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kavi Dinesh kumar Bharti
टीका बन गया रोग ©kavi Dinesh kumar #टीका बन गया रोग कविता
#टीका बन गया रोग कविता
read moreHARSHIT369
White बेरोजगार बिसनेस वाला नौकरी करने के अलग अलग कारण @अपनी रोजी रोटि के लिये @अपने खर्चे के लिये @अपनि पढ़ाई लिखाई के लिये @अपने परिवार के भरण पौषण के लिये @अपने व्यापार को सुरु करने के लिये ©HARSHIT369 ्#नौकरी के कारण आज का विचार
्नौकरी के कारण आज का विचार
read moreDr. uvsays
usFAUJI
भारत में बेरोज़गारी के मुख्य कारण- आप कौनसे कारण से बेरोजगार हो...??? #बेरोजगारी #jobless #India #usfauji nojoto
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मन के संचित भावो ने ही आवरण भव भवो के ओड़े है आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन दसधर्म को प्रगटाओ एक एक धर्म का सार समझो बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन विकारों को दूर भगाये सत्य शौच संयम त्याग तपस्या और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर जन्म मरण का रोग भगाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
read moreperson
मनुष्य के दुख का कारण अनेक हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुख का कारण होता हैं अपनों को खोना जो भी हमने पाया है उसको खोने से हम भयभीत हो जाते हैं और हमारे पास जो अनमोल चीज हैं अगर वह हमसे दूर चला जाए तो हमें इससे भी डर लगता हैं माता और पिता के छांव में जीवन हमने बिताया हैं और उन्हें हमसे कोई छीन ले इससे भी हम भयभीत हो जाते हैं हमने जो पैसे कमाए हैं वह हमसे कोई छीन ले तो भी हमें बहुत परेशानी में डाल देता हैं यह सब दुख के कारण हैं और निराशाजनक हैं दुख का कारण हैं हमारे अपनों का धोखा देना हमारे भावनाओं के साथ खेलना ©person दुख के कारण #
दुख के कारण #
read moreHeer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग