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Shiv Narayan Saxena
पितरों से पहचान है पितरों से सम्मान तन मन धन सब हम पे कर देते कुर्बान कूकुर कागा को सदा दिलवाते हैं मान भूल क्षमा करिए दया हे पितर भगवान ©Shiv Narayan Saxena पितरों से सम्मान.....
पितरों से सम्मान..... #Poetry
read moreVishalkumar "Vishal"
जब तक भाषा का सम्मान नहीं करोगे तब भाषाएं तुमको परेशान करती रहेगी। ©Vishalkumar "Vishal" हर भाषा का सम्मान करो ।
हर भाषा का सम्मान करो । #शायरी
read moreAshvani Kumar
सम्मान की बात आए तो गुस्सा यहां के लौड़ों के सर पर है, अपने पे उतर आएं तो कर देते हालात बद से बद्तर है, हमारा भौकाल कितना कट्टर है, की आओ कभी कानपुर तुमको बताएं की कैसा UP78 है।। ©Ashvani Kumar सम्मान
सम्मान #Shayari
read moreDR. LAVKESH GANDHI
White शिक्षक एक चरित्रहीन व्यक्ति को जब समाज या विभाग सम्मानित या महिमामंडित करता है तब उस समाज या विभाग का पतन निश्चित होता है | ©DR. LAVKESH GANDHI #teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
teachers_day # # शिक्षक का सम्मान #
read moreHeer
White नारी हूं मैं...... जननी मैं, जीवन भी मैं, करूणा का सागर भी मैं, माना जज्बातों पर जोर नहीं, मगर सशक्त हूं तलवार हूं मैं। हा नारी हूं मैं कमज़ोर नहीं मैं। दर्पण मैं और अक्स भी मैं, झुक जाऊं ऐसी डाल नहीं मैं, स्वाभिमान मुझे है प्यारा, आंखो का हूं में तारा। ऐसा कोई शख्स नहीं, जो टूट कर बिखर जाऊं मैं। हा नारी हूं मै आत्मनिर्भर भी हूं मैं। समझना ना मुझको अधूरी, मैं तो हूं खुद में पूरी, साथ अगर जो चलना हो तो, हाथ तभी तुम थामना, पीछे हटना मुझे नहीं गवारा, एक बार पकड़ा हाथ जो। हा नारी हूं मैं अकेली नहीं। ©Heer #women_equality_day #नारी हूं मैं
#women_equality_day #नारी हूं मैं #Poetry
read moreSatish Kumar Meena
नारी की शक्ति जब रौद्र रूप लेती हैं तो किसी की हिम्मत नहीं जो उस पर कटाक्ष कर सकें क्योंकि इस आदि रूप के समक्ष स्वयं महादेव भी सम्मान से झुक गए। ©Satish Kumar Meena नारी शक्ति
नारी शक्ति #विचार
read moreKiran Ahir
काश ये युग भी सतयुग होता.. ना घुंघट की आढ होती , ना स्त्री कोई अभिशाप होती... ना बेटी-बेटे में अंतर होता, ना शिक्षा से कोई वंचित होता... ना पुरुषो का वर्चस्व होता ना नारी का अपकर्ष होता समाज में दोनो का पद दूसरे के समकक्ष होता... ना दहेज प्रथा ना सती प्रथा ना डाकन प्रथा का आरंभ होता और इन प्रथाओं के नाम पर ना स्त्री शोषण प्रारंभ होता... उसके जन्म पर ही लोग क्यों हर बार यू घबराते है गलती चाहे किसी की हो पर उस पर ही उंगली उठाते है... मां, बहन, बेटी और ना जाने कितने रिश्ते निभाती है फिर भी क्यों हर बार वो बुरी नजरों से देखी जाती है... हर सपने पर उसके क्यों रोक लगाई जाती है क्यों जीवन भर बस वो पिंजरे में बंद रह जाती हैं... क्यों सतयुग की नारी सी अब उसकी पहचान नहीं क्यों पुरुषो और नारी में पहले जैसा समभाव नहीं... क्या उसको जीने का अधिकार नहीं क्यों पहले जैसा अब व्यवहार नहीं... क्या सतयुग सा सम्मान वो हर युग में पाने की हकदार नही, है वो संसार की जननी तो क्या देवी का वो अवतार नही... ©Kiran Ahir नारी
नारी #Poetry
read moreRamnik
White जब रिश्तों में सम्मान मांगना पड़े या लड़ना पड़े तो समय आ गया है ऐसे रिश्तों को छोड़ने का, खुद को सम्मान देने का। ©Ramnik #सम्मान
Kavya Suryavanshi
White शब्द पुरुष - मेरा गुस्सा बोहोत खराब है, मैं डरता हूं कभी तुम पर हाथ ना उठा दूं ! स्त्री - क्या तुम्हारा गुस्सा शिव जी के तांडव से भी ज्यादा है ? पुरुष - नहीं उनके गुस्से के आगे मेरी क्या औकात ! स्त्री - तो क्या तुमने कभी सुना है कि पूरी दुनिया को एक पल मे समाप्त करने की क्षमता रखने वाले शिव ने कभी अपनी अर्धांगिनी पर हाथ उठाया ? शिव जी ने तो अपनी पत्नी के गुस्सा होने पर( प्रचंड रूप) में आने पर उनके कदमों में लेटकर उन्हें शांत किया है, लड़कर नहीं ! अर्थात - स्त्री का सम्मान सदैव सर्वोपरि है ! ©Kavya #स्त्री का सम्मान