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Rakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreRakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक!!!!??!!! रोना धोना आखिर कब तक !!??!!!! जीवन के सफ़र में कोई साथी न संगी न चेला कोई हर पल हर दम हर बार, एक अकेला मैं,,, आखिर कब तक !!???!!! रिश्ते नाते अपने पराए किसी भी हम रास ना आए हमने तो सब अपने बनाए,,,, पर,, अपनों में ही केवल ,,,मैं ही,,,, बेगाना आखिर कब तक !!??!!! कहना सुनना आखिर कब तक !!!??!!?? सहना सहना आखिर कब तक !!???!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना #आखिर_कब_तक , #रोना_धोना आखिर कब तक #जीवन के सफ़र में कोई साथी_न_संगी न चेला कोई हर पल हर दम #हर_बार , एक अकेला मैं आखिर कब
#कहना_सुनना #आखिर_कब_तक , #रोना_धोना आखिर कब तक #जीवन के सफ़र में कोई साथी_न_संगी न चेला कोई हर पल हर दम #हर_बार , एक अकेला मैं आखिर कब
read moreShashi Bhushan Mishra
ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी दुष्टों की दुष्टता आज रावण से भारी है गैंग रेप और बदचलन की प्रवर्तिया होती हावी है हर साल जलाते बुराइयों के रावण फिर भी हैवानियत के रावण पनप जाते है कल्पना रामराज्य की मगर कुछ संरक्षण सत्ता का पाते है विजय पर्व है बुराइयों को जलाने का जीत आदर्शो और अच्छाइयों को दिलाते है चरित्र और नैतिकता निखरे जग में मर्यादा में,राम की सब बंध जाते है विजय स्वयं की बुराइयों पर पाओ कब तक रावण यू ही फूकोगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Dussehra विजय स्वयं की बुराइयों पर पाओ,कब तक रावण यू ही फूकोगे #nojotohhindi
#Dussehra विजय स्वयं की बुराइयों पर पाओ,कब तक रावण यू ही फूकोगे #nojotohhindi
read moreParasram Arora
White इस दुनिया का हर देश और प्रत्येक आदमी आश्वत है कि जल्द आयेगी वो घडी ज़ब दूनिया मे एक क्रन्तिकारी परिवर्तन होता हुआ दिखेगा इस घड़ी की प्रतीक्षा हर युग मे की गई लेकिन कुछ भी बदलता हुआ हमें दिखा नही है आज तक ©Parasram Arora कब आएगी वो घड़ी
कब आएगी वो घड़ी
read moreF M POETRY
White कब मिलेगी मुझे मेरी मंज़िल.. यूँ सफर करके थक चुका हुँ मैं.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #कब मिलेगी मुझे मेरी मंज़िल
#कब मिलेगी मुझे मेरी मंज़िल
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