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Nurul Shabd
Sarfaraj idrishi
अच्छा हुआ दिवाली मुसलमानों का त्योहार नहीं है नहीं तो अंधभक्त कहते देखों मुल्लों के बच्चे बम फेंकने की प्रैक्टिस कर रहे हैं.. ©Sarfaraj idrishi #Diwali अच्छा हुआ दिवाली मुसलमानों का त्योहार नहीं है नहीं तो अंधभक्त कहते देखों मुल्लों के बच्चे बम फेंकने की प्रैक्टिस कर रहे हैं.. Sethi
#Diwali अच्छा हुआ दिवाली मुसलमानों का त्योहार नहीं है नहीं तो अंधभक्त कहते देखों मुल्लों के बच्चे बम फेंकने की प्रैक्टिस कर रहे हैं.. Sethi
read morePawan Kumar Jain
मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"
read moreAnjali Singhal
"आज फिर भीगी हैं पलकें, आज फिर महसूस हुई तन्हाई। दिल को रुलाने देखो, यादों की बारात होती चली आई।।" #AnjaliSinghal #hindishayari #Shayari n
read moreFuck off nojoto
White खामियों को देखोगे तो गिनते ही रह जाओगे , मैं अदना किस्म का हूँ कोई आला तो नहीं हूँ ... ©Arshu.... खामियों को देखोगे तो गिनते ही रह जाओगे , मैं अदना किस्म का हूँ कोई आला तो नहीं हूँ ... AbhiJaunpur Shayra Nîkîtã Guptā rasmi Shilpa priy
खामियों को देखोगे तो गिनते ही रह जाओगे , मैं अदना किस्म का हूँ कोई आला तो नहीं हूँ ... AbhiJaunpur Shayra Nîkîtã Guptā rasmi Shilpa priy
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White है चारो तरफ ये देखो कैसा मंजर हुआ है खोफ में हर आदमी ये क्या हुआ है चारों तरफ़ यहां लाशों का अंबार देखो ये कैसा आज यहां गुमनामी का अंधेरा हुआ ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #said है चारो तरफ ये देखो कैसा मंजर हुआ है खोफ में हर आदमी ये क्या हुआ है चारों तरफ़ यहां लाशों का अंबार देखो ये कैसा आज यहां गुमनामी क
#said है चारो तरफ ये देखो कैसा मंजर हुआ है खोफ में हर आदमी ये क्या हुआ है चारों तरफ़ यहां लाशों का अंबार देखो ये कैसा आज यहां गुमनामी क
read moreBazirao Ashish
एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा
एक बार प्रिये तुम भी! दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बा
read moreBazirao Ashish
एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। •आशीष द्विवेदी ©Bazirao Ashish #एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक
#एक बार प्रिये तुम भी; दरखत होकर देखो न। तुम भी समझोगे हाल मेरा; धोखा खाकर देखो न। तुम क्या पाओगे क्या खोओगे? खुद का समर्पण करके देखो न। इक
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