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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सर फिर से उठा चुके अधर्मी मर्यादा तब तार तार है होती तपस्या भंग सच्चाई की राक्षसों की प्रव्रत्ति सर उठा रही है माँस और सुरा सुंदरी का बढ़ा प्रचलन साधु भेष में हठधर्मिता पनपायी जा रही है असत्यता का कद बढ़ा कर त्यागी तपस्वी को मिटाने की धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है चीटी भी ना मारी हो जिसने उसे विधर्मी बताकर नींव धर्म की हिलायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
#sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
read moreRimpi chaube
ये जो माथे की शिकन है,ये बता रही है। उम्र,अनुभव,ज्ञान,सबक और संघर्ष आपका।। ये कांपते हाथों की उंगलियां बता रही है। ताकत तो नहीं है अब पर.... दुआओं में है असर आपका।। ©Rimpi chaube #माथेकीशिकनहै 😊 ये जो माथे की शिकन है,ये बता रही है। उम्र,अनुभव,ज्ञान,सबक और संघर्ष आपका।। ये कांपते हाथों की उंगलियां बता रही है। ताकत तो न
#माथेकीशिकनहै 😊 ये जो माथे की शिकन है,ये बता रही है। उम्र,अनुभव,ज्ञान,सबक और संघर्ष आपका।। ये कांपते हाथों की उंगलियां बता रही है। ताकत तो न
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