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Raaj _The Secret
एक दिन मैं तुम सबसे दूर चला जाऊंगा, वहाँ यहाँ से मैं कभी लौट कर नहीं आऊंगा। खामोशियों में गूंजेगी मेरी बातें, यादों के साए में रोएंगी मुलाक़ातें। तुम ढूंढोगे मुझे हर उस जगह, हमने साथ बिताए थे पल जिस जगह। पर मैं ना रहूंगा तुम्हारी दुनिया में, बस याद बनकर बस जाऊंगा दिल की गहराइयों में। जब हवा तुम्हें छूकर गुजरेगी, समझ लेना कि वो मेरा संदेश है। मैं दूर रहकर भी करीब हो जाऊंगा, पर लौटकर इस दुनिया में न आऊंगा। इस जुदाई में छुपा होगा एक सबक, कि जो पास है, उसे संभालकर रखो हर वक्त। ©Raaj _The Secret याद
याद
read moreRaaj _The Secret
तुझे याद करने का मेरा अंदाज़ थोड़ा निराला है, मैने तस्वीरों में नही तुझे अपने अल्फ़ाज़ों में सँभाला है ।। ©Raaj _The Secret याद
याद
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White पता है तुम्हें,,.. बहुत याद आ रहे हो, बार बार आ रहे हो..! शायद तुम्हें याद न हो लेकिन तुमने बातों बातों में अपना मोबाइल नंबर दिया था जो मेरे पास है पर मैं तुम्हें ये संदेश भी नहीं देना चाहता कि तुम बहुत याद आ रहे हो.. जानते हो क्यूँ...? क्यूंकि अगर मैं तुम्हें मोबाइल पर मैसेज करके ये बता दूँ कि तुम बहुत याद आ रहे हो तो जाहिर सी बात है तुम मेरे बारे थोड़ा बहुत सोचकर दस पांच मिनिट मुझसे बात करके बात खत्म कर दोगे..इससे वो बात नहीं बनेगी जो मैं चाहता हूँ... क्यूंकि आधुनिक उपकरणों में सुविधा बहुत है लेकिन वो सुकून नहीं है जो इनके अभाव में हुआ करता था..अब तुम सोचते होगे आखिर मैं चाहता क्या हूँ..! तो सुनो.. मेरी इच्छा है कि मैं तुम्हें जब याद करूँ तब तुम्हें वहाँ ऐसा आभास होना चाहिए कि कोई तुम्हें याद कर रहा है, सोचो.. यहाँ मैं तुम्हें याद करूँ और वहाँ तुम्हारे तलुवे में गुदगुदाहट हो, कभी हिचकियाँ आने लगें, तुम बार बार यह सोचकर हैरान हो जाओ कि आखिर तुम्हें हो क्या रहा है और तब घरवालों में से कोई कहे.. लगता है कोई तुम्हें बहुत याद कर रहा है.. और तुम सोचने लगो.. कौन मुझे याद कर रहा होगा... और बहुत सोचने के बाद तुम्हें एकदम से याद आये कि तुमने मुझसे वादा किया था कि घर पहुंचते ही तुम मुझसे बात करोगे.. लेकिन तुम भूल गये और पूरा साल गुजर गया..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #याद
Avinash Jha
White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha #याद #शाम
Ramnik
White इन गलियों से कभी तुम गुजरे होगे। इन फिजायो में कभी तेरी हसी की महक गूंजी होगी। कभी इन हवाओं में तेरी खुशबू छुई होगी। कभी इन खिड़े फूले से तेरी मुलाकात हुई होगी। भले तुम यहां नहीं, हमें हर छह में तेरी झलक मिलती रही.... ©Ramnik #याद