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Ruchi Jaiswal
मेहंदी लगे हाथ सावन के महीने में भोले बाबा के नाम.... ©Ruchi Jaiswal मेहंदी लगे हाथ सावन के महीने में भोले बाबा के नाम....
मेहंदी लगे हाथ सावन के महीने में भोले बाबा के नाम.... #Love
read moreI_surbhiladha
White चलो आज महफ़िल में रौनक आ जाए, आपकी शायरी और कविताओं से महफ़िल सजाई जाए..!!! कुछ दफ़न हुए घावों पर मरहम लगाई जाए, इस सावन के मौसम पर लेखक की क़लम से बाहर लाई जाए..!! © Surbhi Mukesh Ladha ©I_surbhiladha #rainy_season #sawan #isurbhiladha #mauasam #सावन #सावन_का_महीना #शायरी
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read moreDR. LAVKESH GANDHI
White आया सावन आया सावन झूम के बादल आए उमर-घूमर कर चारों तरफ हरियाली छाई सावन आया,सावन आया ©DR. LAVKESH GANDHI #सावन # # सावन आया झूम कर #
सावन # # सावन आया झूम कर #
read moreAakash Dwivedi
White सावन एक और सावन सुहाना आया किस्सा वही पुराना आया आते ही उसकी हर,अदाओं ने बरसात कि.. हवाओं की खुशबू भी पुराने सावन सी .., इस बारिश के साथ हि एक ज़माना आया किस्सा वही पुराना आया अपनो से अपनेपन का सावन गैरों से उलझन का सावन किसानों के खेतों का सावन बारिश के बूंदों का सावन मेढ़क के टर्टर का सावन फिजाओं के सरसर का सावन आया सबके साथ का सावन पर... अभी न आया आपका सावन मोहब्बत के बरसात का सावन बालों पर फिरते हाथ का सावन बारिश में भीगे साथ का सावन तारों बिन आकाश का सावन बातों के विश्वास का सावन आया न कुछ बिन आपके सावन पुराने सावन से सीख कुछ हाथ में रचा रखा है आयेंगे वो दिन भी इसलिए कुछ सावन हाथों में बचा रखा है शायद ये कल्पनाएं हैं और मैंने कल्पनाओं में जीना सीख लिया अब हर सावन के किस्से होंगे जो ज्यादातर मेरे हिस्से होंगे यह सावन भी छट जायेगा बादल खुद मे बट जाएगा पुन: प्रसंग याराना आया किस्सा वही पुराना आया।। एक और सावन सुहाना आया किस्सा वही पुराना आया ।। Aakash Dwivedi ✍️ ©Aakash Dwivedi #shayri #कविता #शायरी #Friend #Poetry #दोस्ती #सावन #बारिश #AakashDwivedi
amar gupta
अब की सावन मे , मैं तुझसे मिलने आऊँगा ... शिवरात्रि आते आते अर्धनारीश्वर बन जाऊंगा । सजाऊंगा तुझको अपने माथे पर , तब चंद्रेश्वर कहलाऊँगा ... पी जाऊंगा तेरे हिस्से का सारा जहर, तब नीलकंठ होजाऊंगा ... ©amar gupta #सावन
Mohan Sardarshahari
White सावन आया रे सखी पैरों चिपकी गार बेलें लिपटी हैं वृक्षों साजन लिपटी नार। सावन की झड़ी लगे चुभे ठंडी बयार सखी लिख संदेश कोई अब घर आये भरतार। जब मोर देखूं नाचते मन में माचे शौर झूले पड़े हैं पेड़ों पर अब तो आ चितचोर। तीज त्यौंहार आ रहा सही न जाये दूरी मेरे हिरदेश तू यों बसे जैसे मृग कुंडली कस्तूरी।। गार- गिली मिट्टी भरतार -पति ©Mohan Sardarshahari सावन
सावन #कविता
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