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Jitender Kumar
White इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो तेज़ हवा ने मुझ से पूछा रेत पे क्या लिखते रहते हो काश कोई हम से भी पूछे रात गए तक क्यूँ जागे हो में दरिया से भी डरता हूँ तुम दरिया से भी गहरे हो कौन सी बात है तुम में ऐसी इतने अच्छे क्यूँ लगते हो पीछे मुड़ कर क्यूँ देखा था पत्थर बन कर क्या तकते हो जाओ जीत का जश्न मनाओ में झूटा हूँ तुम सच्चे हो अपने शहर के सब लोगों से मेरी ख़ातिर क्यूँ उलझे हो कहने को रहते हो दिल में फिर भी कितने दूर खड़े हो रात हमें कुछ याद नहीं था रात बहुत ही याद आए हो हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से अपनी कहो अब तुम कैसे हो 'मोहसिन' तुम बदनाम बहुत हो जैसे हो फिर भी अच्छे हो मोहसिन ©Jitender Kumar #GoodMorning इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो
#GoodMorning इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो #shayri #shayrioftheday #urdupoetrylines #lafzo_ki_goonj #shayari_challenge #top_newser
read moreParasram Arora
White अरबो खरबो कतरे निगलमे के बाद ही ये समंदर एक गौरवशाली सनूंन्द्र बन पाया था लेकिन आज मैं उस समय आश्चर्य से भर गया जब पहली बार मैंने उस भरेपुरे समंदर को एक कतरे मे सिमटते हुए देखा ©Parasram Arora समुन्द्र कतरे मे
समुन्द्र कतरे मे #कविता
read moreParasram Arora
White लोग आज भी मुझे उलाहना देते है कि मैं दरिया दिली से लोगो की मदद क्यों नही करता कैसे समझाऊ मैं उन लोगो को. कि अभी तो मैं दरिया का कतरा मात्र हू मुझे दरिया बनने मे एक लम्बा वक्त लग सकता है ©Parasram Arora दरिया दिल
दरिया दिल #कविता
read moreRimpi chaube
White मुश्किलों पे मुकाम,साथ चलने से होगा। हर असंभव काम,साथ चलने से होगा। कश्ती को किनारा मांझी के सहारे से मिलता है... ये संघर्षों का दरिया पार,साथ चलने से होगा।। ©Rimpi chaube #साथचलनेसेहोगा ☺️ मुश्किलों पे मुकाम,साथ चलने से होगा। हर असंभव काम,साथ चलने से होगा। कश्ती को किनारा मांझी के सहारे से मिलता है... ये संघर्
#साथचलनेसेहोगा ☺️ मुश्किलों पे मुकाम,साथ चलने से होगा। हर असंभव काम,साथ चलने से होगा। कश्ती को किनारा मांझी के सहारे से मिलता है... ये संघर् #Motivational
read moreIrfan Saeed
White मैं तेरे दिल में रहूंगा तो कहूंगा गजलें दिल के दरिया से मिलूंगा तो कहूंगा। गज़लें मेरे बहते हुए हर अश्क पे रोने वाले तेरी आंखों से बहूंगा तो कहूंगा गज़लें राहें पुर-ख़ार पे चलता है ये आशिक़ तेरा इश्क़ -ए- ग़म-ख़्वार बनूंगा तो कहूंगा गज़लें अब्र ए मुस्कान बरसता है मेरे आंखों से सहरा ए इश्क़ चलूंगा तो कहूंगा गज़लें मैं तो ज़िंदान मे था मैने मुहब्बत कर ली मुकदमा दिल का लडूंगा तो कहूंगा गज़लें ©Irfan Saeed मैं तेरे दिल में रहूंगा तो कहूंगा गजलें दिल के दरिया से मिलूंगा तो कहूंगा गज़लें मेरे बहते हुए हर अश्क पे रोने
मैं तेरे दिल में रहूंगा तो कहूंगा गजलें दिल के दरिया से मिलूंगा तो कहूंगा गज़लें मेरे बहते हुए हर अश्क पे रोने #GoodMorning #Shayari
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
read moreparas Dlonelystar
बड़ी दूर तक जाना है और किनारे पे खड़ा हूँ मैं सोच रहा कि बह जाऊं ये जो ज़िन्दगी की दरिया है नहीं होश रहा अब कोई कैसी राह और क्या मन्ज़िल है बड़ी डर तक जाना है और किनारे पे खड़ा हूँ मैं ©paras Dlonelystar #parasd #good_morning #lovequotes #Life #किनारा #मन्ज़िल #दरिया love shayari
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मेरी ये मोहब्बत उनके गोंद में यु ही तड़पती रही और वो अपने हाथों में मेरे नाम कि वो मेहंदी को लगा कर बैठा है मेरी बहुत से मजबूरी है ? मगर वो बे_बेवफा नहीं है ...... मै अपने इन आंखो में बहुत सा दरिया छुपा कर बैठा है तेरे हाथो में मेरे नाम मेंहदी का रंग लाल तो होना ही था तू जो मेरे इस मोहब्बत का गला दबा कर बैठा है हम दोनो उस महफिल में यु सिसकियां को लेते रहे ये बे_गैरत जमाना सा , हम तो अपनी इज्जत को बचा कर रखा है ,, ये खुदा अगर वो इज्जत _दार हैं । तो वो कातिल भी है ? हमारे इस मोहब्बत के वो गवाही ही झूठी है जो अदालत को सुना कर वो बैठा है ,, ,, ये खुदा मैने सुना है कि तेरे घर मे देर है मगर अंधेर नही देख मेरी ये मोहब्बत तो.... तेरे ही इंसाफ की वो आस लगा कर बैठा है ,, ©बेजुबान शायर shivkumar #international_Justice_day #justice #JusticeAndRevenge #Nojoto मेरी ये #मोहब्बत उनके गोंद में यु ही तड़पती रही और वो अपने हाथों में मे
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