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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक तरु की दुराशा विधा निजी विचार भाव वास्तविक भवन्तः जानन्ति यत् भवन्तः दोषैः परिपूर्णाः स
read moreIG @kavi_neetesh
कात्यायनी मैया, शरणागत को चरणों में ले लो, हे मातारानी दुनिया में, तेरी कृपा बड़ी महान् है। आदिशक्ति का छठा रूप हो तुम, शक्ति स्वरूपा, महिषासुर मर्दनी रूप में, जग में तेरी पहचान है। कात्यायनी मां……. ब्रह्मा, विष्णु, महेश के आग्रह पर हे देवी महारानी, आदिशक्ति दुर्गा भवानी का दिया, रूप यह वरदान है। कात्यायन ऋषी आश्रम गई थी, आप बेटी बनकर, धर्म ग्रंथों में हे मां, ऐसा ही तेरा अमर निशान है। कात्यायनी मां……….. पीताम्बर परिधान तुमको, बहुत भाता है देवी माता, पंचमेवा तेरे भोग का भवानी, मन पसंद सामान है। द्वापर में ब्रजमंडल की, अधिष्ठात्री देवी रही थी मां, त्रेता युग में रामावतार में, श्रीहरि की रही शान है। कात्यायनी मां………….. मैया, महिषासुर वध करके, दिया तुमने सुंदर उपहार, तीनों लोक में बजा डंका, आज भी वही सम्मान है। चार भुजाओं वाली देवी, तुम सारे जग की जननी हो, अस्ताचल की शोभा मैया, तू सबके मन का अरमान है। कात्यायनी मां ………….. ©IG @kavi_neetesh कात्यायनी माता अराधना (माता रानी के षष्टम रूप की अराधना) “आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को शारदीय नवरात्रि के परम पावन
कात्यायनी माता अराधना (माता रानी के षष्टम रूप की अराधना) “आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को शारदीय नवरात्रि के परम पावन
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