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New जागतिक पर्यावरण दिन Quotes, Status, Photo, Video

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technical sunny aarti Sunny Khude

जागतिक टपाल दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा tssk technical sunny sunil khude 9 oct 2024 #Shorts

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हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन..

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White एक दिन
जो कभी गुजार पाऊँ
तुम्हारे साथ..
किसी झील के करीब
दूर से आता देख तुम्हें
इंतजार की पीढ़ा भूल
हाथ उठा कर बुला लूँ
तुम्हें नज़दीक
तुम्हारे हाथ बढाने
और मेरा हाथ थाम
देखते रहें एक दूसरे की आँखों में
ख़ामोश रहें होंठ
बातें आँखों से कर लें हम
जी लें उन चंद पलों में
एक पूरा जीवन
इस क़दर ख़ामोशी दिल की
धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम
ख्वाहिश छू लेने की
एक भीगे से चुम्बन की
महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित

©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन..

technical sunny aarti Sunny Khude

जागतिक स्वच्छ्ता दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा tssk technical sunny sunil khude 2 oct 2024 #Shorts

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Santanu Das

बादल दिन

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हिमांशु Kulshreshtha

एक दिन...

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White एक दिन
शायद …
खत्म होगा इंतजार…
बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन...

vsfsaifkhawaza

दिन #vsfsaifkhawaza

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White सूरज ढल जाता है
ऐसे ही दिन गुजर जाता है

©vsfsaifkhawaza दिन 
#vsfsaifkhawaza

Parasram Arora

वो दिन

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White वो  दिन ज्यादा 
दूर नही  ज़ब 
न मौसम बदलेगा 
न आदमी की नियत 
या गंदी आदते बदलेंगी 

लेकिन ये पृत्वी 
अपने अक्ष पर 
वैसे ही घूमती 
ठेगी जैसे अब तक 
युगो से घूमती  रहीं है

©Parasram Arora वो दिन

kavi Dinesh kumar Bharti

Ram Yadav

White ये सारे देवता,,, 
जंगल, नदियों, पेड़ों, जानवरों, पहाड़ों....
के पास क्यों मिले????

क्यों वो कंक्रीट के साम्राज्य में अध्यात्म नहीं खोज पाए????????




ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् । 
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदबित् ।। गीता : 15.1 ।।


हरि ॐ

©Ram Yadav #Krishna #अध्यात्म #भारत #पर्यावरण

Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण  कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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