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Happy Navratri to all🙏... #jaimatadi इस नवरात्रि अपने अंतर मन को जगाते हैं, किसी और के लिए बैर!!दोष!! को मिटाते हैं। खुद से माता को बुलाते #navratri #विचार #mankibaat #hindilines #navratrispecial #NavratriFestival #navratrivibes #navratri2024 #navratrithoughts #navratrithoughtsinhindi

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N S Yadav GoldMine

#International_Day_Of_ {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब जितना भी तन-मन विचार ओर यत्न से पवित्र रहंगे, उतना ही भगवान् श्री कृष्ण जी के करीब #मोटिवेशनल

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
हम सब जितना भी तन-मन विचार 
ओर यत्न से पवित्र रहंगे, उतना ही 
भगवान् श्री कृष्ण जी के करीब 
रहंगे, क्यूंकि सदैव पवित्रता में ही 
भगवान का वास होता है !!
N S Yadav GoldMine .

©N S Yadav GoldMine #International_Day_Of_
 {Bolo Ji Radhey Radhey}
हम सब जितना भी तन-मन विचार 
ओर यत्न से पवित्र रहंगे, उतना ही 
भगवान् श्री कृष्ण जी के करीब

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

सर्वेभ्यः स्वातन्त्र्यदिवसस्य शुभकामना🇮🇳🙏 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वरचित संस्कृत रचना शीर्षक अस्माकं प्रियं भार #Trending #indianwriter #कविता #भारत #15अगस्त #स्वतंत्रतादिवस #indepandanceday #tarukikalam

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रूपमाला - मदन छन्द  2122    2122     2122   21 देखने की लालसा से, जा रहा हूँ धाम । जानता रहते वहीं हैं , आज अपने राम ।। दिव्य दर्शन भी मिलें #कविता

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White रूपमाला - मदन छन्द 
2122    2122     2122   21
देखने की लालसा से, जा रहा हूँ धाम ।
जानता रहते वहीं हैं , आज अपने राम ।।
दिव्य दर्शन भी मिलेंगे , जो करूंगा ध्यान ।
हैं वही आराध्य मेरे, मानता भगवान ।।

रूप उसने लाख बदले, पर वही पहचान ।
कृष्ण राधा राम सीता , हम नहीं अंजान ।।
रूप कल्की का धरो फिर, और लो अवतार ।
आप ही हो इस जगत के , आज पालनहार ।।

अब नही देरी करो प्रभु , बढ़ गये शैतान ।
आज करके ध्यान तेरा , माँगते वरदान ।।
रोक लो नर जाति को अब , कर रहा संहार ।
हैं तुम्हारे भक्त सारे , आज इस संसार ।।

देव दानव और कण-कण , में तुम्हारा वास ।
फिर भटकते आज क्यों है , आपके ही दास ।।
राह उनको भी दिखाओ , भूलते जो राह ।
नित्य सेवा साधना में , जो रखे हैं चाह ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रूपमाला - मदन छन्द 
2122    2122     2122   21
देखने की लालसा से, जा रहा हूँ धाम ।
जानता रहते वहीं हैं , आज अपने राम ।।
दिव्य दर्शन भी मिलें

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज #कविता

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रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।।

                                                   जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण ।
                                                हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।।
                                             सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी ।
                                             तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज
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