Nojoto: Largest Storytelling Platform

New लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रमाण पत्र Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रमाण पत्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रमाण पत्र.

Stories related to लाड़ली लक्ष्मी योजना प्रमाण पत्र

जय सिंह यादव

विष्णु# के चरणों# में लक्ष्मी# जी के# चरण#

read more

neelu

White पं1च गुण तो इंसान में होने ही चाहिए..
I believe in gratitude ,patience ,
hard work  ,believe and
 आजकल लक्ष्मी जी  में
Aap apna batayain

©neelu #Bhai_Dooj #लक्ष्मी जी . #में #आजकल

suresh dhotre

लक्ष्मी पूजन

read more

Ravendra

मां लक्ष्मी सब का कल्याण करें

read more

Srinivas

#diwali_wishes दीपों की ज्योति से जीवन को प्रकाशित करें, लक्ष्मी माँ का आशीर्वाद पाकर हर दिन को खास बनाएं। शुभ दीपावली!

read more
White दीपों की ज्योति से जीवन को प्रकाशित करें, लक्ष्मी माँ का आशीर्वाद पाकर हर दिन को खास बनाएं। शुभ दीपावली!

©Srinivas #diwali_wishes दीपों की ज्योति से जीवन को प्रकाशित करें, लक्ष्मी माँ का आशीर्वाद पाकर हर दिन को खास बनाएं। शुभ दीपावली!

Mahesh Kumar

लक्ष्मी पूजा की चंदा आप लोग दीजिये प्लीज 🛕🪔💰🙏 भक्ति गीत

read more

sahil

#sad_dp motivational quotes in hindi safernama _withme Preet (महाकाल की लाड़ली) Rani Nëélåm Råñï Neelam Modanwal ..

read more
White Sajaye rakhana khud ho 
har vaqkt,

ye vaqkt
kabhi bhi badall
sakta h..

©sahil #sad_dp  motivational quotes in hindi safernama _withme  Preet (महाकाल की लाड़ली)  Rani  Nëélåm Råñï  Neelam Modanwal ..

STAR NEWS

#रहस्यमयी #पत्र मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी

read more
White 

**रहस्यमयी पत्र**

राजेश एक साधारण आदमी था, जिसकी ज़िन्दगी में कोई खास हलचल नहीं थी। एक शाम जब वह घर लौटा, तो उसने अपने दरवाज़े पर एक पत्र पड़ा पाया। उस पत्र पर कोई भेजने वाले का नाम नहीं था, न ही कोई टिकट—सिर्फ उसका नाम बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था। उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। उसने काँपते हाथों से पत्र खोला।

*"तुम्हारे पास 24 घंटे हैं, उस रहस्य की चाबी खोजने के लिए। अगर असफल रहे, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।"*
राजेश
राजेश के हाथ पसीने से तर बतर हो गए। कौन सा रहस्य? कौन सी चाबी? ये किसने भेजा? वह कोई ऐसा इंसान नहीं था जिसे रहस्यों से वास्ता हो।

उस रात, उसे नींद नहीं आई। उसने घर का कोना-कोना छान मारा, पुराने दराज़ खोले, धूल से भरे डिब्बों को खंगाला, पर कुछ भी नहीं मिला। जैसे-जैसे घड़ी की सुई घूम रही थी, उसका दिल घबराने लगा।

अगली सुबह, उसके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से संदेश आया: *"वक्त खत्म हो रहा है। और गहराई से देखो।"* 

राजेश के दिमाग में हलचल मच गई। तभी उसे याद आया कि उसके अटारी में एक पुराना डेस्क पड़ा है। वह भागकर ऊपर गया, और पुराने दराज़ को तोड़कर खोला। वहां एक छोटी, प्राचीन चाबी थी। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता, फोन फिर बजा: *"अब बहुत देर हो चुकी है।"*

दरवाज़े की घंटी बजी। राजेश स्तब्ध रह गया, दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।

दरवाज़े के उस पार कौन था?


**रहस्यमयी पत्र (भाग 2)**

दरवाजे की घंटी की आवाज़ जैसे राजेश के दिल की धड़कन से मेल खा रही थी। उसने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए दरवाज़े की ओर देखा। उसकी सांसें थम सी गई थीं। उसने दरवाज़े की कुंडी पकड़ी, पर उसे खोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मन में हज़ारों सवाल थे—क्या ये वही लोग हैं जिन्होंने पत्र भेजा था? या फिर ये किसी अनहोनी की शुरुआत है?

आखिरकार, उसने हिम्मत जुटाकर दरवाज़ा खोला। सामने एक साधारण दिखने वाला आदमी खड़ा था, जो उसके चेहरे पर घबराहट देख मुस्कुरा रहा था। उसने बिना कुछ कहे राजेश के हाथ में एक छोटा सा पैकेट थमा दिया और तुरंत पीछे मुड़कर चला गया। राजेश ने उसे आवाज़ लगानी चाही, पर उसके गले से कोई आवाज़ नहीं निकली।

वह पैकेट बेहद हल्का था। राजेश ने उसे कांपते हाथों से खोला। अंदर एक छोटा कागज़ का टुकड़ा था, जिस पर लिखा था, *"तुम चाबी पा चुके हो, लेकिन दरवाज़ा तुम्हारे अंदर है। समय निकट है।"*

राजेश का दिमाग चकरा गया। दरवाज़ा उसके अंदर? क्या इसका मतलब उसकी अपनी ज़िंदगी से था? उसने चाबी को फिर से देखा और सोचा कि इसे कहां इस्तेमाल करना है।

तभी, उसके घर की सारी बत्तियां अचानक बुझ गईं। चारों ओर अंधेरा छा गया। उसे लगा जैसे कोई उसकी निगरानी कर रहा है। राजेश का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने अपने फोन की टॉर्च जलाई और अटारी की तरफ भागा। वहां उसे एक पुरानी तस्वीर मिली—उसके बचपन की, जिसमें उसके माता-पिता और वह खुद एक पुराने घर के सामने खड़े थे। उस घर का दरवाज़ा बिल्कुल वैसा ही था जैसा उसने अपने सपनों में कई बार देखा था।

उसने तुरंत फैसला किया। वह उस घर को ढूंढने निकला। रास्ते में उसके फोन पर फिर से एक संदेश आया: *"आखिरी कदम करीब है। तुम अब पीछे नहीं हट सकते।"*

राजेश उस पुराने, जर्जर घर के पास पहुंचा। दरवाज़ा टूटे-फूटे हाल में था। चाबी कांपते हाथों से उसने ताले में डाली, और दरवाज़ा धीमे से खुल गया। अंदर अंधकार था, और एक अनजाना सन्नाटा। तभी, एक धीमी आवाज़ आई: *"राजेश... तुम आ ही गए..."*

आखिरकार वह रहस्य क्या था?

**रहस्यमयी पत्र (भाग 3)**

अंदर से आती आवाज़ ने राजेश के रोंगटे खड़े कर दिए। वह दरवाज़े के पास ठिठक गया। आवाज़ गूंज रही थी, जैसे वो किसी गहरे कमरे से आ रही हो। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह आगे बढ़े या लौट जाए, लेकिन उसका मन उसे खींचे जा रहा था। उसने टॉर्च की रोशनी आगे की ओर डाली और धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए घर के भीतर चला गया।

यह घर बहुत पुराना था। दीवारों पर जाले लगे हुए थे, फर्श पर धूल की मोटी परत थी, और हर चीज़ जर्जर हो चुकी थी। राजेश को वह पुरानी तस्वीर याद आई, और उसने खुद से पूछा, *"क्या इस घर में कभी मैं रह चुका हूँ?"*

तभी, एक और आवाज़ गूंजी, और इस बार यह और करीब से आई: *"तुम्हारे सवालों के जवाब यहीं हैं, राजेश।"* 

राजेश का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने हिम्मत जुटाकर आवाज़ की दिशा में कदम बढ़ाया। एक पुरानी सीढ़ी थी, जो नीचे एक तहखाने की ओर जा रही थी। नीचे जाने का रास्ता बहुत अंधेरा और तंग था, लेकिन राजेश के पास अब पीछे हटने का कोई विकल्प नहीं था।

तहखाने में पहुंचते ही उसने देखा कि वहां एक बड़ा कांच का बॉक्स रखा था, जिसके अंदर कुछ चमक रहा था। राजेश ने क़रीब जाकर देखा, तो उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो गईं। बॉक्स के अंदर वही पुरानी तस्वीर थी—लेकिन इस बार, तस्वीर में एक और शख्स था—एक अनजान आदमी, जिसका चेहरा धुंधला था। राजेश को यकीन नहीं हो रहा था। यह वही तस्वीर थी, लेकिन इस आदमी को उसने पहले कभी नहीं देखा था।

तभी, उसके फोन पर फिर से एक संदेश आया: *"यह वह चेहरा है जिसे तुम भूल चुके हो। सच्चाई जानने के लिए दरवाज़ा खोलो।"*

राजेश ने तुरंत कांच के बॉक्स को खोलने की कोशिश की, लेकिन वह ताला लगा हुआ था। तभी उसे याद आया कि उसकी जेब में वह छोटी चाबी है। उसने चाबी निकाली और धीरे से ताले में डाली। ताला खुलते ही कांच का बॉक्स खुल गया और भीतर से एक ठंडी हवा का झोंका निकला। उस तस्वीर के पीछे एक और कागज रखा हुआ था।

कागज पर लिखा था: *"तुम्हारा अतीत वही है जो तुमसे छुपाया गया था। सच को स्वीकार करो, वरना सब खत्म हो जाएगा।"*

राजेश ने कांपते हाथों से तस्वीर के पीछे का कागज उठाया। तभी अचानक, घर की दीवारें हिलने लगीं और चारों ओर अजीब सी आवाज़ें गूंजने लगीं। वह समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है। 

अचानक, कमरे के एक कोने से वही धुंधला चेहरा सामने आया, और राजेश के सामने खड़ा हो गया। उसने धीमी, डरावनी आवाज़ में कहा, *"मैं तुम्हारा अतीत हूँ, राजेश। तुमने मुझे भुला दिया, लेकिन अब मैं लौट आया हूँ।"*

राजेश की आँखें फैल गईं। वह आदमी कौन था?


**रहस्यमयी पत्र (भाग 4)**

राजेश की सांसें थम सी गईं। उसकी आंखें उस धुंधले चेहरे पर टिकी हुई थीं, जो अब धीरे-धीरे स्पष्ट होता जा रहा था। वो चेहरा बिल्कुल उसके जैसा था, लेकिन कहीं ज्यादा बूढ़ा और थका हुआ। राजेश की समझ में कुछ नहीं आ रहा था—क्या ये उसका भविष्य था? या उसका कोई भूतकाल?

उस धुंधले चेहरे वाले आदमी ने गहरी आवाज़ में कहा, *"तुमने अपने जीवन में एक बहुत बड़ी भूल की थी, राजेश।"* 

राजेश हकबका गया। *"क... कौन हो तुम?"* उसने कांपती आवाज़ में पूछा।

*"मैं वही हूँ जिसे तुमने सालों पहले इस अंधकार में छोड़ दिया था। तुम्हारी ज़िन्दगी में जो रहस्य है, वो मुझसे ही जुड़ा हुआ है।"* 

राजेश के दिल की धड़कनें और तेज़ हो गईं। उसने याद करने की कोशिश की कि आखिर उसकी ज़िन्दगी में ऐसा क्या था जिसे उसने भुला दिया था। 

वह आदमी धीरे-धीरे उसके पास आया और बोला, *"सालों पहले, तुमने अपने एक करीबी को धोखा दिया था। एक ऐसा धोखा, जिसने उसकी जान ले ली। तुमने सबकुछ भुला दिया, लेकिन वह अतीत अब तुम्हें सताने आया है।"*

राजेश की आंखें फैल गईं। उसकी यादों में अचानक एक धुंधली सी तस्वीर उभरने लगी। वह एक पुराना दिन था, जब राजेश ने अपने दोस्त, अमन, के साथ एक गहरी खाई के पास ट्रेकिंग की थी। उस दिन दोनों के बीच एक तीखी बहस हुई थी। गुस्से में आकर राजेश ने अमन को धक्का दे दिया था। अमन का पैर फिसला, और वह खाई में गिर गया। राजेश ने घबराहट में उसे बचाने की कोशिश नहीं की और भाग खड़ा हुआ। वह खुद को यह कहता रहा कि यह सिर्फ एक दुर्घटना थी, लेकिन अंदर ही अंदर उसे पता था कि उसकी गलती ने अमन की जान ली थी।

वह चेहरा और स्पष्ट हो गया और कहा, *"मैं अमन हूँ। तुमने मुझे भुला दिया, लेकिन मैं तुम्हें नहीं भूल सका। तुमने मेरे जीवन को अंधकार में धकेला, और अब तुम उसी अंधकार का सामना करने आए हो।"*

राजेश का शरीर कांपने लगा। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। वह फर्श पर गिर पड़ा और बुरी तरह से रोने लगा। *"मुझे माफ कर दो, अमन! मैंने कभी नहीं चाहा था कि ऐसा हो!"* 

अमन का चेहरा गंभीर था। *"तुम्हारी माफी इस अंधेरे को खत्म नहीं कर सकती, राजेश। लेकिन अगर तुम सच को स्वीकार करते हो, तो तुम्हें एक मौका मिलेगा।"* 

राजेश ने कांपते हुए पूछा, *"कैसा मौका?"*

अमन ने कागज की ओर इशारा किया जो अभी भी राजेश के हाथ में था। *"वह तुम्हारा रास्ता है। उसे पढ़ो और सच का सामना करो। लेकिन याद रखना, समय तुम्हारे खिलाफ है। अगर तुमने देर की, तो सब खत्म हो जाएगा।"*

राजेश ने कागज को तेजी से खोला। उस पर लिखा था:

*"तुम्हें अपने पाप को स्वीकार कर उसके परिणामों का सामना करना होगा। जाओ और पुलिस को सच्चाई बताओ। तभी तुम्हें मुक्ति मिलेगी।"*

राजेश ने सिर झुका लिया। वह जानता था कि अब उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था। वह उठ खड़ा हुआ और घर से बाहर निकल आया। बाहर अंधेरा छा चुका था, लेकिन उसके अंदर का अंधेरा अब उजागर हो चुका था। 

वह अपने अपराध को कबूल करने और अंततः उस बोझ से मुक्त होने के लिए तैयार था।

पर क्या पुलिस तक पहुँचते-पहुँचते वह वाकई मुक्ति पा सकेगा, या अतीत का यह साया हमेशा उसके साथ रहेगा?



**रहस्यमयी पत्र (भाग 5)**

राजेश के कदम भारी थे, लेकिन मन में अब एक स्पष्टता थी। उसे अपने पाप को स्वीकार कर ही मुक्ति मिल सकती थी। उसने अपनी कार की चाबी उठाई और सीधे पुलिस स्टेशन की ओर चल दिया। रास्ते भर उसका दिमाग भूतकाल की यादों से घिरा हुआ था। अमन का चेहरा, वह हादसा, और उसके बाद का झूठ—सबकुछ उसकी आंखों के सामने घूम रहा था। 

जैसे-जैसे वह पुलिस स्टेशन के पास पहुंचा, उसके अंदर एक अजीब सी घबराहट बढ़ने लगी। क्या वह वाकई इतने सालों बाद सच्चाई कबूल कर पाएगा? और अगर उसने किया, तो क्या पुलिस उसे माफ कर देगी, या उसे जेल जाना पड़ेगा? 

पुलिस स्टेशन के सामने पहुंचकर, उसने गाड़ी रोकी। वह गहरी सांसें लेते हुए सोच में पड़ गया। तभी उसके फोन पर फिर से एक संदेश आया: *"सच का सामना करो, राजेश। यही एकमात्र रास्ता है।"* यह संदेश देख उसका मन और मजबूत हुआ। 

राजेश पुलिस स्टेशन के भीतर चला गया और सीधे ड्यूटी पर बैठे इंस्पेक्टर के पास पहुंचा। उसकी आवाज़ कांप रही थी, लेकिन उसने साहस जुटाकर कहा, *"मुझे एक गुनाह कबूल करना है, जो मैंने सालों पहले किया था।"* 

इंस्पेक्टर ने चौंकते हुए उसकी ओर देखा और कहा, *"क्या मामला है?"*

राजेश ने पूरी घटना विस्तार से बताई—कैसे उसने अमन को धक्का दिया था, कैसे वह हादसे के बाद भाग खड़ा हुआ, और कैसे उसने इस राज़ को सालों तक छुपाए रखा। उसकी आंखों में आंसू थे, और उसकी आवाज़ में गहरा पछतावा था। 

इंस्पेक्टर उसकी बात ध्यान से सुनता रहा। जब राजेश ने सब कुछ कह दिया, तो इंस्पेक्टर ने धीरे से कहा, *"यह मामला बहुत पुराना है। हम इसकी जांच करेंगे, लेकिन इतने साल बाद साक्ष्य इकट्ठा करना मुश्किल होगा। फिर भी, तुम्हारा अपराध अगर साबित होता है, तो तुम्हें सज़ा हो सकती है।"*

राजेश ने सिर झुका लिया। उसे पता था कि वह सज़ा से नहीं बच सकता, लेकिन कम से कम अब उसका मन शांत था। उसने सच को स्वीकार कर लिया था।

तभी, पुलिस स्टेशन के बाहर एक अजीब सी आवाज़ आई। राजेश ने चौंककर बाहर की ओर देखा। वह वही धुंधला चेहरा था—अमन। लेकिन इस बार, उसका चेहरा शांत और मुस्कुराता हुआ दिख रहा था। अमन की आत्मा अब मुक्त हो चुकी थी। उसने धीमे से कहा, *"धन्यवाद, राजेश। तुमने आखिरकार सच का सामना किया। अब मैं शांति से जा सकता हूँ।"*

राजेश की आंखों से आंसू बहने लगे, लेकिन इस बार ये आंसू पछतावे के नहीं, बल्कि मुक्ति के थे। अमन का चेहरा धीरे-धीरे गायब हो गया, और उसके साथ ही वो साया भी जो सालों से राजेश का पीछा कर रहा था।

अब राजेश को पता था कि चाहे उसकी सज़ा कुछ भी हो, उसने जो किया वह सही था। सच्चाई ने उसे अंततः उस अंधकार से निकाल लिया था, जिसमें वह इतने सालों से डूबा हुआ था।

लेकिन उसकी ज़िन्दगी की यह नई शुरुआत अब उसे एक और अज्ञात राह पर ले जाने वाली थी—क्या वह जेल जाएगा? या फिर कानून के हाथों से उसे कुछ और सज़ा मिलेगी? यह भविष्य ही बता सकता था। 

राजेश ने इंस्पेक्टर की ओर देखा और कहा, *"जो भी हो, मैं इसके लिए तैयार हूँ।"*


**रहस्यमयी पत्र (भाग 6)**

राजेश अब खुद को हल्का महसूस कर रहा था, जैसे सालों से कंधों पर रखा बोझ अचानक उतर गया हो। लेकिन वह जानता था कि यह मुक्ति स्थायी नहीं थी; कानून के हाथों में अब उसकी किस्मत थी। पुलिस स्टेशन के अंदर, इंस्पेक्टर ने उसकी बातों को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। अमन की मौत का पुराना मामला फिर से खोला गया।

दो दिन बाद, पुलिस ने राजेश को फिर से बुलाया। इंस्पेक्टर ने कहा, *"हमने जांच शुरू कर दी है, लेकिन अमन की मौत के मामले में कोई ठोस सबूत अब मौजूद नहीं है। इतने सालों बाद, गवाह भी मिलना मुश्किल है। अगर तुम चाहते हो, तो अपनी बात अदालत में रख सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें खुद को गिरफ्तारी के लिए तैयार करना होगा।"*

राजेश ने बिना झिझक कहा, *"मैं सच्चाई को न्याय तक पहुँचाना चाहता हूँ। जो भी सज़ा होगी, मैं भुगतने के लिए तैयार हूँ।"*

पुलिस ने उसे उसी दिन हिरासत में ले लिया। अब मामला अदालत में जाने वाला था। राजेश ने एक वकील से संपर्क किया और उसे पूरा मामला बताया। वकील ने भी माना कि इतने सालों बाद इस केस को साबित करना मुश्किल होगा, लेकिन राजेश ने सच्चाई का रास्ता चुना था, और अब वह किसी भी कीमत पर इसे अंजाम तक पहुंचाना चाहता था।

अदालत में केस शुरू हुआ। राजेश ने अमन की मौत की पूरी घटना को बिना कोई झूठ बोले, ईमानदारी से बयान किया। उसने स्वीकार किया कि गुस्से में उसने अमन को धक्का दिया था, और यह उसकी गलती थी कि उसने मदद नहीं की। अदालत में मौजूद सभी लोग स्तब्ध थे। इतने सालों बाद इस तरह का अपराध स्वीकारना आसान नहीं था।

जज ने राजेश की बात सुनी और फिर कहा, *"तुमने जो किया वह कानून के खिलाफ था। लेकिन इतने सालों बाद, हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि तुम्हारे अपराध को साबित करने के लिए साक्ष्य कम हैं। तुम्हारी ईमानदारी को देखते हुए, अदालत तुम्हारी सज़ा पर विचार करेगी।"*

दो दिन बाद, फैसला सुनाया गया। जज ने राजेश की ईमानदारी को सराहा और कहा, *"इस मामले में साक्ष्य की कमी के कारण, हम राजेश को लंबी जेल की सजा नहीं दे सकते। लेकिन उन्हें उनकी गलती की सज़ा अवश्य मिलेगी। इसलिए, अदालत उन्हें छह महीने की जेल की सजा और दो साल की सामाजिक सेवा की सज़ा सुनाती है।"* 

राजेश ने जज के फैसले को शांतिपूर्वक स्वीकार किया। वह जानता था कि सज़ा बड़ी हो या छोटी, यह उसके पाप का प्रायश्चित था। 

जेल में बिताए छह महीने राजेश के लिए कठिन लेकिन शांतिपूर्ण थे। वह हर दिन अमन की याद में अपने आप को माफ करने की कोशिश करता। जेल में रहते हुए, उसने उन सभी लोगों के लिए काम किया जिन्हें मदद की जरूरत थी। यह सामाजिक सेवा का हिस्सा था, लेकिन वह इसे अपनी आत्मा की शांति के लिए भी करता था।

जेल से रिहा होने के बाद, राजेश ने अपने जीवन का एक नया अध्याय शुरू किया। उसने अमन के परिवार से माफी मांगी और उनसे जुड़ने की कोशिश की। अमन की बहन, जो पहले उससे नफरत करती थी, अब उसे देख कर बोली, *"तुम्हारी माफी ने हमें शांति दी है। हम जानते हैं कि गलती से हुआ था, लेकिन तुम्हारी ईमानदारी को हम भूल नहीं सकते।"*

राजेश ने अपनी गलती को स्वीकार करके न केवल खुद को बल्कि अमन की आत्मा को भी मुक्त किया था। अब वह एक नए सिरे से जीवन जीने के लिए तैयार था, एक ऐसा जीवन जो सच्चाई और ईमानदारी पर आधारित था।

सच्चाई ने उसे एक दूसरा मौका दिया था।

©STAR NEWS #रहस्यमयी #पत्र  मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कविता इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी

VIKASH MAHALWAR

लाड़ली श्री राधा रानी #ladlishreeradhe #RadhaKrishna #radharani #Radheradhe #radhekrishnavrindavan #radhekrishnaworld #EXPLORE viralre

read more

Praveen Jain "पल्लव"

#kitaab प्रमाण के सब दरवाजे बंद #nojotohindi

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile