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SURAJ SHARMA
Islam Kartik Aaryan Entrance examination sad girl dp download sad shayari Krishna G Riti sonkar Andy Mann डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी
read moreAnjali Singhal
"यादें हैं थकी हुईं और एहसास पड़ा निढाल है, टूट रहा मुझमें कुछ आज दिल उदास है। साँसों का बिखरना लाज़िमी और दर्द का रुकना मुहाल है, दिल के इ
read morekavi Dinesh kumar Bharti
टीका बन गया रोग ©kavi Dinesh kumar #टीका बन गया रोग कविता
#टीका बन गया रोग कविता
read moreAnjali Singhal
Ishq 😍🥀🥰 "इश्क़ ही रोग और इश्क़ ही दवा है। दिल को लगी दोनों की हवा है।।" #AnjaliSinghal #Shayari love #loveshayari #ishqshayri #ishq nojo
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White //____❤️ " हे मेरे महादेव प्रभु " ❤️____// !! मुझे आपका ये कैसा रोग लगा है " महादेव " ये तड़प जो मेरे ह्रदय में नित उठे हो !! !! मेरे इस नैनन दाह रोमो में कैसी ये पीड़ा है ऐसा लगे कि मेरे महादेव मुझसे ही रूठे हो !! !! मेरा जो रोग वो मिटाय ,उनकी ये दर्शन झलकी वैद्य वे अति ही अनूठे हो !! !! आओ " मेंरे महादेव प्रभु " पास तुम बिन कभी न ये प्राण छूटे जो !! //___❤️ जय हो भोलेनाथ ! जय हो भंडारी ❤️___// ❁ ☞ ॐ नमः शिवाय ☜ ❁ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #omnamahshivaya #harharmahadev #mahadev #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 Sethi Ji Kshitija puja udeshi write
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read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी मन के संचित भावो ने ही आवरण भव भवो के ओड़े है आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन दसधर्म को प्रगटाओ एक एक धर्म का सार समझो बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन विकारों को दूर भगाये सत्य शौच संयम त्याग तपस्या और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर जन्म मरण का रोग भगाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi
read morePoet Maddy
मैं आज भी मौजूद हूं उसके ज़हन में, और वो मेरी एक-एक नस में समाया है........ ये इशारा काफी है या बता दूं आपको, कि शायरी लिखना मुझे कहां से आया है...... ©Poet Maddy मैं आज भी मौजूद हूं उसके ज़हन में, और वो मेरी एक-एक नस में समाया है........ #Present#Mind#Vein#Gesture#Enough#Tell#Write#Poetry..........
Heer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग