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Rudradeep

White अनजान गली में नहीं गए होते तो अच्छा होता 
क्या पता था उसमें सब बेदर्द रहते हैं

©Rudradeep #गली
#अनजान

Mohan Sardarshahari

# गली का शेर

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White पड़े -पड़े पत्थर भारी हो जाता है 
इंसान तो इंसान  है कुत्ता भी 
अपनी गली में शेर हो जाता है।।

©Mohan Sardarshahari # गली का शेर

Anjali Singhal

"इश्क़ की गली में शोर मचा, कि इस सौदागर का सौदा खरा; लेना-देना कुछ ना था, दिल फिर भी कतार में जा लगा। नज़रों से नज़रें मिला, रंग हमारा वो ल

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Ravendra

जगह-जगह गांव गली में निकाली गई 12 वफात की जुलूस

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sumeet raj

#Sad_Status #उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए #sumeetraj #sumeetworld

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Rj medy ❤️ RadiO GirL❤️

रोजगार के सिलसिले में कभी कभी उसके शहर जाता हूँ तो गुज़रता हूँ उस गली से.. वो नीम तारीक सी गली 

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Dalip Kumar 'Deep'

'दर्द भरी शायरी'✍🏿🥀🥀 गुज़र गये वो ज़माने यादें रह गईं तेरी गली की😔🍂🍂

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Vinod Mishra

"जब आपकी सोच ही सड़ी-गली है तो आप सही क्या करने जा रहे हैं?" #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️ I'm a teacher 🙏🖊️🙏

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता

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दोहा :-

आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

आज पढ़ाकर बेटियाँ  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।

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दोहा :-
बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।
पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।

गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।।

मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य ।
गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।।

सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम ।
याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।।

याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम ।
बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।।

जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण ।
हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।।

पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान ।
निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

बेटी पढ़ाकर भी नही  , बचा न पाये प्राण ।

पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।।


गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
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