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Mohanbhai आनंद
White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो बैताब इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद #good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़
#good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़
read moreMohanbhai आनंद
White अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो बैताब इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद #GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
#GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
read moreFuck off nojoto
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान चाहते हैं .... ©Arshu.... सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान
सोचता हू अपनी ख्वाहिशों को समेट दू , गठरी मे भरके , दिल के कोने मे रख दू , पर ख्वाहिशों के परिंदे उड़ान चाहते हैं , जीने के लिए खुला आसमान #Shayari
read moreSarfaraj idrishi
रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. ©Sarfaraj idrishi #Darknight रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. life quotes in hindi Sushant Singh Rajput sad shayari
#Darknight रात को जानबूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला.. शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले. life quotes in hindi Sushant Singh Rajput sad shayari #Life #Chauhan
read moreHimanshu Prajapati
White रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..!
#Sad_Status रात में हनुमान चालीसा सुनने के बाद.. भूत पिशाच निकट नहिं आवै, आवै नींद सुबह आंख खुला ना पावै..! #विचार
read moreAnjali Singhal
"हर रास्ता खुला रखो उम्मीद के इंतजार में। हसरतें तो कम नहीं होती जाती हुई बहार में।।" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
read moreSONA DEVI
White जारी हुए राजस्थान बीएसटीसी प्री डीएलएड परीक्षा के परिणाम। उम्मीदवार छात्र आधिकारिक बेबसाइट predeledraj[.]2024[.]in या Result.predeledraj2024[.]in पर क्लिक करके अपने रिजल्टस चेक कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह परीक्षा 30 जून, 2024 को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा का आयोजन वर्धमान महावीर खुला विश्विद्यालय, कोटा द्वारा प्रतिवर्ष किया जाता है, इस परीक्षा के बाद राज्य सरकार द्वारा आवंटित विद्यालयों मे प्रवेश दिया जाता है और दो साल की पढ़ाई के पश्चात सरकार के द्वारा एक और परीक्षा का आयोजन किया जाता है उसके बाद मेरिट के आधार पर यही उम्मीदवार छात्र, शिक्षक बनते हैं। पढ़ें पूरी ख़बर: https://bit.ly/3SeJtZV #bstc2024 #BSTC #Rajasthan ©SONA DEVI #sad_shayari #love_shayari #लव #शायरी #कविता #Love #कॉमेडी जारी हुए राजस्थान बीएसटीसी प्री डीएलएड परीक्षा के परिणाम। उम्मीदवार छात्र आधिका
#sad_shayari #love_shayari #लव #शायरी #कविता Love #कॉमेडी जारी हुए राजस्थान बीएसटीसी प्री डीएलएड परीक्षा के परिणाम। उम्मीदवार छात्र आधिका #rajasthan #भक्ति #BSTC #bstc2024
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
उपमान छन्द दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थोड़ा भी चोखा ।। खुला सुबह से आज है , ठेका सरकारी । जी भर पीकर देख लो , भूलो तरकारी ।। निशिदिन जैसे आज भी , सोयेंगे बच्चे । बनो नही अब आप भी , कलयुग में सच्चे ।। गाँव-गाँव यह रीति है , सब करते थैय्या । मेरे तो सरपंच जी , है बड़का भैय्या ।। दिये न ढेला नोन का , बनते है दानी । देते भाषण मंच पर , बन जाते ज्ञानी ।। करना आज विचार सब , पग धरना धीरे । बिछे राह में शूल है , हम सबके तीरे ।। जाग गये तो भोर है , जीवन में तेरे । वरना राई नोन के , लेते रह फेरे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उपमान छन्द दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थ
उपमान छन्द दिनभर करता काम है , वह तो मनरेगा । रहकर भूखे पेट भी , सुनता क्या लेगा ।। मजे करे सरपंच जी , करके अब धोखा । मिलता नही गरीब को , थ #कविता
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