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अज्ञात
कद न अंगुष्ट सा मन बैरी दुष्ट सा नैनों से नीर ले पैरों को पीर दे चर्म चर्म चीर के.. आप में संतुष्ट सा अंग अंग रुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा... करता मनमानी है आफत में प्राणी है.. इसकी ना मानी तो काया को हानी है रोग लगे कुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. अवलम्बित देह का स्वारथ के नेह का प्रेरक प्रमेह का सत्य में संदेह सा छिन छिन में पुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. संगी एकांत का प्यासा देहांत का मृत्यु तक छोड़े ना.. दामन भी तोड़े ना.. उददंड अतुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा.. ©अज्ञात #मन
Satish Kumar Meena
समाज में रहना है तो तुम्हें नियमों और शर्तों का पालन करना होगा क्योंकि इनसे परे समाज भी उसे अपवाद स्वरूप स्वीकार नहीं करता है। ©Satish Kumar Meena #समाज
Kamlesh Kandpal
मन का दीपक जला लो,बस एक बार , फिर कोई भी अन्धेरा, तुम्हें डरा नहीं पायेगा जीत जाओगे जिस दिन खुद को खुद से , फिर कोई तुम्हें ,हरा नहीं पायेगा ©Kamlesh Kandpal मन
मन
read moreEkta Singh
White तेरी बात जब आए मेरा मन मुस्कुराए मेरी आँखों में चेहरा तेरे स्वप्न दिखाए ©Ekta Singh मन
मन
read moreNirupama Mishra
White समाज एक ऐसा बाजार है, जहां सलाह तो थोक में मिलती है.. लेकिन सहयोग ब्याज पर मिलता है। ©Nirupama Mishra #सहयोग #समाज #ब्याज मोटिवेशनल कोट्स हिंदी
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी धरातल से सब को जोड़ा सम्रग समाज सुधारक था गांव ग्राम तक खुद पहुँचा चेतना से सब को झकझोरा था बिखरी शक्ति जाति धर्मो में थी ईश्वर अल्लाह हरिजन को जोड़ा था क्रांती चरखा से लाया रोजगार घर घर में जोड़ा था गांधी की ताकत,ग़ौरो को तोड़ गयी प्रतिफल आजादी का मिला था बापू भारत का,मील का पत्थर है सदियों सदियों तक दर्शन उसका गूंजेगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #gandhi_jayanti सम्रग समाज सुधारक था #nojotohindi
#gandhi_jayanti सम्रग समाज सुधारक था #nojotohindi
read moreRoopsingh Doi
सोई हुई कौम को जगाने वाला खोये हुये रॉब को जताने वाला लाल पगड़ी,बुलंद आवाज वाला शोषित,पीड़ित व पिछड़ी जातियों की आवाज उठाने वाला युगों युगों तक अमर रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला मुंडिया वाला... महान विभूति को शत शत नमन...💐💐 ©Roopsingh Gurjar समाज भक्त
समाज भक्त
read moreamar gupta
White मैं, वो और समाज... समाज - कितने मे बिका भाई , तेरी तो सरकारी नौकरी है ... मैं - बस उसकी एक मासूम भरी नजर , नजरिये और उसके कुछ विचारो मे.. समाज - पागल है क्या ! ऐसा भी क्या बोला उसने... " ना रंग देखा ,ना मेरा रूप , ना उमर का किया तकजा... इन्सान अच्छे हो बोल कर , अनमोल कर दिया उसने मुझको " ©amar gupta #मैं , वो और समाज...
#मैं , वो और समाज...
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