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journalistrajashrivastava
राजीव धवन द्वार सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि का नक्शा फाड़ना ना सिर्फ़ कोर्ट का बल्कि ये प्रभु राम का भी अपमान हैं सनातन धर्म का अपमान है धवन साहब नक्शा फटे तो फिर से जोड़ा जा सकता है मगर और फर्जी सेकुलरो सहित आपकी जो कुछ फटी है वो अपरिवर्तनीय प्रतिक्रिया है! छायाप्रति-बब्बर शेर जी ✍️राजा श्रीवास्तव✍️ राजीव धवन द्वार सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि का नक्शा फाड़ना ना सिर्फ़ कोर्ट का बल्कि ये प्रभु राम का भी अपमान हैं सनातन धर्म का अपमान है
राजीव धवन द्वार सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि का नक्शा फाड़ना ना सिर्फ़ कोर्ट का बल्कि ये प्रभु राम का भी अपमान हैं सनातन धर्म का अपमान है
read moreविष्णुप्रिया
जरूरत है स्वरुप अनुसंधान की । स्वरूप अनुसन्धान... अर्थात् अपने मूल भूत स्वरूप का अनुसंधान करने से है । स्वरूप अनुसंधान अर्थात अपने मुलभुत स्वरुप का अनुसन्धान करने पर मनुष्य पता है कि, ईश्वर के साथ उसका सम्बन्ध न तो कहीं से आता है, न कहीं जाता
स्वरूप अनुसंधान अर्थात अपने मुलभुत स्वरुप का अनुसन्धान करने पर मनुष्य पता है कि, ईश्वर के साथ उसका सम्बन्ध न तो कहीं से आता है, न कहीं जाता
read moreआशीष के अल्फाज
********* कठिनाइयों में संतुलन रखिए! *********************** "कठिनाइयाँ" जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अपने लिए उपयोगी बना सकता है और "कठिनाइयों" को जीवन का विरोधी मानकर उनसे दुःखी और परेशान होकर मनुष्य अपनी ही हानि भी कर लेता है ।कठिनाइयों में रोना, हार मान लेना, निराशा और अवसाद से ग्रस्त होना अपने विश्वास के मार्ग को छोड़ बैठना ही है ।वस्तुतः कठिनाइयाँ इतनी भयंकर और कष्टदायक नहीं हैं, जितना बहुत से लोग समझते हैं! जिन "कठिनाइयों" में कई व्यक्ति रोते हैं, मानसिक क्लेश अनुभव करते हैं, उन्हीं कठिनाइयों में दूसरे व्यक्ति नवीन प्रेरणा, नव उत्साह पाकर सफलता का वरण करते हैं ।* इस तरह कठिनाइयाँ अपने आपमें कुछ नहीं हैं वरन मन की स्थिति से इनका स्वरूप बनता है!मन और कठिनाइयाँ सापेक्ष है!सबल मन वाला व्यक्ति बड़ी कठिनाई को भी स्वीकार करके आगे बढ़ता है तो निर्बल मन वाला सामान्य सी कठिनाई में भी निश्चेष्ट हो जाता है! निर्बल मन तो अपनी कल्पनाजन्य कठिनाइयों में ही अशांत हो जाता है! नियति के नियम अजेय एवं अपरिवर्तनीय हैं । मानव जीवन में होने वाले परिवर्तन भी इसी के अंतर्गत होने से ध्रुव सत्य हैं । जीवन में आने वाली कठिनाइयों की जड़ में भी यही है । इस तथ्य को हृदयंगम कर कठिनाइयों में भी संतुष्ट, संतुलित रहने वालों की जीवन यात्रा सहज गति में चलती रहती हैं । अनेक विपरीतताएँ भी उनका मार्ग नहीं रोक पाती । छोटी - बड़ी कठिनाई उनके लिए इसी तरह महत्व रखती हैं जैसे रात और दिन, सरदी और गर्मी । ©आशीष के अल्फाज ********* कठिनाइयों में संतुलन रखिए! *********************** "कठिनाइयाँ" जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अ
********* कठिनाइयों में संतुलन रखिए! *********************** "कठिनाइयाँ" जीवन की एक सहज-स्वाभाविक स्थिति है, जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अ
read moreashutosh anjan
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर चिंतन लेख 👇 कैप्शन में पढ़े। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर चिंतन ▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️ यूनान, मिस्र, रोमां सब मिट गए जहां से अब तक मगर है बाकी नामोनिशां हमारा। कु
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर चिंतन ▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️ यूनान, मिस्र, रोमां सब मिट गए जहां से अब तक मगर है बाकी नामोनिशां हमारा। कु
read moreसाहस
इस्लाम की आलोचना कैसे करे! 👶👤READ IN BELOW CAPTION👤👶 👇✍️ 🙏 👉 👇 👉 👇 👉 👇 👇 👇 👇 👇 👇 👇 👇👇👇👇 👇 👉 👉 👇 👇 👉 👉👇👉👇 #yourquotebaba#yourquotedidi#yourquotefamily#PC ◆ इस्लाम की आलोचना कैसे करें? --------------------------------------------- सौ साल पहले, 1
#yourquotebaba#yourquotedidi#yourquotefamily#pc ◆ इस्लाम की आलोचना कैसे करें? --------------------------------------------- सौ साल पहले, 1
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