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Aman Mishra
मेरी ख्वाहिश है, मुझमे वो कमाल आये। मैं जब लिक्खू, तो पहले माँ का नाम आये। ---- साहित्य प्रेमी अमन #hindi #poetry #sahitya
Neha Yadav
साहित्यकार का कोई जाति धर्म नही होता, कोई राजीनीतिक दल का वर्ग नहीं होता है, क्यूंकि साहित्यकार धरती से आसमान में, हमेशा भ्रमण करता रहता है; हर पहलू को, अपने दृष्टिकोण से शब्दों के द्वारा हृदय मार्ग से, सादे पन्नों में सदृश्यता से अंकित करता है; उन भावों को सजाता है जो महसूस किया हो, उन स्वप्ननों को शब्दों के माध्यम से जीता है, जो चाह कर भी कभी पूरे नही कर सका हो; एक साहित्यकार होना भी कितना कठिन है, जमघट में भी स्वयं को आंकता हुआ अलग है, ना कोई लिंग भेद ना कोई अन्यथा बीजारोपण, हर व्यथा को अपनी परिकल्पना बनाता है; एक साहित्यकार होना कितना ही सरल है, आसानी से जीवन की कल्पना कर अनिमित्त, सहजगता से सुनना और मुस्कुराना पड़ता है, सच! एक साहित्यकार पल में जाने कितने, जीवन को स्वयं में समाहित कर लेता है।। ©नेह किताब📕 #Hindi #hindi_poetry #sahitya #OurRights
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read moreUm€Sh Kum@r
अजनवी है हम जिंदगी की राह में, सहिलो ने मेरा कस्ती वदल दिया कमर कश तंज भरे, डगमगाते चले फिर एक दरिया ने रास्ता बदल दिया। ठोकर खाते आगे बढ़े, दटे रहे,पीछे ना मुड़े, और अनुभव हुआ, उसी अनुभव के साथ आगे बढ़े, जब आगे बढ़े तो मैने उन रास्ते को हारा दिया । जब हरा दिए उन रास्ते को, तो रास्ते ने मंजिल का पता दिया।। ©Um€Sh Kum@r #Shayar #thought #Hindi #sahitya
silent_Note
कभी कभी भोर का उगता हुआ सूरज हमारे कहानी के उगते हुए सूरज के ठीक उलट होता है, और रेत सा फिसलता हुआ वक़्त हमारे भीतर किसी कहानी के हिस्से मे थमा हुआ होता हैं। कभी कभी बाहरी हलचल भी किसी मौन सा प्रतीत होती है और चेहरे पर पसरी शून्यता के पीछे कोई अदृश्य किरदार गूंज रहा होता हैं। कभी कभी सफर में होते हुए कदम कितनी आसानी से हार जाते हैं, और स्वंय के भीतर के इस अंनत सफर में ये कदम न जाने कितनी दफा मिलों चले होते हैं। कभी कभी हर फर्ज मे सरीक अपना किरदार सा लगता है और कभी कभी मेरे हिस्से में "मै " ही कहीं नही।। ©silent_Note #kitaab #sahitya #Hindi #nojato
रत्नेश यादव
फार्म,परीक्षा,परिणाम और नौकरी में ही उलझे हुए हम ढूँढते हैं ज़िंदगी के नए रास्ते। इसलिए जब ज़िंदगी इतनी उलझी हुई हो न,तब सलाह नहीं साथ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। ©Ratnesh kr #Nozoto #viral #hindi #sahitya
Akash Tiwari
2 Years of Nojoto बच्चे किसी के भी हो...! क्या फर्क़ पड़ता है...!! दिल के सच्चे होते हैं...! हम जैसे दगा तो नही करते...!! .. .. .. .. .. .. #Nojoto #hindi #sahitya #hindiquotes #worldlove #hindilover #hindia #shriram #NojotoHindi #children's #hindi #sahitya #hin
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read moreParneet Kaur
अब खत का जवाब आए, ना आए , कोई फर्क नहीं पड़ता, नहीं माइने रखता , तुम्हारा इंतजार , नहीं जरूरत , तुम्हारी कॉल की , मैसेज की , मीठी बातों की , बस, चाय में मीठा कम न हो , चाय का रंग , तुम्हारी याद से गहरा होना चाहिए । मै खुद के साथ हूं अब। ❤️ ©Parneet Kaur #love #tea #poem #Hindi #sahitya
ѕнoвнa ranι cнaυdнary
Thoughts ख्वाब खुबसुरत है, ख्वाबों की दुनिया में सजे महफिल भी खुबसुरत है... काश कि हकिकत भी उतनी ही खुबसुरत होती... तो जिन्दगी वाकई जन्नत होती.. #Thoughts #nojoto #hindi #sahitya #sayri
cutetiger….ANMOL
क्या कहते हो सिर्फ जिंदगी ही लिखते हो, सुनो गौर से दुनियावालों, मैं मुर्दे में भी जान डाल देता हूं, तुम करते हो जिसका चीरहरण, मैं उनकी पलको में भी सम्मान डाल देता हूँ, 'हिंदी' तुम्हे लगती है अनपढ़ की भाषा, मैं उस मातृ संवाद में मोल डाल देता हूँ, जिसे नहीं पूछता जमाने में कोई, उसमें कीमत का तोल डाल देता हूँ, निसंदेह बेहतर हो सब जानते हो, मैं वो हूँ जो मुर्दे में भी बोल डाल देता हूँ, जिसकी काया मिटी तुम्हारे नजरो में, उसकी झोली में रत्न 'अनमोल' डाल देता हूँ, ©अजय पोद्दार 'अनमोल' ©cutetiger….ANMOL #Hindi #hindidivas #Life #sahitya #sunrays
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read moreajatshatru
रावण हर बार मुझे कफ़न से जगाया जाता है फिर, नये रंगों मे समेट सजाया जाता है खड़ा हर चौराहे पर आते-जाते नित नई भीड़ देखता हूँ, फिर!वही लोग, वही सोच अपने सामने खड़े देखता हूँ भीड़ मे खड़े लोग कथित ‘युगपुरुष’ की जयकार लगाते हैं । ‘रावण’ है मेरा नाम अपने बच्चों को बताते है कोसते हैं, मेरे दुष्कृत्य बताते है। फिर, कोई राम का ढोंग कर मेरे बुत को जला जाता है, हर साल ये ही तो मजमा मेरा इतिहास दोहराता है। भीड़ मे खड़ा जब हर पल ताक रहा होता हूँ मैं, हर दुसरे मे मेरा प्रतिबिम्ब बन झाँक रहा होता हूँ मैं। हँसता हूँ अन्दर मैं ये कैसी माया है, आज मेरा साया ही देखो मुझको जलाने आया है। यहाँ हर पल जागता ‘रावण’ ना जाने कितनी सीता हर लाता है, नित नए चेहरे बना-बना के जाने,कितनो को ठग आता है। जहाँ मज़हब के नामोँ पर ख़ून की होली सी छिड़ जाती है, रंग बदलती ‘राजनीति’ लंका मे ढल जाती है। ‘कुम्भकरण’ सी सोती इंसानीयत एक आडम्बर सा करती है, आँख बंदकर अपने सोए अरमानों को कुचलती है। जहाँ ‘धर्म के ठेकेदारों’ को पलकों पे बिठाया जाता है, घर मे रहती ‘लक्ष्मी’ को अंगारों में जलाया जाता है। तो ! किसके दिए हक़ से तुम मुझ को कोसते जाते हो, क्या तुम में कोई ‘राम’ है क्या जो, मुझको जलाए जाते हो । -: अजातशत्रु #विजयदशमी की शुभकामनाएं #dussehra#ravana#rama#hindi#sahitya