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Sandeep Kothar
भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव महज एक कागज़ के पन्ने ही तो होते हैं। ©Sandeep Kothar भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म
भले ही कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा हो, लेकिन जब किसी ने स्वार्थ इस विषय में महारत हासिल कर ली हो तो, उसकी सारी शिक्षा, ज्ञान और अनुभव म
read moreneelu
White हमने पहले कौन सा विषय पढ़ना शुरू किया होगा History or Geography ©neelu #good_night #हमने #पहले कौन सा विषय #पढ़ना शुरू किया होगा #History or #Geography
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read moreGoluBabu
True Guru Sant Rampal Ji Maharaj जो संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है, वही पूर्ण संत होता है। इसके विषय में गीता अध्याय 4 श्लोक
read moreRakesh frnds4ever
White मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि शब्दों के अर्थ हर कोई अपनी अपनी समझ के हिसाब से लगता है,, किस व्यक्ति ने कहे है किस जगह कहे हैं किस विषय पर कहे हैं किसलिए कहे हैं क्यों कहे हैं,, इन आधारों पर हर कोई हर प्रकार से अलग अलग अर्थ मतलब निकाल कर सुनता तो है पर उनके अर्थों को समझता कोई नहीं,,, और दिल से जो शब्द निकलते हैं उनको समझना तो दूर किसी को सुनाई तक नहीं देते हैं,, ©Rakesh frnds4ever #मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह
#मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह
read moreबेजुबान शायर shivkumar
विषय कोई भी हो, कर्म की क्रिया कभी नहीं बदलती, कर्म ही कर्ता बन जाता है , करण का माप दंड सबके लिए समान रहता है इसीलिए कर्म ही गुरु बन जाता है . . . ©बेजुबान शायर shivkumar Kshitija Aman Singh Sethi Ji poonam atrey Andy Mann अनमोल विचार सुविचार इन हिंदी Extraterrestrial life नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार
Kshitija Aman Singh Sethi Ji poonam atrey Andy Mann अनमोल विचार सुविचार इन हिंदी Extraterrestrial life नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White विषय -" हिंदी " " अ से अनार, आ से आम हिंदी है भारत का अभिमान ।। इ से इमली ,ई से ईख हिंदी देती सबको सीख ।। उ से उल्लू , ऊ से ऊंट हिंदी से है सब अभीभूत ।। ऋ से ऋषि ,ए से एकता हिंदी से है भारत की प्रभुता ।। ऐ से ऐनक ,ओ से ओखली हिंदी है प्यार से भरी पोटली ।। औ से औषधि,अं, अ: हिंदी को उत्तम सब ने कहा ।। धन्यवाद ©बेजुबान शायर shivkumar #hindi_diwas #Hindidiwas #Hindi #14september कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता Sethi Ji Kshitija puja udesh
#hindi_diwas #Hindidiwas #Hindi #14september कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता Sethi Ji Kshitija puja udesh
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विषय हिन्दी :- विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रहा , भारत को सम्मान । हिन्दी ही पहचान है , करो सदा गुणगान ।।२ हिन्दी-हिन्दी रट रहे , हिन्दी में कुछ खास । हिन्दी पढ़ ले आप तो , हो जाए विश्वास ।।३ प्रथम बोल नवजात के , माँ से हो शुरुआत । हिन्दी के यह बोल है , होता सबको ज्ञात ।।४ हिन्दी भाषा में भरा , सुनो ज्ञान भण्डार । वर्ण-वर्ण पढ़कर कभी , तुम भी करो विचार ।।५ ************************** मुक्तक :- हमें तो बोलना भी माँ सिखाती है सुनों हिन्दी । सभी स्वर के अलग लक्षण बताती है सुनों हिन्दी । रहूँ मैं दूर क्यूँ इससे सभी हैं काम रुक जाते - हमारी तो सभी खुशियां दिलाती है सुनों हिन्दी ।।१ नहीं भाषा गलत कोई मगर पहचान है हिन्दी । हमारी सभ्यता का नित करे व्याख्यान है हिन्दी । इसी में तो समाहित आज हिंदुस्तान है सारा - तभी तो हिन्द की देखो बनी अभिमान है हिन्दी ।।२ १४/०९/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विषय हिन्दी विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रह
विषय हिन्दी विधा दोहा हिन्दी हिन्दस्तान की , सुन लो होती शान । इसके देश विदेश में , है लाखो विद्वान ।।१ हिन्दी से नित मिल रह
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
दोहा :- विषय हिंदी हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब
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