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Stories related to नया गांव पिपरिया

Parasram Arora

नया कोतवाल

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White बड़े खुश नजर 
आ रहे हो तुम 
एक नए कोतवाल के 
आने पर 

शायद ये कोतवाल 
तुम्हारे गांव का हो 
और तुम्हे अपने गुनाहो 
के लिए मिलने वाली 
सज़ा से थोड़ी छूट
मिलने की गुंजाईश दिख
रहीं हो

©Parasram Arora नया कोतवाल

Parasram Arora

नया आविशकार

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White दंग रह गया मै धरती 
की ये बड़ी बड़ी  दरारे  देख कर

कहीं ये  भबीध्य मे आने वाले 
भूकंपो के  आने की शुरुआत न हों

आज मैं    हैरा हुआ 
एक बरगद को  गमले मे 
उगते  देखकर 

कही ये  बिज्ञान की 
किसी उपलब्धिका का कोई 
नया आविश्कार न हो

©Parasram Arora नया आविशकार

Parasram Arora

नया प्राणी

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White ताउम्र 
जिदगी को 
लपेटते लपेटते एक 
दिन मृत्यु तक जा पहुचे 

और तभी  अनंत 
को  चीरता   हुआ 
एक नया प्राणी 
उस मृतक की 
रिक्त जगह को 
भरने  धरती पर 
अवतिरत हुआ  था

©Parasram Arora नया प्राणी

Veer Tiwari

गांव की एक शाम ....

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रात के 9:00  बज रहे हैं, और गाँव की गलियों में एक सुकून भरी ठंडक घुली हुई है। गली के दोनों किनारों पर लगी स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी चारों ओर बिखरी हुई है, जो गाँव की सड़कों को चाँदनी जैसा उजाला दे रही है। गर्मी अब विदा लेने को है, और ठंडी हवा के झोंके जैसे इसे अलविदा कहने के लिए हर तरफ हाथ हिला रहे हैं।

गाँव की यह रात किसी बड़े शहर की चहल-पहल से अलग है—यहाँ की सड़कों पर अब हल्की रौनक बची है। कहीं-कहीं लोग अभी भी अपने घरों के बाहर बैठकर हँसी-मज़ाक कर रहे हैं, और कहीं दूर से मोबाइल की धीमी-सी धुन सुनाई दे जाती है। खेतों के किनारे खड़े बिजली के खंभे और उनके तारों पर बैठी चिड़ियों की आवाज़ें अब शांत हो गई हैं, और सड़कों के किनारे लगे पेड़ हवा के साथ धीरे-धीरे हिल रहे हैं।

चार-पाँच दिन बाद दिवाली है, और उससे पहले यह ठंडी रातें जैसे त्योहार का आगाज़ कर रही हैं। यह सिर्फ़ मौसम का बदलाव नहीं है, यह एक नई ताजगी और उम्मीद का संकेत है। जैसे ही हवा के झोंके पेड़ों से टकराते हैं, उनकी पत्तियाँ हौले से फड़फड़ाती हैं, जैसे गाँव का हर कोना इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहता हो।

आसमान में चमकते तारे और एक साफ चाँद की रोशनी, स्ट्रीट लाइट्स की पीली चमक में घुल-मिल गई है। सड़कें अब लगभग खाली हैं, पर कुछ गाड़ियों की लाइट्स अभी भी गाँव की सड़कों को पार कर रही हैं। यहाँ की रातें अब बस आराम और सुकून की होती हैं, जहाँ लोग अपने दिनभर की थकान को भुलाकर थोड़ी देर ठंडी हवा में बैठे रहते हैं।

गाँव का यह दृश्य—साफ सजी-धजी गलियाँ, बिजली की रोशनी, और चारों ओर फैली हल्की ठंड—मन को एक अलग ही सुकून देती है। यह आधुनिकता और गाँव की सादगी का एक सुंदर मेल है, जहाँ रातें सिर्फ़ आराम की नहीं, बल्कि एक नए एहसास की भी हैं। धूल और हवा में तैरती ठंडक, ये सब मिलकर एक नया सुर रचते हैं, जो सीधे दिल तक पहुँचता है।

यहाँ की रातें, यह शांति, और हर जगह की अपनी कहानी—सब कुछ मिलकर एक ऐसा अनुभव रचती हैं, जो बहुत गहरा और मनमोहक है। यह गाँव का नया रंग है, जहाँ आधुनिकता के साथ गाँव की आत्मा बरकरार है, और हर रात उसकी अपनी ही एक नई कहानी बुनती है।

©Veer Tiwari गांव की एक शाम ....

शुभम मिश्र बेलौरा

#Sad_Status गांव का शहरी

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White  गांव का शहरी 
जब गांवों से पढ़ने निकले थे लक्ष्यों का अंबार लिए,
माता पिता और गुरु दोस्त के सपनों का किरदार लिए।
मक्खन रोटी के डिब्बे में नानी के दिये अचार लिए,
दादी दादा के लाड प्यार में घुले हुए संस्कार लिए।
शहर पहुंचते ही ये सब धीरे धीरे छूट गये,
चमकीले चौराहों पर सब कन्ठी माला टूट गये।
शहर पहुंच कर शाम को जब सब्जी लेना शुरू किया,
पहली बार birthday में जब छोटा सा pack पिया।
गांवों में उठने के वक्त अब शहरों में डेली सोता हूं,
उठते ही पहले टपरी पर चाय सिगरेट पीता हूं।
शहरी बनने के चक्कर में मेरा गांव ही पीछे छूट गया,
गांव शहर की होड़ में मेरा लक्ष्य भी मुझसे रूठ गया।

©Shubham Mishra #Sad_Status गांव का शहरी

Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

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White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर

भागवत मरावी

नया शायरी

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मलंग

#नया

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White जब कभी अपको किसी पुराने काम करना हो तब
अनुभवों के बोझ  में दबने से अच्छा है,
 की काम को नए तरीके से किया जाय।

©मलंग #नया

बदनाम

गांव

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मारवाड़ी छोरी

गांव से घर की और

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