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Hariom Shrivastava
White - बुंदेली में कुण्डलिया- ------------------------------------------- सोकें उठ गय देव अब, होन लगे हैं ब्याव। करो बरातें ठाट सै, खूब पंगतें खाव।। खूब पंगतें खाव, लुचइँ रबड़ी रसगुल्ला। ढोल नगाड़े बैंड, और बजनें रमतुल्ला।। क्वाँरिन के अब ब्याव, सबइ के रेंहैं होकें। चौमासिन के बाद, देव उठ गय हैं सोकें।। - हरिओम श्रीवास्तव - भोपाल, म.प्र. ©Hariom Shrivastava #Ganesh_chaturthi हिंदी कविता हिंदी कविता
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White - कुण्डलिया - “बँटोगे तो कटोगे” ------------------------------------ पति का मोबाइल मिला, बार-बार जब व्यस्त। पत्नी ने मैसेज तब, लिखा बहुत ही मस्त।। लिखा बहुत ही मस्त, ‘बँटोगे अगर कटोगे’। फिर तुम सबको छोड़, हमेशा मुझे रटोगे।। पढ़ते ही आभास, हुआ पति को निज गति का। पत्नी को तत्काल, फोन आया तब पति का।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava #love_shayari हिंदी कविता हिंदी कविता
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शुभ धनतेरस - कुण्डलिया - धनतेरस पर श्रीमती, चलीं गयीं बाजार। मुझको लेकर साथ में, घूमी घण्टे चार।। घूमी घण्टे चार, लिए कुछ जेवर बर्तन। इससे उस दूकान, कराया मुझको नर्तन।। खत्म हुआ बैलेंस, और मैं भी था बेबस। मनी इस तरह आज, हमारी तो धनतेरस।। -हरिओमश्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava #Dhanteras हिंदी कविता हिंदी कविता
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White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े हैंं गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava #moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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White -दुमदार दोहा- समझ रहा हर आदमी, खुद को ही सुकरात। मुखपोथी की पोस्ट पर, सुने न कोई बात।। धुरंधर कई लिखाड़ी।। बात करते हैं आड़ी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava #good_night हिंदी कविता हिंदी कविता
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29 सितंबर को "हृदय दिवस" पर एक - कुण्डलिया - अपना हृदय सँभालिए, हृदय दिवस है आज। हृदयहीन क्यों हो रहा, अब यह मनुज समाज।। अब यह मनुज समाज, हो गया भौतिकवादी। बढ़े हृदय के रोग, असाध्य और बेम्यादी।। हृदय रहें सब स्वस्थ, पूर्ण हो तब यह सपना। जब हों शुद्ध विचार, हृदय हो निर्मल अपना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava #WorldHeartDay हिंदी कविता हिंदी कविता
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read moreNina
रहने दो वो जो अलग हुआ है आज मुझसे वो जुड़ा हुआ है सदा मुझसे। कैसा ये दर्दभरा समर खुद से हिस्सा मेरा,अलग करना मुझसे!! वो अंश है, टुकड़ा मेरा, प्राण है मेरा। पेड़ हूं उसका,मैं सांस हूं उसकी। वो बीज मेरा, अंकुर मेरा,रक्त मेरा। मैं जननी हूं, मैं मां उसकी। ये जीवन आह उसके तन मन की बन जाती है दाह मेरे जीवन की। वो जो अलग हुआ है आज मुझसे वो जुड़ा रहा है सदा, सदा मुझसे। जन्म के वक्त जो चीख सुनी दर्द दिल का था, न तन की जनी। दिल को चीर कर जो प्राण सींचा आज मुझसे अलग उसे खींचा। पुकार रही ममता मेरी, पुकार रही, जीतने दो उसे, जीने दो उसे, ले जाओ उसे, बढ़ने दो उसे, रहने दो बस मुझे ... उससे जुड़ी!! ©Nina हिंदी कविता
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read moremr.ojha
मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है मौन हैं ये चश्म किंतु वेदना का श्राप अनायास बह रहा है ✍🏻Rajnikant ojha ©mr.ojha #alone हिंदी कविता हिंदी कविता
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