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"उफ्फ ये मेरी ख्वाहिश"🤦🏻♀️ वो मेरी तकदीर मै तो क्या मेरी तस्वीर मै भी साथ नहीं ©. #अधूरी ख्वाहिशें
#अधूरी ख्वाहिशें
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White तन्हा राहों में हमको चलना है फिर हुई शाम घर निकलना है दर-ब-दर की तलाश हारे हैं वक़्त गुजरा कभी क्या मिलना है ज़ख्म भर जायेंगे कभी न कभी दर्द फिलहाल दिल को सहना है ये नसीबों का खेल सारा है कभी मिलना कभी बिछड़ना है इश्क़ वालों के हाल क्या कहिये पल में जीना है पल में मरना है ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #ख्वाहिश
आधुनिक कवयित्री
एक रिश्ता गहरा था दोस्ती का , दरारें उसमें आ गई। खुदगर्जी के रंग में रंगी, जरूरत पड़ी तो बतला गई। हम तकलीफ़ में गुजरे, वो दूर से सहला गई । हाल न पूछा हमे बेहाल देखकर, जरुरते ख़ुद की बता गई। हम निभाते रहे दोस्ती समझकर, वो अकेले रहना सीखा गई। बाते दिल पर बोझ बनी रहीं, दोस्ती अपनी जिमेदारी संभला गई। हम सुनते रहे सबकुछ भुलाकर, वो इस भोली सूरत को बहला गई। यकीं नहीं रहा किसी रिश्ते पर, खुद को हर रिश्ते से बड़ा बना गई। ढूंढती हूं आज भी हर जगह, पता नहीं अब वो दोस्ती कहां गई।😔 ©आधुनिक कवयित्री अधूरी दोस्ती
अधूरी दोस्ती
read moreMahmmad Sukhi
मोहब्बत हो तो जाती है मोहब्बत की नहीं जाती ये शो'ला ख़ुद भड़क उठता है भड़काया नहीं जाता मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता ©Mahmmad Sukhi @Mohabbat Krisswrites 😍😘 ख्वाहिश 😘😍 Suraj Verma Dilip Makwana deba shah शायरी लव
@Mohabbat Krisswrites 😍😘 ख्वाहिश 😘😍 Suraj Verma Dilip Makwana deba shah शायरी लव
read morekashi...
White ज़माने को देखकर ये गलतफहमी मत पालना, मैं छोड़ दूंगा तुम्हें, मैंने तुम्हें अगर छोड़ दिया तो मर जाऊँगा, मेरी तो साँसे भी तेरे होने से चलती हैं।। ©kashi... #अधूरी कहानी
#अधूरी कहानी
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White मैं दुआओं में हमेशा के लिए ज़िन्दा रहूँ। बददुआ न लूँ किसी की मैं न शर्मिन्दा रहूंँ। काम हों सबकी भलाई के मेरे हाथों सदा- नेक नगरी का हमेशा नेक बाशिन्दा रहूँ। दिल दुखाऊँ ना किसी का तीखी कड़वी बात से। मैं कभी खेलूँ नहीं मजबूर के जज़्बात से। साथ दूँ मैं हर क़दम सबका, मदद सबकी करूँ- मैं न घबराऊँ कभी बिगड़े हुए हालात से। मैं कभी नीचे न गिर जाऊँ मेरे किरदार से। पेश आऊँ मैं सभी से हर घड़ी बस प्यार से । याद करके लोग मुझसे मत करें निन्दा कभी- अलविदा जब लूँ कभी मैं दुनिया के बाजार से। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ख्वाहिश