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Stories related to ज्योतिषाचार्य पंडित शैलेंद्र पांडे

Shailendra Anand

शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक,,16,, नवम्बर 2024
वार। शनिवार
समय। सुबह पांच बजे
््निज विचार ््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
 ्््ऐ नज़र ््््निजविचार्भावचित्र ्
  ्शीर्षक ्
ऐ नज़र 
     बड़े खुश नसीब है वो,,
     जो अपने होते नहीं देख सकते थे।।1।।
    जिन्हें अपना कहते थकते नहीं थे,,
    वो लफ्जो से आस्तीन के सांप बन गये।।      
     देखें सपनो में खो गए ऐ नज़र,,
     वो लफ्जो का नूर काफ़िर बन गया।।3।।
     कहने को परखना तन मन नहीं,,
     ये पूतला माटी का नही है।।4।।
      ये इबादत अकीदत पेश किया गया,,
      मेरे हजूर नबी की खिदमत में पेश है।5। 
      ये अल्फाज़ नगीना है नूर है,,
      ये साफ़ आयना मेरे ज़िगर से है।6।
        ये ईमान लिखूं या प्रेम की हकीकत,,
        ऐ नज़र इश्क में जो कुछ लिखा गया,, 
         वो मतला तेरे ख्यालों का,,
         ये नूर ए नज़र रुहानी जिंदगी का।7।
          यूं ही पत्थरों को तराशते रहे,, 
         किसी कि याद में  जिंदगीसवार दी।8।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््                
            किसी की यादों में हम दिलों सए

©Shailendra Anand  शायरी दर्द
्््््कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#happy_diwali भक्ति गाना ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक ््2नवम्बर 2024
वार शनिवार
समय दोपहर चार बजे
्््निज विचार ््
््््शीर्षक ््
््््प्रेम में प्यार में जीवन में कुछ लगन से अपने वैचारिक रूप ही आनंद ख़ुशी है ््
प्रेम अनंत शब्दयोग महान है जो कि एक बार तो,,
ऐसा लगता जैसे ही जिंदगी में आंखें खोल कर देख रहा है ईश्वर सत्य है ।।
दिल से दिल कि बात सुन सका नहीं,,
वल्कि अप्सराओं से अपनी बात को राह दिखाने में,,,
 एक बार तो मुझे लगा कि तू मूझसे बेखबर है।।
प्रेम में अटूट विश्वास प्यार करने वाले अच्छे लगते है।।
 कथन सच्चाई यह दोस्ती में बदल रहे परिवर्तन शील समाज सभ्यता संस्कृति में स,
मकालीन परिदृश्य में नजर आएंगे दीप प्रज्जवलित ,,
आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक आनंद ही जिंदगी का नाम नहीं लिया गया है।।
मनुष्य शरीर में एक बार एक जीवंत प्रयास है,
 दीप से पूजा करें जनसेवा ही मानव जीवनशैली में प्यार हो जाता है,,
 तो नवदम्पत्ति में कुछ लगन से कार्य करना शुभ संकेत है।।
मैं जिंदगी में एक बार फिर दिल से एक नई पहचान मिली तो ,
वह अपने मकसद सम्बोधन में आंखें देख रही है प्रेम शब्द से ही आनंद आता है ।
समय यात्रा गतिशील है कर्म में विश्वास प्रगति से जीवन व्यतीत हो यह जरूरी है,,
यम द्वितीया तिथि पर विशेष ध्यान भाई बहन में,
 अटूट आस्था और विश्वास प्यार करने वाले अच्छे लगते है।।
यह कथन अपनी अपनी जगह पर एक नया मोड़ माया से,,
 मोहित होकर ईश्वरीय शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति से अर्जित किया गया है।।
छाया चित्र में दिखाया गया दीपक ने अदभुत झलकियां संवाद,
अनुकरणीय उदाहरण देकर अपने मकसद में सफल रही है ।।
दीप जलाना सीखो जो जीना सिखाता है,,
 सच्चा आनंद ही जिंदगी में एक सपना जीवन में,
 एक बार फिर दिल से एक पूजा अर्चना करने वाले ,
को राह दिखाने में कामयाब हो।।
यह प्रयोग शुक्ल पक्ष दुज में एक प्रेम कहानी में एक ख्वाब सहेजती है,,
 जो बिल्कुल भी इन्सानी मानस में शास्त्र और अध्यात्म,
 चेतना जागृत ज्ञान दर्शन करने वाले को राह दिखाने में क्या बात हुई है।।
यह प्रश्न प्रतिप्रश्न प्रशंसक हैं और कठोरतम प्रयास किया गया ईश्वर सत्य है,,
यह एक ऐसा सवाल देश धर्म संस्कृति और सभ्यता संस्कृति में ,,
समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी अदृश्य शक्ति दिव्यता,
 कोटीश्यं प्रमाणितं ब़म्हकर्मसाक्ष्य से सजाया गया है
। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
2नवम्बर 2024




्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
2,, नवम्बर 2024

©Shailendra Anand #happy_diwali  भक्ति गाना
्््््कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक,,,,11,,,,,10,,,,2024
वार  ,,,,, शुक्रवार
समय,,,, सुबह   आठ   बजे
््््निज विचार ््््
्््््ववशीर्षक ््््््
््््भावचित्र मां सिद्धिदात्री के मनोरम शारदीय  नवरात्र  पर्व  काल  का ,,
 नवम दिवस नवदात्री सिध्दीप्रदायनी सिद्ध कवच सिध्दीसाधक तंत्र, मंत्र, यंत्र , 
सभी जीवों में मनुष्य त्तत्व ज्ञान दर्शन में एक स्वर ऐं ध्वनि में चराचर जगत सृष्टि में ,,
जो प्राणतत्व मूकदर्शक बने हैं ्््
वहीं है इन्सान का जिन्स और जानवर या अन्य किसी भी प्रकार के चराचर जगत में, 
जींव जीवाश्म प्राणी जन्तु जगत में,
एक समान जिन्स सिर्फ सिर्फ एकमेव नियती प्राणतत्व प्रतिमान स्थापित होते हैं ््
जो जीवन में जन्म से नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति कर्म से ,,
भाग्य विधाता सर्वग्य की असीम कृपा से जन्मा विचार सच ही जिंदगी कहा गया है।।
हमें यह भी समझना जरूरी है जो जीवन का कमंयोग आधार सूत्र है वह अदभुत है,,
जो भूखे को रोटी और प्यासे को पानी निर्धन व्यक्ति को कपड़े ,,
और रहने वाले को मकान गृहप्रवेश से अपनी रूह में वक्त नहीं ज़रुरत पर आधारित जिंदगी में ,
प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी आमदनी का दश्मांश पीड़ित, रोगी, कौड़ी, असहाय ,और अनाथ बच्चों 
और विकलांग बच्चों में अपने कर्म से ,यथाशक्ति अन्नदान महादान जो हो सके उतना ही सुन्दर आंनद है।।
,,जो शेष है अवशेष है जो हरि के हर में,,काल के भाल में,,
पल क्षण के घटी प्रति विष और अमृत घट घट में ,,
लूफ्त उठाते परिजन में गुजर रही आकुलता से ,व्याकूलता में गुजर रही
 चींटी से भी अधिक समय तक यात्रा गतिशील रहती है ।।
लेकिन सूखद परिणाम एक जूटता एकता का परिसूत्र है ।।
पर्वकाल, त्योहार, जिसे आप और हम दिलों से एकजुट होकर,,
 ईश्वरीय वरदान से सजाया गया जिसे हम अनुसरण करें।।
 जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है।।
जिसका परिपालन देश के नागरिकों को अपनी दिशा लेकर चलते हुए 
अन्तिम समय तक जीवित रहे तब तक का मन्सुबे को राह दिखाने वाले ईश्वर सत्य है।।
अन्तिम यात्रा परिवर्तन शील समाज में सुधार हो,,
यही संकल्प सिद्धी ऐकत्व एकमेव नियती स्वसंगठन ,
निष्ठ विदूषियो विचार सच सनातन विचार में निहित युग परिवर्तन है।।
यही सच्चाई देखकर सहसा ही जिंदगी में एक पड़ाव गुज़र गया है,,
यही खुशहाली में वक्त लगता है।।
दिलचस्प बात यह कि इन्सान को इन्सान अपना समझते हुए ,,
जीवन सफल बनाएं यही सही अर्थों में शब्द से जन्मा विचार सच है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
11,,,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand #navratri  भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#sad_quotes भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक,,10,,,10,,,2024,,
वार,, गुरुवार
समय,, सुबह ्््पांच बजे
्््निज विचार ्््
्््मां चामुण्डा से प्रार्थना मेरी ्््
मैं जलचर रजनीचर तल वितल ,
रसातलमें पहुंच चुकी हूं,,
मां भवानी नरमुंडधारिणी मां चामुण्डेश्वरी ,
 जीव चराचर इस जगत में, ।। 1।।
मनोहारणी आनंदकरणी  जाने अंजाने,
मां शब्द में मैं तेरा अनौखा सा खिलौना हूं।। 2।।
मैं मिथला की जनकनंदिनी मां जगदिश्वरी,
त्रैलोक्य विजय प्राप्त मर्यादा पुरुषोत्तम दशरथनंदन नाम है,,, 
सुंदर करुणा निधान अवधेश नरेश सदग़ंन्थ में है ।। 3।।
मैं रथसारथी मन की फिरकनी फैरते,
 पल क्षण क्षणिका के एहसास से तू ही जिंदगी है,,
 और मैं मिट्टी का एक पूतला हूं।। 4।।
मांं तेरी श्वासो में  मै  रचता बसता हूं, 
शब्दों की प्रेम सुधा में लिपटा ,
जीवन रस के पल प्रतिपल में ,,
प्रेम गान संगीत पान अमृत बरसाता जीवन में,,।।5 ।।
 प्रेम रस माधुर्य  मै रस गंध सुंगन्ध ,लेकर आयी,,
मां तेरे जयकारे लगाते है मांई के व्दारे व्दारे।।6 ।।
मन उदास है मांई मेरा तो हे मांई,,
 कुछ तो करो,ये अरज हमारी पहचान है मेरी,।। 7 ।।
मां पहाड़ों वाली मेरी अग्नि परीक्षा मेंप्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में,,
तुम रचती बसती मेरे दिलो में , तुम मेरे कारज पूर्ण करो।। 8।।
मां  तेरी रगो से बहता वो रक्त मेरी रग रग में रचा बसा हुआ,,
 मस्ती खुशी आनंद लें जो कोमल सी अपनी रूह में समा गई ,।।9 ।।
तस्वीर तुम्हारी मां ऐं ध्वनि से स्वहोम में,आया तेरे दर पे, 
मन्नत मांगने वाली,बात नहीं है जो तेरा है,
 वो दुसरे का वो हो नहीं सकता ।। 10 ।।
दर्शन करने वाले तेरे रुप अनेक निराले हैं,,
किस अंन्दाज में वो  तुम बखुबी से मिल जाती हो,,
ओ मांई तेरे उन शब्दों के भाव से ,तुम मन प्रसन्न कर जाती हो ।। 11।।
तेरे कहे ख्याल में मां छुपे स्वपन हमारे है पूर्ण करो मांई मेरी,,
तेरे हवाले हैं मेरी कश्ती पार लगा देना दो मेरी बस्ती,।। 12।।
मेरा जीवन क्षण भर का कब हवा निकल जाय पता नहीं,, 
मां विंध्यवासिनी देवी मेरी कूलदेवीऔरभैरवमहाराज नामली रतलाम में हो,। 13।।
तुम्हारी मधुर मुस्कान मन्द मन्द अधर पर,,
 वाणी लिये खुद ही मेरी जिंदगी में आशीष दो मां ।। 14।।
 गन्धर्व की नगरी देवास में मां चामुण्डा माता से सजाया गया है,,
यह सपना हो पूरा प्यारा सा फूलों सा निर्रमाल्य है,।। 15 ।।
यह जीवन  का सारतत्व है जो गंगा,गौरी शंकर,रुद्राक्ष माला में,, 
 रचना संवरचना की गंगा गौरी है जो वो सार है,।। 16 ।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
10,,,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand #sad_quotes  भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्ति संगीत कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक छ,,10,,,10,,2024
वार,,, गुरूवार
 समय सुबह ्््पांच बजे
््््निजं। विचार ््््
्््शीर्षक ््््
छायाचित्र में चल और अचल संपत्ति 
मान कर चल सकें,,
अकूत संपत्ति में वृद्धि सम्रद्धि चाहता हो,,
 प्यारा सा जीवन में मिला है,यह अनोखा आनंद
 जो मानवता पर जीना चाहता है ््््
मां का अष्टम भाव में स्थित निश्चल भाव से,
शारदीय नवरात्र पर्व काल में अश्विन मासे शुक्ल पक्ष
अष्टमी तिथि पर शरद रीतु श्रीमुख से निकलने वाली,,
 अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में सिर्फ,
 त्वमेव त्वमेव माता महागौरी शाक्म्बरी दैवीय ,
शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
मां महागौरी में महालक्ष्मी का दर्शन पा जाऊं यही मेरी कामना है ,
जो धरती पर साकार लोक सेवा भाव समर्पित करिष्यामि,,
 एकादश भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता में ,
एकादशी सुफल दायनी करिष्यामि नमन वन्दंनीय है।।।
मां यशोधरा यश तेजोमय दिव्य ज्योति प्रकट हो,,
अखण्ड दिव्य चक्षु खुल कर देख रही है।।
प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण अज अनादि अनंत परिपूर्ण शब्दयोग,
 महान शब्द शिल्पी शिल्पकार मन मोह लेती हैं।।।
तुम जगत में एक स्वर में प्रेम गान में एक स्वर में कहा है,,
सबमें अनूठा प्रभावी है,
जो धरती से अपनी रूह में वक्त और हालात में,,
जिससे हम जीवन में कुछ लगन से कार्य करने वाले ,
अच्छे से अच्छे संबंध से जुड़ा हुआ महसूस होने लगे तो
 एक बार एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं।।
मैं मां का स्वरूप में स्थित सोच में खोकर सपनो में,,
 प्यार में डुब चुका हूं अन्तर्मन से मां आप मेरे को सहारा देकर
 आत्म निर्भर बना सकती हो, मैं निर्धन व्यक्ति हूं।।
मां आपके श्रीचरणों में मुझे सीधे से आप अपने आप,
 कोई ऐसा काम कर मेरे कारज पूर्ण करो।।
 तूम मैं निर्रामूर्रख हूं,
 मां आप की शक्ति ही मेरी ताकत बन सके।।
 ऐसा कोई अभिप्राय ईश्वर से प्रार्थना मां मेरी चिंता आप दूर करो ,,
जो भी है वह सब कुछ तुम्हारे हवाले हैं।।
यह कथन सच्चाई है जिसे मैं जानता नहीं यह चुनौती हमारी,
अपनी रूह में गुजर रही है जो राह बनाई है।।
जिसमें मुझे सीधे से कोई राह दिखाई दे नहीं रही है ,,
आप ही जिंदगी में हो मेरी पहचान है यही आज है ,,
कल भी आपके श्रीचरणों में हूं काल के भाल पर जिंदगी है ,,
तुम्हारे हवाले श्री शैलेन्द्र आनंद जो चाहो,,
 वो करो आप मा में तेरा लाल हूं।।
्््भावचित्र ््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
10,,,,10,,,2024,,,

©Shailendra Anand #navratri  भक्ति संगीत
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्ति संगीत कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक,,,,9,,,,,10,,,,2024,,,
वार,,,, बुधवार,,,,
समय,,,, सुबह,,, पांच बजे,,
््््निज विचार ्््
,,,्््भावचित्र ््््
््््््शीर्षक ्््््
छाया चित्र में दिखाया गया शारदीय नवरात्र, के पर्व
  अश्विन मासे शरद काले रीतु में सतम दिवस,,
 मां कालरात्रि श्च चित्र में दिखाया गया,,
 रौद़स्वरुप में अखिल विश्व में,
अदभुद चित्र ही मानव जीवन में भी निखार आ रहा है
मृत्युलोक में कर्मलीला कर्मशील में,
नायक बम्हदेव ने मां भगवती दुर्गा पूजा चरण,
 सातवे दिन में कालरात्रि में आत्माओं का,,
विचरण अनेक निराले अंदाज में वायुमंडल में,,
 वीभत्स रूप से मां कौशकी दैवीय शक्ति,
 दिव्यता में रक्ताम्बरी असूरमंर्दृनी मां शब्द के रुप श्रंगार में,
 स्वर्ण रजत कांस्य प्रतिमा पर माल्यार्पण मुण्डमालाधारणीके,
किया गया ईश्वर दैवीय शक्तियों में कालिकायै नमः
के जयकारे लगाते मय्या तेरे व्दारे व्दारे ्््भावचित्र है
रणभूमि में आंखें तेज प्रचण्ड अग्नि सी ज्वाला सी,,
 सकल जगत में दूरात्माओ के भयमुक्ति में,
संत समागम भक्ति भाव में दर्शन करने वाले,
रुप स्वरुप में आकाश लोक से सप्तम श्रृषी मुनि ,
संन्यासी के तंत्र मंत्र यंत्र तंत्र तंत्रिकाओं से,
 सजाया गया साधक साधना तपस्या खुद से खूद में,
 खोकर हासिल सिध्दियां सिध्दि में मंत्रशक्ति ही,
आनंद करणी माता च पारवती देवी गन्धर्व नगरी,
 मध्यप्रदेश देवास में मां कालरात्रि मां चामुण्डा देवी के रूप में,
 एक जीवंत कलाकृति को परखना ही मां के दर्शन में ,
शैलेंद्र आनंद के निज विचार श्रीचरणों में अर्पित करते हुए,
 जीवन सफल बनाएं।। यही कामना है।।
 मेरी स्वरचित रचनाएं में मानव मात्र में जीवन यापन सफल बनाएं ,,
जीवन फूलों पर जिंदगी में एक स्वर पुकार ,
नाद ऐं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः।। ््।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
9,,,10,,,2024,,,

©Shailendra Anand #navratri  भक्ति संगीत
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्ति संगीत कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक ्््8,,,,10,,,,,,2024,
,,वार,,,, मंगलवार,,,
समय,,, सुबह,,, पांच बजे
्््््निज,,, विचार ्््
्््शीर्षक ््््
्््भावचित्र ्््
््््््शारदीय नवरात्र शरदरीतु अश्विनमासे मासे शारदीय नवरात्र पर्व,,
काल षष्ठी तिथि मां शब्द में प्राणपण समर्पण भाव से ,
मां कात्यायनी देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास जिले देवास में,
 खुशहाली और उसके बदले में कुछ अरमान जगाती हैं।।
 मां चामुण्डा देवी तुलजा भवानी के सानिध्य में ,
मां कात्यायनी देवी के श्रीचरणों में शैलेंद्र आनंद,,
 सबकी बातें रश्मि प्रभा के सुर्य प्रभात में मनोकामना पूर्ण करे ।।
मां चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी देवास वासियों ,
की मंगलमय मंगलाचार हो ््््।
मैं तो आपके लिए एक ही पल क्षण भर का पानी का बुलबुला हूं,,
आपके विचार सच में ही रमता जोगी बहता पानी बन कर रचता बसता हूं।।
जो जीवन आपने दिया वह अपरिवर्तनशील दस्तावेज,,
 उदगम स्थल पर निश्चित समय काल की बेला में,
 आपकी चरणारविन्द का एक पूष्प हूं।।
आप चाहें तो हम जैसे की राह में खोज रही है,,
प्रेम शब्द और अर्थ भाव से पुजा अर्चना सिंह रुप में दक्षायणी देवी,,
 मां कात्यायनी देवी ने मेरे नगर में पधारी है।।
 मां कात्यायनी देवी पालकी में बैठकर आयी है ,,
हम दिलों से पूजा करने वाले इस गन्धर्व नगरी देवास से अपने अक्क्ष जल से स्नान अंजलि से चरणोदक पुजा का अवसर मिला है।।
 हम दिलों से सजाया गया यह मनमंन्दिर में सृजन करना ही जिंदगी है,,
 मां मैं ठहरा भीखमंगा पागल दिवाना तेरे चरणों का मुझे सीधे अपने चरणों में स्थान दो ।।
आनंद कंद मूल फल पत्ते पत्तियां फल आहार बन गया जिसे मैं जानता हूं ,,
काल कर्म महाकाल गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक में एक जीवंत प्रयास करें,,
 पूजा करने वाली मां कात्यायनी देवी का पुजारी बनकर।।
 मैं शैलेंद्र आनंद अपने कर्म से भाग्य विधाता सर्वग्य आप ही जिंदगी है ,,
मेरी आप रक्षा करो देवि त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलाक्षी देवी,, महालक्ष्मी दैवीय शक्तियां नमोस्तुते नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्ते अस्तु,
 कर्मणा सहजता सरलता विनम़ता ही जिंदगी है।।

्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
8,,,,,,10,,,,2024,,,

©Shailendra Anand #navratri  भक्ति संगीत
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक,,6,,,10,,,2024
वार,,,,, रविवार
समय,,, ,,सुबह ्््पांच बजे
्््््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
छाया चित्र वीथिका में भावचित्र ््््् है
शारदीय नवरात्र में चतुर्थ चतुर्थ भाव में,
 निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं ,
ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र अतुलतेजस्वी, चतुर्थ दिवस मंगलमय
 चतुर्थ भाव भंगिमा इच्छा शक्ति से अर्जित,,
मां कुष्मांडा शुभदास्तु सदा सुखी ,
पूर्णी धनक्षंरी अखरी नक्षत्री में,,
 एक पूजा एवं मंत्र शक्ति दिव्यता
 कोटीश्यं नमन
 वन्दंनीय ्््भावचित्र है जगत आधार मातृशक्ति दें।।्््
मां चामुण्डा देवी गन्धर्व नगरी मध्यप्रदेश देवास जिले में 
स्थित योगिस्थ होकर कूण्डलिनी जागृत कर,,
 समाधिस्थ मनोतेज होकर ध्यान में मां शब्द में प्राणपण
 लफ्ज़ समर्पण भाव वंशानुगत से सजाया गया है।।
मां की तरह ही आनंद जिंदगी में,,
 ,परिश्रम ही जिंदगी से जुड़ी हुई  हमें अपने  विचार से,
 अपनी दिशा में अग्रसर हो प्यारा सा जीवन,
 को लेकर खुश रहो जमाने में क्या रखा है।।
मैं हर पल अनमोल विचार प्रवाह प्यार में,,
मां शब्द साधक साधना तपस्या साधक के रूप में
दिव्य चक्षु खुल कर देख रहा है,, ईश्वर सत्य है,,
इन्सान जोश और हौसला बूलन्दियां से ,
प्राणपण समर्पण भाव ह अपन
इन्सान और समय पर ख्यालात अच्छे हो
परिश्रम से जन्मा विचार सच है,,
 देश धर्म संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में,,
मां का स्वरूप में माना कि तू मूझसे बेखबर है,,।।
मां यशोधरा और उसके बाद का स्वरूप में प्रथम गुरु
मातृ शक्ति हे मां दैवीय शक्ति कुष्मांडा देवी चतुर्थ
दिवस शारदीय नवरात्रि पर्व मंगलमय हो,,
 यही मेरी कामना करते हैं।।
्््भावचित्र ््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
6,,,,10,,,,2024,,

,








।।
 मां कुष्मांडा दैवीय शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमो नमः।।

©Shailendra Anand #navratri  भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#navratri भक्तिमय संगीत ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना। दिनांक,,,5,,,10,,,2024

वार,,,, शनिवार
समय,, सुबह ्््पांच बजे
््््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
छाया चित्र में शारदीय नवरात्र पर्व काल तृतीय दिवस पर ,,
राष्ट्राभिनंदनमां चंद्रघंटा देवी का स्वरूप और प्रेम में,,
 अटूट आस्था निज विचार सचका स्वरूप श्वेत वस्त्र से ,,
दीप प्रज्जवलित आत्मज्योतिनवपिण्डसाधक में,
 ज्योति प्रकट मेंचंन्द्र शीतल सा जीवन प्रकाश में ,
अर्ध नारीश्वर रुप में शिवशक्ति स्वरुप का भाव श्रंगारित,,
रुप सज्जा सौन्दर्य और यह सुखद अहसास ही,
 जिंदगी का आनंद है।।
ईश्वर और धर्म में वैचारिक रूप से ,
जीवनयापन चक दे इंडिया
छत्र चंवर धवंल श्वेत पूष्पित, वेणी गजं
केश श्रंगार से कर्ण कुण्डल शोभित कर,
 मधुर मुस्कान मन्द अधर पर चंद्र दर्शन
भगवती दुर्गा पूजा स्वयं ही अपने आप,
 भक्ति भाव सहित करती है।।
सेवा में नजर आये  वह बदल गया है,,
समय बड़ा बलवान है और ईश्वर ने देवी
शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन करते हैं।।््
्््भावचित्र ््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
05,,,,,10,,,2024










साफ

©Shailendra Anand #navratri  भक्तिमय संगीत
्््््कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#gandhi_jayanti अनमोल विचारक कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक,,, 02,,, अक्टूबर,,,,2024,,,,
वार।  ,,, बुधवार,,,,
समय   काल   सुबह   पांच    बजे,,,,

््््निजविचार ्््
्््््शीर्षक ्््
््््छाया चित्र में दिखाया गया है आज चेहरे पर जिंदगी को बेहतर समझना जरूरी है ्््
रहा सवाल इन्सान का जो मानवता पर जिंदगी में जन्म दिवस और सर्व पितृ पक्ष मोक्ष अमावस्या की उपस्थिति होना आज के दिन 00,,,2 ,,,, 0,,,अक्टूम्बर,,,0,,,2024,,,
अपने आप में महत्वपूर्ण भूमिका में आ गया है ्््््
्््््भावचित्र ्््््
मानवता   का  पूजारी  एवं   लोकतंत्र  का  प्रहरी   का  जन्म   दिवस 
 सर्वश्री लाल बहादुर शास्त्री जी और  राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी का
 जन्म दिवस 0 2 देश की विभुतियों का 
जन्म चरित्र सत्य और अहिंसा के रूप में
 पूज्य से पूज्यनीय बना दिया गया है ।।
देश की दो ऐसी शख्सियत को परखना समझना आज के परिवेश माहौल में ््
देश में अवाम में खुशहाली और सपना पूरा करना और
 देश में धर्म और जाति सम्प्रदाय पर जिंदगी में ,
जाति और धर्म से प्रेम को बाटना और काटने का, 
 दूर्लभ कृत्य को परखना समझना बहुत जरूरी है।। 
महात्माओ  का जीवन दर्शन मार्गदर्शन करें ,
जनसेवा ही मानव सेवा में नज़र आ रही प्राणपण लफ्ज़ और उसकी उत्पत्ति में ,,
अवतार जन्म मृत्यु सत्य असत्य पर जिंदगी का आयना मजमा लगा हुआ,,
 सर्व धर्म समभाव निष्ठ का स्वरूप सर्व पितृ अमावस्या में ,
आंखें डालकर देख रहा आज का वास्ता उसका वर्तमान समय का परिवार ,
राष्ट्रभक्त संस्कारित परिवार शास्त्री और महात्मा गांधी का परिवार ,
और सकलराष्ट्र  ही सुन्दर मेरा परिवार जिंदगी है।।
चित्र में भाव सुझाव श्रद्धा सूमन हर्ष और उल्लास और,,
खादी ग्रामोद्योग और खादी का वास्ता राजतंत्र के खिलाफ ,
जन आंदोलन का वास्ता हैवान और शैतान को समझना ही सच्चा गांधी दर्शन है।।
यही सब धर्मों में समरुपता और जन्म दिवस और स्वतंत्रता सेनानीयों का स्वरूप ही लोकनायक गांधीजी का अलख जगाने वाले अच्छे लगते है कथन सच्चाई और ईमानदारी कर्म सिपाही महापुरुष को पढ़कर अभ्यास कर नवपीढी में ,
का दोहन शोषण हीसूविचार का प्रणेता ही आनंद है ।।
यही आज का दौर है और महामना श्री शास्त्रीजी और महात्मा गांधीजी का मौलिक सिद्धांत का स्मरण समर्पण भाव देवत्व प्राप्त कलात्मक अभिव्यक्ति श्रद्धांजलि अर्पित सर्व पितृ मोक्ष कारकं अमावस्या पर गंगा स्नान अंजलि तर्पण विधि करहु अजपा श्रैष्ठ अस्थि कलश में जल प्रवाहित करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।
््््भावचित्र ्््््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
,,02,, अक्टूबर 2024,,,

©Shailendra Anand #gandhi_jayanti  अनमोल विचारक कवि शैलेंद्र आनंद
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