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neelu
White स्कूल क्यों गए थे ...वह भी फीस देकर ©neelu #Sad_Status #स्कूलकीयादें यों गए थे वह भी #फीस देकर
#Sad_Status #स्कूलकीयादें यों गए थे वह भी #फीस देकर
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White ! ! *भाई दूज* ! ! भाई दूज यानी की... भाई बहन के प्यार का अटूट बंधन है । वन को भी महका दे जैसे पावन वो चंदन है । इस दिन बहन भाई की आरती कर खिलाती है मिठाई को । भाई को तिलक लगाकर सलामत करती है ये दुहाई । सुना है यमराज एक दिन... अपने बहन से मिलने उनके घर गए थे । तब इनकी बहन यामी ने... यमराज की आरती कर खिलाई थी वो मिठाई । तिलक लगाकर सलामतक की करी थी ये दुहाई । तब से ही चला आ रहा ये रिवाज़ । आज भी दुनिया दे रही इसका इस्बात । मेरी ज़िन्दगी भी बड़ी ही निराली है। ज़िन्दगी में कुछ इस तरह छाई है कुछ बदली काली । * बाबू * ये सच है के मैं घर का इकलौता बेटा नही हूं । इस भाई बहन के प्यार से मै बहुत बेगाना हूं । *आप सभी भाई बहन को भाई दूज की बधाई * ©बेजुबान शायर shivkumar ! ! *भाई दूज* ! ! भाई दूज यानी की... भाई बहन के प्यार का अटूट #बंधन है । वन को भी #महका दे जैसे पावन वो चंदन है । इस दिन बहन भाई की #आरत
Joel/Rooh
जो थे सो थे.... जो थे सो थे.....लेकिन अब जो है..... वही बन कर रहेगे...💋👊 #brokenheart #lover Shayari
read moreJitender Kumar
White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी ~ परवीन शाकिर ©Jitender Kumar #sad_shayari किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का
#sad_shayari किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का
read moreअक़श
*हे पार्थ, कुछ मोर्चों पर युद्ध व्यर्थ है...* _*श्री भगवद गीता में भगवान 🪈 श्री कृष्ण बताना भूल गए थे, मैंने सोचा मैं ही आपका ज्ञान वर्धन क
read morePankaj Pahwa
White याद कर कर के मेरी हर एक बात वो भुला रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, जलाने से पहले मेरा हर खत वो पढ़े जा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, तोड़ने से पहले मेरे तोहफों को वो सजा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं मिटा रहे थे, भूलने से पहले मेरा नाम वो रटे जा रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं भुला रहे थे, मेरी हर चीज में तो वो अपनापन जता रहे थे, जाने वो कैसे मुझे यूं भुला रहे थे, ©Pankaj Pahwa #भुला रहे थे
#भुला रहे थे
read morePrakash writer05
मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में
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