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Anita Agarwal
जाने किस मृगतृष्णा में भटकता, इत उत चारों ओर। चेहरे पर खामोशी चाहे, मन का पंछी करे शोर।। कभी चाहिए दुनिया के, हर वैभव उल्लास। कभी चाहिए आसपास ही अपना कोई खास।। खुद की तनिक सफलता पर भी जी भरकर इतराए। दिखे गगन में और कोई तो क्यों इतना घबराए।। सोने के पिंजरे में रहकर खुश कैसे हो सकता है! मोह माया के पाश में बंध कर एकाकी हो रहता है। यह एकाकीपन ला देता है, खामोशी घनघोर। लड़ते लड़ते खामोशी से, मन का पंछी करे शोर। ©Anita Agarwal #man ka panchi
#Man ka panchi
read moreAndaaz bayan
!!1857 की क्रांति!! धधक उठी चिंगारी,सैलाब स्वतंत्रता का ये पहला था । गाय सूअर की चर्बी वाले कारतूसों ने,"घी "आग में डाला था ।। तब मौत का कोई खौफ नहीं रह गया,सीने पर गोली खाने को । जब मजबूर किया,भारतीयों को,ब्रिटिश इंडिया कंपनी के अमानुषिक व्यवहारों ने।। तब हल्ला बोला स्वतंत्रता सेनानियों ने जिनकी सूची काफी लंबी थी। (प्रमुख थे बहादुर शाह जफर,मंगल पांडे,नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह लक्ष्मी बाई ) राज्य हड़पने,धर्म परिवर्तन,रिवाजों से छेड़छाड़,जब रास ना भारतीयों को ये सब आया था।। यूं तो देशभक्ति की ज्वाला हर एक क्रांतिकारी के दिल में थी, छूटी जमीन किसानों से ,जमीदारों की रियासतों का विलय हुआ । ठप्प हुआ हस्तशिल्प कारीगरों का,बच्चों से गुरुकुल मदरसा छीना गया, ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन ने सबका बेड़ा गर्क किया।। चली गई ब्रिटिश सरकार के हाथ में ,सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत की। 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का ये निर्णायक परिणाम हुआ।।✍🏻 ©Andaaz bayan #1857revolt #1857War #poem #poems Hinduism poetry poetry in hindi
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read morewasim khan
White Hum kaha ke sache the dard pike marte the zeher pike jeete the zindagi ke dhoke mein har kisi se ladte the hum kaha ke sache the..... ©wasim khan hum kaha ke sache the...🥀
hum kaha ke sache the...🥀
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