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Stories related to मैं रहूँ

Ek Kahani Gulabjamun Love Samosa

मैं रोया पर मैं रोया नहीं

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Subhendu Bhattacharya

मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता (हबीब जालिब)

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Subhendu Bhattacharya

मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता (हबीब जलीब)

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Urmeela Raikwar (parihar)

#Sad_Status मैं अकेली

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White मैं अकेली, और चारो और अँधेरे, कब तक रोक पाऊँगी इस जीवन को ,
कब से मर चुका है, बाकी है तो बस तेरे कांधे पर जाना,,

By
Urmee Ki Dairy

©Urmeela Raikwar (parihar) #Sad_Status मैं अकेली

Anita Mohan

मैं

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Parasram Arora

मैं बनाम मन

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White किसी दिन इत्मीनान से बैठ कर  समझने की 
कोशिश क र  के देखना 
कि सारे झगड़े तुमसे तुम्हारा  ये मन करता है या तुम मन से से झगड़  कर खफा हो जाते हो

©Parasram Arora मैं बनाम मन

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार । हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।। इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार । लगकर सीने से कहो

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दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो , हुआ हमें भी प्यार ।।

करता हूँ मैं आज कल , छोटा सा व्यापार ।
लेना देना दिल यही , अपना कारोबार ।।

कुछ तो मेरी भी सुनो , अब मेरे दिलदार ।
भर दो झोली आज यह , पड़ा तुम्हारे द्वार ।।

कब तक बैठा मैं रहूँ , बोलो अब सरकार ।
पहनाओ मुझको गले , इन बाँहों का हार ।।

महकी महकी यह फिजा , महकी आज बहार ।
अब तो तेरे नाम से , यह जीवन उजियार ।।

अब तो इतनी हैं सनम , मेरी भी दरकार ।
तेरी बाहों का प्रखर , पड़े गले में हार ।।                 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो

हिमांशु Kulshreshtha

मैं...

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इन सर्द रास्तों पर
कहीं ठहरा हुआ हूँ मैं
एक खौफनाक अंधेरा है
पूरी शिद्दत से गिरफ्त में लिए मुझे
रिमझिम बरसती बूंदे जिस्म से फिसलते हुए
बहा ले जा रही है
मेरे भीतर का कतरा कतरा दुख
हथेलियों में समेट रहा हूँ
बारिशें पर ये टिकती नहीं
सर्द हवाएँ अंदर तक
कुरेद रही है मुझे
मैं बस ख़ामोश हूँ… इतना खामोश
अपने अंदर के शोर को
साफ साफ सुन पा रहा हूँ मैं …
मैं तय कर लेना चाहता हूँ ये सफर
मिटाना चाहता हूँ
जिंदगी की पगडंडियों से
गुजरती तुम्हारी यादें
भूलना चाहता हूॅं
तुम्हारी खनकती हँसी
खुद को…
यक़ीन दिलाना चाहता हूॅं
तुम नहीं हो अब ….
तुम नहीं हो ….नहीं हो तुम
इन भीगी हुई हथेलियों के बीच
गुनगुनी छुअन बन कर
सुनसान सड़क पर
रफ्तार से गुजरते शोर के दरमियाँ
मेरे साथ नहीं हो तुम
मेरी अँगुलियों से फिसलती बूंद सी तुम.

©हिमांशु Kulshreshtha मैं...

हिमांशु Kulshreshtha

मैं....

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White मै ही रहा मन से दग्ध
और देह से शापित
दर्द उगता है दिल में
तेरी यादों के जालों से
घिरा रहता हूँ मैं
अकुलाता उमड़ते ज्वार सा

©हिमांशु Kulshreshtha मैं....

Shalini Pandey

मैं

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White इच्छायें शून्य होती जा रही हैं 
बस ये जिम्मेदारियां ही है जो जीने के लिए 
मजबूर करती जा रही हैं ...

©Shalini Pandey मैं
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