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बेजुबान शायर shivkumar
White तुम रह्ते हो खयलो म्र् ©बेजुबान शायर shivkumar तुम पास ना होकर भी , तुम रहते हो मेरे #साथ मे इन #अंधेरी गलीयों को यु , तुम करते हो इन्हे रौशन इस बंजर से बाग को , तुम्ही तो #महकाते हो
Rakesh frnds4ever
White क्यों न रो पाए कोई कोई न सो पाए कोई दुनिया जिस परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह में चुपके छुपके आहें भर रहा है कोई क्यों न रो पाए कोई क्यों न सो पाए कोई जीवन की तमाम हर उदास / अंधेरी रातों में जहां लोगों को किसी अपने के कंधे ओर साथ के साए मिलते हैं वहीं उन तमाम अंधेरी / उदास / कहर बरपाने वाली रातों में संपूर्ण खामोशी से चीखता है कोई,, क्यों न चंदा है कोई,,,,,,,,,,,,,क्यों न सवेरा है कोई क्यों न रो पाए कोई ,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों न सो पाए कोई....१... ©Rakesh frnds4ever #क्यों_न_रो_पाए_कोई #कोई_न_सो_पाए_कोई #दुनिया जिस #परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह
#क्यों_न_रो_पाए_कोई #कोई_न_सो_पाए_कोई #दुनिया जिस #परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह
read moreMiMi Flix
"चतुर नन्ही चींटी की कहानी – आग, चुनौतियाँ और दोस्ती की शक्ति: Captivating and Heroic Tale" - इस रोमांचक जंगल की कहानी में, देखें कैसे नन्ही
read moreMysterious Girl
हे माँ! जब-जब मैं अंधेरों से डरी, तब-तब तूने इससे लड़ने की शक्ति दी..! इस अंधेरी दुनिया में जब भी मैं भय से सिमटी, तूने साया बन मेरे इस भय क
read moreJayesh gulati
White मेरे कुछ शेर संदर्भ में पढ़े। (Please read the caption) ©Jayesh gulati जब तुम्हारी जरूरत थी, तुम थे नहीं । अब तुम हो, मगर तुम्हारी जरूरत नहीं ।। .................... ना वो सवाल करती है, ना कोई जवाब देती है ।
जब तुम्हारी जरूरत थी, तुम थे नहीं । अब तुम हो, मगर तुम्हारी जरूरत नहीं ।। .................... ना वो सवाल करती है, ना कोई जवाब देती है ।
read moreNiaz (Harf)
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
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