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Stories related to कर्मपाल मंजू शर्मा रागनी

Sunil Kumar Verma

#Love #pyaar wlove story Bhawana Mehra Neetu Sharma मनीष शर्मा Umar Ali Varsha

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Ek Kahani Gulabjamun Love Samosa

Sabar संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु Rakhie.. "दिल की आवाज़" Anshu writer

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AARPANN JAIIN

#bachapan #Life #Life_experience * shree ...* Sethi Ji MRS SHARMA संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

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Arjun Rawat पार्थ

#चांद #चांदनी #राग #रागनी #दूनीया #चेहरा Sethi Ji Kshitija Dr. uvsays Pankaj Pahwa लेख श्रृंखला

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Neeti

#HeartfeltMessage Mohammed. samshad pramodini Mohapatra Arshad Siddiqui angel rai संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

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AARPANN JAIIN

#positive Life #lifeexperience #shyari * shree राधा...* LiteraryLion Sethi Ji अदनासा- संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

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White  **समंदर और तन्हाई**  

समंदर की लहरों में उलझे मेरे जज़्बात,  
जैसे दिल में हो दर्द, पर कोई नहीं साथ।  
हर लहर आती है, छू कर चली जाती है,  
ठीक वैसे ही जैसे तेरी यादों में डूब जाता हूँ।  

किनारे पे बैठा, अकेला सा मैं,  
तेरी तलाश में जैसे खो गया हूँ कहीं।  
समंदर की गहराई, मेरे दिल सी लगती है,  
जो ऊपर से शांत, अंदर से बेचैन रहती है।  

तू दूर है, पर तेरी आवाज़ लहरों में सुनाई देती है,  
तेरी यादें, हर बूँद में बसी मिलती हैं।  
चांदनी रात में समंदर भी उदास लगता है,  
शायद उसे भी मेरी तरह तेरा इंतज़ार रहता है।  

इस तन्हा समंदर में दिल बहलाता हूँ,  
तेरी यादों के संग आंसू छुपाता हूँ।  
बस एक तू नहीं, बाकि सब कुछ है यहाँ,  
फिर भी इस समंदर में खोया-खोया सा हूँ।

©AARPANN JAIIN #positive  #Life #lifeexperience #shyari  * shree राधा...*  LiteraryLion  Sethi Ji  अदनासा-  संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

Author kunal

#Love #Moment #poem अदनासा- संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु puja udeshi Meenakshi Sharma Aj stories

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"A Glimpse of Bliss"


Suddenly, I saw you, and time stood still
My eyes locked on yours, my heart's thrill


Like a dream that I've longed to see
You materialized, and my soul was free


With eyes closed, I've envisioned your face
But reality surpassed that sacred space


Your smile, a radiant work of art
Captivated me, and my heart took part


In that instant, the world faded away
Leaving only you, in a warm, golden ray


I laughed, and my soul felt alive
Drinking in the beauty that you thrive


That glimpse of you became my bliss
A memory etched, forever to kiss


Your presence, a gift from above
A treasure I cherish, a labor of love

©Author kunal #Love 
#moment 
#poem  अदनासा-  संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु  puja udeshi  Meenakshi Sharma  Aj stories

Anand Kumar Ashodhiya

#Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

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निर्भया - नई हरयाणवी रागणी 

वासना के भूखे दरिन्दे, याहडै कदम कदम पै पावैं सैं 
करकै इज्जत तार तार फेर, मौत के घाट पहुँचावैं सैं 

मन्नै पता ना मेरी हस्ती नै, कौण मिटा कै चल्या गया 
मैं तीन साल की बच्ची थी मनै, मौत की नींद सुल्या  गया 
मैं दर्द के मारे रोवण लागी, वो गला घोंट कै चल्या गया 
बेदम हाेकै मेरी आँख पाटगी, वो मनै फेंक कै चल्या गया 
इब रक्त रंजित मेरी लाश पड़ी सब, नैना नीर बहावैं सैं 

दस बारा आज बरस बीतगे, मनै स्कूल में जाती नै 
लुंगाडा की फौज खड़ी रहै, मनै छेड़ें आती जाती नै 
कोए नज़रां तै पाछा करता, कोए घूरै था मेरी छाती नै 
घर वालों को बता सकी ना मैं तो खुद पै ही शरमाती नै 
लूट कै इज्जत घाल कै फाँसी इब पेड्डां पै लटकावैं सैं

बस का सफर हो या रेल यात्रा, सब मेरै ए सटणा चाहवैं थे
सिरफिरे बदमाश अवारा, ना कुराह तै हटणा चाहवैं थे 
हर हालत में मनै घेर कै, मेरै तन कै चिपटणा चाहवैं थे  
पागल कुत्ते के माफ़िक, मेरा माँस नोंचणा चाहवैं थे  
आज मैं भी निर्भया बणा देइ मेरी लाश पै कैंडल जळावैं सैं 

हे पणमेशर तूँ हे बता तनै, यो कुणसा खेल रचाया सै 
औरत होणा ही दुश्वर है तो क्यूं औरत रूप बणाया सै 
सारी गलती नारी देह की, जो मानव मन भटकाया सै 
तेरी माया नै समझ सके ना, ना यो भेद किसै नै पाया सै 
गुरु पाले राम सुरग में जा लिए पर आनंद का ज्ञान बढावैं सैं

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #Thinking #निर्भया #nirbhaya निर्भया नई हरयाणवी रागनी  हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविताएं कविता कोश

काव्य महारथी

श्यामाचरण शर्मा, पीलीभीत, उत्तरप्रदेश प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं हिंदी कविता कविता कोश

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Anand Kumar Ashodhiya

#पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

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पर्यावरण - नई हरयाणवी रागनी 

तूं कितना ए जतन लगाले बन्दे वो पल में प्रलय करता है 
तूं भाज भाज कै थक लेगा, वो एक पग में योजन भरता है 

तनै पेड़ अर पौधे काट काट कै, जंगल नदी उजाड़ दिए 
पर्वत घाटी काट काट कै, खनिज और पत्थर काढ़ लिए
उनै बाढ़ के पंजे गाड़ दिए, इब क्यूं ज्यान बचाए फिरता है 

तनै सारी ए धरती बंजर करदी, मार कै खाद दवाई 
खान पान सब जहरी कर दिया, जहरी ए हवा बणाई 
तनै अपनी शामत आप बुलाई, वो तौल तौल कै धरता है 

धरती थोथी करकै नै तनै, सारा पाणी खींच लिया 
पीवण नै भी छोड़या ना तनै, आंगण बाड़ी सींच लिया 
उनै दया का पंजा भींच लिया इब, बूंद बूंद नै मरता है 

कई कई मंजिल भवन बणा लिए, कितै बारा कितै ठारा 
पहाड़ दरकगे नदी उफणगी, तेरा कुछ ना चाल्या चारा 
कदे सुनामी कदे हल्लण आरहया, फिर कुदरत से क्यूं डरता है

गुरु पालेराम नै पकड़ आंगली कथना रचना सिखा दिया 
के आच्छा के बुरा जगत में शीशे की ज्यूं दिखा दिया 
उनै कड़वा मीठा चखा दिया वो जीवन के दुख हरता है

कॉपीराइट©️आनन्द कुमार आशोधिया 2024-25

©Anand Kumar Ashodhiya #पर्यावरण नई हरयाणवी रागनी पर्यावरण  कविता कोश कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता
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