ खोने का दुख, न कुछ हासिल न कर पाने का कुछ देर के लिए क्षितिज के एक छोर पर बादलों से बनती धुंधली सी आकृति को देखता हूँ मैं… जानता हूँ क्षणिक है… पर कुछ देर ही सही निहारना चाहता हूँ उसे यूँ ही अपलक, तब तक खो न जाए वो दूसरे छोर पर ©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...
अक्सर...
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी ©M R Mehata(रानिसीगं ) मिट्टी से..... मोटिवेशनल कोट्स
मिट्टी से..... मोटिवेशनल कोट्स
read moreParasram Arora
White उसे चाँद पर जाने की सलाह हमने ही दीं थीं और जबसे वो चाँद की परिक्रमा कर लौट आया हैँ धरती पर .. वो चाँद से लाई मिट्टी अपने जिस्म पर मल कर सबको ये चमत्कार दिखाता फिरता हैँ ©Parasram Arora चाँद की मिट्टी
चाँद की मिट्टी
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