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Rakesh frnds4ever
White बरसों से खटकता रहा हूं जिन आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को, चुभता रहा ना भाया किसी को, आज उनमें और भी ज्यादा चुभने लगा हूं मैं दिल के दरिया का जो पानी सालों से आंखो से बह बह कर सूख चुका, जिसकी तलहटी को खुंद खूंद कर उसकी परतों से खून तक चूस डाला, जो अब बंजर सुनसान परतों की पपड़ी खाक बन कर उड़ती है तो उस धूल से उनकी आंखों में जो हल्की सी परेशानी है ,, वैसा एक कचरा/ तिनका बना हुआ हूं मैं ,,.... ©Rakesh frnds4ever #फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि
#फूटिआंखनसुहायकिसिको #बरसों से खटकता रहा हूं जिन #आंखों में,, अब मैं उनमें रगड़ने लगा हूं फूटी आंख ना सुहाया किसी को,#चुभता रहा ना भाया कि #बंजर #तिनका #तलहटी #परतों #कोट्स #दिलकादरिया♥ #rakeshyadav
read morePoet Maddy
उसको देखने के लिए हमारी आंख, न जाने क्यों अब हर रात तरसती है.......... वो चली गई है बेशक हमें छोड़कर, मगर फ़िर भी हमारे दिल में बसती है......... ©Poet Maddy उसको देखने के लिए हमारी आंख, न जाने क्यों अब हर रात तरसती है.......... #Eyes#See#Night#Yearn#Gone#Leave#Reside#Heart.........
बेजुबान शायर shivkumar
White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।। आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड इस समाज का ऐसा ना समझो कि, भैरव बस नाम वो विनाश का । आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । बह रहे हैं गंगाधारी, नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, हिमालय की हवाओं में जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।। लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके, हर रहे हैं मां बनके, और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके । ।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।। ॐ हर हर महादेव ॐ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #हरहरमहादेव #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #कविता #omnamahshivaya हर हर महादेव भक्ति सागर भक्त
#Shiva #om_namah_shivay #हरहरमहादेव #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #कविता #omnamahshivaya हर हर महादेव भक्ति सागर भक्त
read moreRajkumar Siwachiya
White ना मरन की आज्ञा सै ना डरन की आज्ञा सै कोए देखकय काढ़कय आंख सीधा नाश करन की आज्ञा सै ✨🥷✨🔱🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya कोए देखकय काढ़कय आंख सीधा नाश करन की आज्ञा सै ✨🥷✨🌪️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #sad_quotes #rajkumarsiwachiya #oyedesi #haryanvi #harya
कोए देखकय काढ़कय आंख सीधा नाश करन की आज्ञा सै ✨🥷✨🌪️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #sad_quotes #rajkumarsiwachiya #oyedesi #Haryanvi harya #Haryana #bhiwani #Loharu #JhumpaKalan #Jhumpa_Kalan
read moreNirankar Trivedi
आंसुओं का तस्वीर में होना सबको समझ आता है, मगर आंख का आंसू हर किसी को समझ नहीं आता है। ©Nirankar Trivedi आंसुओं का तस्वीर में होना सबको समझ आता है, मगर आंख का आंसू हर किसी को समझ नहीं आता है। #Aansu sad shayari in hindi sad shayari shayari
आंसुओं का तस्वीर में होना सबको समझ आता है, मगर आंख का आंसू हर किसी को समझ नहीं आता है। #Aansu sad shayari in hindi sad shayari shayari
read moreHimanshu Prajapati
White रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..!
#Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! #विचार
read moreLalit Shihir
White चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचाने जहाँ मै गुमनाम रहूँ.... जहां ना धोखा और ना ही फेरेब देखूं वहाँ चाहे जहाँ इनसान ना ही कहीं एक बड़ी सी जमीन हो, जमीन पे घास और नीला आसमान, आसमान में वादल हो, वादल में सूरज हो और सूरज में धूप हो, धूप में किरण हो और वहती नदी के पानी से टकराकर, एक झोपड़ी की खिड़की पर गिर रही हो, दूर जमीं' के एक हिस्से से बकरी के बच्चों के खेलने की आवाज आ रही हो , ठंडी हवा अपनी धुन में वह रही हो, और मुझे बार-बार छू कर अपने होने का एहसास दिला रही हो, जहां ना टेंशन हो और ना Anxiety जहाँ जाकर में खुद की खो जाऊँ और नींद अगर तो मैं सो जाँऊँ, खुले जो आंख तो मैं अपने घर ही खुद को पाऊ, हाये मेरे सपने भी मेरी तरह अजीब है। ©Lalit Shihir #weather_today चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचान
#weather_today चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचान #SAD #शायरी #LalitShihir #Shihirlalit #LalitShihirPoetry
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