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Shiv Narayan Saxena
White कल तक जो अभिमान थे, धर्म और ईमान। व्यर्थ आज सब हो रहे, छल के हैं मेहमान।। धर्म और ईमान सब, गुज़रे कल की बात। अधरम का परिवार अब, करे महा उतपात।। ओढ़े खाल सनातनी, धर्म और ईमान। ठगते वोट तनातनी, हिन्दू है अनजान।। ©Shiv Narayan Saxena #Lake धर्म और ईमान hindi poetry
#Lake धर्म और ईमान hindi poetry
read moreRamnik
White वो धर्म ही क्या जो दया ना सिखा सके , वो पूजा ही क्या जो दिल को किसी के दर्द से पिघला ना सके। क्या करना ऐसे धर्म के रिवाजों को जो "जुल्म करना पाप है" के समझा न सका... ©Ramnik #धर्म
neelu
White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu #diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान
Buchi
White व्यवहार ऐसा बनाए रखे सभी से की लोग चाहकर भी शिकायत नहीं कर सके ©Buchi इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।
इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।
read morechahat
White दस दिन के दस धर्म। सिखाते है कैसे काटे कर्म।। जीवन के चक्र भंवर से। कैसे जाये भव से तर।। क्या रखा है,जीवन में। रे मानव स्व कल्याण कर।। कब तक रहेंगे जीवन में। हम खुद को संवार कर ।। पुण्य कर्म कमा, क्यू ना जीले। अपना आत्मकल्याण कर।। पाप कमाते कितना हम। मान अहंकार में डूब कर। बुरे के साथ बुरा करके हम। क्या पा लेंगे सत धर्म कर।। मन में क्षमादान के भाव रख। मांग क्षमा तू सत्य धर्म कर।। ना रख बैर,न रख अहम। जिसे तू,जो तुझे पसंद नही। ना बैर,ना प्रेम व्यबाहर कर।। मांग ले क्षमा उससे भी हाथ जोड़कर। मन को अपने तू बोझ से हल्का कर।। साधना अपनी पूर्णकर खुद को तपाकर। तोड़ दे अहंकार सारे उत्तम क्षमा मांगकर।। ©chahat दस धर्म......
दस धर्म......
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