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neelu
White मेरी नानी अक्सर कहती थी चुप रहने के तो चार कारण हो भी सकते हैं ज्यादा बोलने का तो कोई कारण होता ही नहीं है और खराब बोलने का तो अक1रण भी नहीं होता है ©neelu #GoodMorning मेरी #नानी अक्सर कहती थी चुप रहने के तो चार #कारण हो भी सकते हैं ज्यादा #बोलने का तो कोई कारण होता ही नहीं है और #खराब #बोलने
F M POETRY
White चाँद निकला तो ये महसूस हुआ.. यूँ लगा आप आने वाले हो.. यूसुफ़ आर खान..... ©F M POETRY #यूँ लगा आप आने वाले......
#यूँ लगा आप आने वाले......
read moreHARSHIT369
White बेरोजगार बिसनेस वाला नौकरी करने के अलग अलग कारण @अपनी रोजी रोटि के लिये @अपने खर्चे के लिये @अपनि पढ़ाई लिखाई के लिये @अपने परिवार के भरण पौषण के लिये @अपने व्यापार को सुरु करने के लिये ©HARSHIT369 ्#नौकरी के कारण आज का विचार
्नौकरी के कारण आज का विचार
read moreDr. uvsays
usFAUJI
भारत में बेरोज़गारी के मुख्य कारण- आप कौनसे कारण से बेरोजगार हो...??? #बेरोजगारी #jobless #India #usfauji nojoto
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मनुष्य के दुख का कारण अनेक हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुख का कारण होता हैं अपनों को खोना जो भी हमने पाया है उसको खोने से हम भयभीत हो जाते हैं और हमारे पास जो अनमोल चीज हैं अगर वह हमसे दूर चला जाए तो हमें इससे भी डर लगता हैं माता और पिता के छांव में जीवन हमने बिताया हैं और उन्हें हमसे कोई छीन ले इससे भी हम भयभीत हो जाते हैं हमने जो पैसे कमाए हैं वह हमसे कोई छीन ले तो भी हमें बहुत परेशानी में डाल देता हैं यह सब दुख के कारण हैं और निराशाजनक हैं दुख का कारण हैं हमारे अपनों का धोखा देना हमारे भावनाओं के साथ खेलना ©person दुख के कारण #
दुख के कारण #
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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि
read moreVandana Rana
White माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं। ©Vandana Rana माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं।
माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं।
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