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Himanshu Prajapati
White शौके जिंदगी आजाद थी, खुद के विचारों में हम गुलाम हो गए, मोहब्बत की थी बड़ी सादगी से फिर भी पुरे मोहल्ले में बदनाम हो गए..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status शौके जिंदगी आजाद थी, खुद के विचारों में हम गुलाम हो गए, मोहब्बत की थी बड़ी सादगी से फिर भी पुरे मोहल्ले में बदनाम हो गए..! #hps
#Sad_Status शौके जिंदगी आजाद थी, खुद के विचारों में हम गुलाम हो गए, मोहब्बत की थी बड़ी सादगी से फिर भी पुरे मोहल्ले में बदनाम हो गए..! hps
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
White "जिंदगी संघर्ष है रास्ते टेढ़े मेढ़े ऊंचें नीचें सफ़र में आएंगे ही मगर घबराना क्या ठोकर मारकर चुनौतियों को मंजिल पर पहुंचना ही तो मनुष्य की महानता है।" "चाहे रैंगकर चले मगर अपने बल पर चले इसी का नाम आजाद हिम्मत है।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #sad_quotes #आजाद हिम्मत#
#sad_quotes #आजाद हिम्मत#
read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
*पुष्पासन पर विराजे मां सिद्धिदात्री सुरभित सुगंधित घर आंगन करती सुख समृद्धि से जीवन संवारती सर्व समर्पण भाव से करें पूजा तन मन से गावे मां की आरती।" "आप सभी को नवें नवरात्र की आजाद हार्दिक शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri #आजाद शुभकामनाएं#
Azaad Pooran Singh Rajawat
"सबसे प्यारी मां जगदंबा हमारी कामधेनु की करती है सवारी मेवा मिष्ठान मां को भाते भक्त भी होते हैं शुद्ध शाकाहारी।" "आप सभी को दुर्गा अष्टमी की आजाद हार्दिक शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri आजाद शुभकामनाएं
#navratri आजाद शुभकामनाएं
read moreArjun Rawat पार्थ
Azaad Pooran Singh Rajawat
"शेर की है सवारी पुष्प है हाथों में निगाहों में है स्नेह मां स्कंदमाता हमारी अधर्म के लिए शक्ति देती है धर्म के लिए शांति देती है सिंह की है सवारी।" "पांचवें नवरात्रि की सभी को आजाद शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri आजाद शुभकामनाएं
#navratri आजाद शुभकामनाएं
read moreaapki_adhuri_baten
White #सुनो आप बिछड़ गए, बदल गए, संभल गए मैं भी वही हूं तबाह, तन्हा, आवारा, आजाद, ओर बर्बाद... #Radha ©aapki_adhuri_baten #World_Photography_Day #सुनो आप बिछड़ गए, बदल गए, संभल गए मैं भी वही हूं तबाह, तन्हा, आवारा, आजाद, ओर बर्बाद...
#World_Photography_Day #सुनो आप बिछड़ गए, बदल गए, संभल गए मैं भी वही हूं तबाह, तन्हा, आवारा, आजाद, ओर बर्बाद...
read moreAnand Kumar Ashodhiya
निर्भया - नई हरयाणवी रागणी वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या गया मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
Anand Kumar Ashodhiya
पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25 ©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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