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Stories related to राखो मोरी लाज

Praveen Jain "पल्लव"

#chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म

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पल्लव की डायरी
  लाज शर्म के पर्दे खत्म
प्रदर्शन जिस्मो के है
घरो परिवारों से सुशोभित थी नारी
वह आज फूड कल्चरो में है
नर की बराबरी पर आने के लिये
सारी हदें तोड़ने पर है
हाथ बटाने नही परिवारों के
साजिशों के तहत बाजारों में है
अंग अंग की सजती नुमाइश
आबाद कॉस्मेटिक ,ब्यूटी पार्लर
फैशनों के सिम्बल है
खुद शिकार है नारी बदलाव के लिये
लज्जा शर्म संस्कारो  को छोड़कर
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म

सपना कुमारी

मोरी जान❤❤

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White हैप्पी बर्थडे मोरी जान❤ टु यूँ❤❤

©सपना कुमारी मोरी जान❤❤

Phalak Rakesh

नहीं है ये कि कभी लाज बर नहीं आती मगर हा वो फिर भी अपने घर नहीं जाती कि मेरे ज़ख्म ही थोड़े बहुत खुरेदे है मिरी तन्हाइ मुझे काट कर नहीं

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कि मेरे ज़ख्म ही थोड़े बहुत खुरेदे है 
मिरी तन्हाइ मुझे काट कर नहीं खाती

©Phalak Rakesh नहीं है ये कि कभी लाज बर नहीं आती 
मगर हा वो फिर भी अपने घर नहीं जाती 

कि मेरे ज़ख्म ही थोड़े बहुत खुरेदे है 
मिरी तन्हाइ मुझे काट कर नहीं

kumar ramesh rahi

White शीर्षक 
(बेटी)

मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन,
देख रहा समाज, हो मूक मौन।
आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर,
खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर।

बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम,
गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम।
अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, 
गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम।

©kumar ramesh rahi  हिंदी कविता #बेटी #हैवानियत #विनती #उम्मीदें #बाबा #समाज 
#जिम्मेदारी #लाज #गिरधारी #kumarrameshrahi

Shiv Narayan Saxena

#Ganesh_chaturthi रखो लाज प्रभु नाम की.....

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

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मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये

Prakash writer05

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा

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White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, 
अब गोविंद ना आएंगे...l

छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जाएंगे

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, 
अब गोविंद ना आएंगे...|

कब तक आस लगाओगी तुम, 
बिक़े हुए अखबारों से,

कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं

वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है

तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएँगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l

©Prakash writer05 सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, 
अब गोविंद ना आएंगे...l

छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जा
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