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हिमांशु Kulshreshtha
White एक लंबी रात जागने के बाद हर सुबह उठते ही मुझे, मेरे ज़िंदा होने का एहसास होता है मुझे लगता है मेरा होना तमाम निराशाओं, हताशाओं,आशाओं और उम्मीदों का पर्याय है जीवन कितना भी नीरस क्यों न लगे, मेरे हिस्से की खुशियां कौन छीन पाएगा मुझसे ©हिमांशु Kulshreshtha एक लंबी रात...
एक लंबी रात...
read moreANJANA MALI
White कभी कभी अपनो के emotion मैं आकर कोई फेसला लेने से पुरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। life of right decision फैसला अगर लो तो खुद की जिंदगी के बारे में विचार कर लेना चाहिए। ©ANJANA MALI #good_night जिंदगी के फैसले
#good_night जिंदगी के फैसले
read moreVeer Tiwari
पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है, जो एक गरीब किसान हल्कू की जिंदगी के संघर्ष और उसकी विवशता को बेहद मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है। यह कहानी ग्रामीण भारत की गरीबी, शोषण, और मनोस्थिति को दर्शाती है, जो आज भी कई रूपों में प्रासंगिक है। कहानी का सारांश कहानी का मुख्य पात्र हल्कू एक छोटा किसान है, जो अपनी जमीन पर फसल उगाता है। उसकी जिंदगी गरीबी से जूझती रहती है, और कर्ज चुकाने की मजबूरी में उसे हमेशा समझौते करने पड़ते हैं। एक बार फिर से उसे कर्ज चुकाने के लिए अपनी कमाई से कंबल खरीदने का सपना छोड़ना पड़ता है, और ठिठुरती ठंड में रात के खेत की रखवाली के लिए जाना पड़ता है। पूस की ठंडी रात में वह अपने कंबल की कमी से ठिठुरता है, लेकिन उसकी हालत ऐसी है कि वह कुछ नहीं कर सकता। ठंड से बचने के लिए वह अपने कुत्ते झबरा के पास सटकर सोने की कोशिश करता है, और अंत में ठंड से हारकर वह अपनी हालत पर हंसने लगता है। कहानी का अंत यह दिखाता है कि हल्कू अगले दिन की चिंता किए बिना, उस क्षण की ठंड से राहत पाने के लिए सब कुछ छोड़कर झबरा के साथ खेत छोड़कर चला जाता है। विशेषताएं और आज के समय की तुलना 1. ग़रीबी और विवशता: हल्कू की हालत उस किसान की है, जो कर्ज, शोषण, और आर्थिक तंगी से जूझता है। यह स्थिति आज भी कई गरीब किसानों और मजदूरों की सच्चाई है, जो अपने मूलभूत ज़रूरतों को भी पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। चाहे आज की दुनिया में कितनी भी तरक्की क्यों न हो जाए, परंतु इस वर्ग के लोग अब भी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। 2. मानसिक पीड़ा और उम्मीद की झलक: हल्कू का ठंड में ठिठुरना और खुद को सांत्वना देना यह दिखाता है कि इंसान कैसे विषम परिस्थितियों में भी अपने मनोबल को बनाए रखने की कोशिश करता है। आज भी लोग कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने मानसिक संतुलन और उम्मीदों को बरकरार रखने का प्रयास करते हैं। 3. प्राकृतिक कठिनाइयाँ: कहानी में ठंड और सर्दी का ज़िक्र उन प्राकृतिक चुनौतियों का प्रतीक है, जिनसे किसान हर दिन जूझते हैं। आज भी बदलते मौसम और प्राकृतिक आपदाएं किसानों की जीविका पर गहरा असर डालती हैं, और यह समस्या आज की वास्तविकता के साथ भी मेल खाती है। सीख और संदेश संघर्ष की हकीकत: कहानी यह सिखाती है कि जीवन में असली संघर्ष बाहरी समस्याओं से नहीं, बल्कि भीतर की मजबूरियों और हालातों से होता है। हल्कू का संघर्ष उसकी गरीबी के खिलाफ नहीं, बल्कि ठंड से राहत पाने के लिए खुद से किया गया संघर्ष है। वास्तविकता का सामना: कहानी यह भी दिखाती है कि गरीबी और जरूरत के सामने इंसान की इच्छाएं और सपने कैसे बेमानी हो जाते हैं। हल्कू का अपनी हालत पर हंसना यह दर्शाता है कि वह खुद की हालत को स्वीकार कर चुका है। पूस की रात अपने छोटे कलेवर में बड़े सामाजिक मुद्दों को उठाती है और यह दिखाती है कि कठिनाइयों के सामने भी इंसान अपने मन को समझाने के तरीके ढूंढ लेता है। प्रेमचंद ने इस कहानी के जरिए वास्तविकता को बेहद मार्मिक ढंग से उकेरा है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय थी। ✍️Veer Tiwari ©Veer Tiwari पूस की रात
पूस की रात
read moreShiv Narayan Saxena
White ना अमां का समां और ये आसमां तारे झलमल करें देखता आसमां मुस्कुराते हैं अब सब दीये प्यार में मिल तो ले सनम वस्ल की रात में ©Shiv Narayan Saxena #good_night वस्ल की रात में.....
#good_night वस्ल की रात में.....
read moreRoshan tayal
कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल देते है। ©Roshan tayal कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल देते है।
कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल देते है।
read moreParasram Arora
White वो रात अकेली ही बिस्तर पर पढ़ी पढ़ी अपनी तन्हाई पर आंसू बहा कर सिसकती रहीं और मैं दूर खड़ा उसकी तन्हाई और उसके आंसुओ को पीता रहा ©Parasram Arora अकेली रात
अकेली रात
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White कल रात तुम जो आयीं मेरे ख्वाबों में एक ख़ुशनुमा अहसास हुआ जैसे तारों का झुंड उतर आया है मेरे आंगन में मैने समेट लिया उनकी चमक, उनकी महक को अपने आगोश में समेट लिया वज़ूद उनका उनकी खुश्बू को अपनी रूह में…..!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha कल रात...
कल रात...
read moreParasram Arora
White वियोग की इस रात मे मेरे. आसुओ. का हर कतरा तुमसे बतियाना चाहता हैँ तुम्हारे बगैर इस तन्हाई का हर क्षण ऐसे बीता हैँ जैसे एक पूरा युग बीता हैँ ©Parasram Arora वियोग की रात
वियोग की रात
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