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Stories related to छापामार युद्ध प्रणाली

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Raghav Trivedi

#GoodMorning एक युद्ध अपने ही विरुद्ध! life quotes in hindi

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MiMi Flix

"रानी आदिति की वीरता: गौरवमयी विजय" - एक ऐसे देश में जहां वीरता और नियति का मिलन होता है, रानी आदिति अपने लोगों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ी #वीडियो

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MiMi Flix

"प्रह्लाद की भक्ति: शक्ति और आस्था की अनोखी कथा | Hindi Spiritual Story" - क्या एक दैत्य राजा की अहंकारिता और एक भक्त के अटूट विश्वास के बीच #वीडियो

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Prerna Singh

हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं। अनभिज्ञ मैं #चक्रव्युह कि संरचना से छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।गैरो #धोखे #कोट्स #सर्वस्व

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Binay Kumar Shukla

#nojota बड़ा बेकार है इसकी सहयोग प्रणाली तो और भी खराब है...मंच छोड़ा देगा #विचार

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Parasram Arora

सुइट युद्ध #कविता

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White जिंदगी अगर  मेरी ज़िद्दी है तो मैं भी 
उससे कम ज़रा भी नही हू 

उसके और मेरेबींच एक शीत युद्ध
 बरसो से चाल रहा  और मुझे उम्मीद है कि 
ये युद्ध कभी न खतम होने वाला युद्ध  सिद्ध होगा

©Parasram Arora सुइट युद्ध

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

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White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ

cldeewana

#sad_shayari कारगिल के युद्ध को दिखा गीत #शायरी

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Devesh Dixit

#kargil_vijay_diwas #nojotohindi #nojotohindipoetry कारगिल दिवस सन् 1999 में, कारगिल का युद्ध शुरू हुआ था। सहज नहीं था युद्ध ये, हमारे जव #Poetry #sandiprohila

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