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बेजुबान शायर shivkumar
ये मुस्कुराहटों की भी अपनी एक अलग सी दास्तां है कभी हया तो कभी इश्क़ , कभी खुशी तो कभी ग़मों का ये परदा है ❤️ ©बेजुबान शायर shivkumar ये #मुस्कुराहटों की भी अपनी एक अलग सी #दास्तां है कभी #हया तो कभी #इश्क़ , कभी #खुशी तो कभी #ग़मों का ये #परदा है ❤️ #शायरी #बेजुबान
ये मुस्कुराहटों की भी अपनी एक अलग सी दास्तां है कभी हया तो कभी इश्क़ , कभी खुशी तो कभी ग़मों का ये परदा है ❤️ शायरी बेजुबान
read moreFuck off nojoto
आखो से पढी जाती है हया की कहानी , चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता .... ©Arshu.... Ready to quit आखो से पढी जाती है हया की कहानी । चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता। प्रज्ञा Anupriya jhanvi Singh shehzadi Riti sonkar
आखो से पढी जाती है हया की कहानी । चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता। प्रज्ञा Anupriya jhanvi Singh shehzadi Riti sonkar
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आखो से पढी जाती है हया की कहानी , चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता .... ©Arshu.... Ready to quit आखो से पढी जाती है हया की कहानी । चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता। प्रज्ञा Anupriya jhanvi Singh shehzadi Riti sonkar
आखो से पढी जाती है हया की कहानी । चेहरे पर पर्दा डाल के कोई परदानशीन नही होता। प्रज्ञा Anupriya jhanvi Singh shehzadi Riti sonkar
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
read moreJayesh gulati
White A appreciation post for my best friend (read in caption) ©Jayesh gulati कुछ यादें है जो कभी दिल से निकाल नहीं सकता मना खामोश रहते है अब हम दोनों मगर तेरा भाई तुझे भुला नहीं सकता आधी रात को भी तू करदे कॉल तेरा भाई
कुछ यादें है जो कभी दिल से निकाल नहीं सकता मना खामोश रहते है अब हम दोनों मगर तेरा भाई तुझे भुला नहीं सकता आधी रात को भी तू करदे कॉल तेरा भाई
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