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Anant Nag Chandan
White लाखों ख्वाहिशें खुदकुशी कर चुके हैं, दिल मेरा अब श्मशान हो चुका है। सब उम्मीदें अब धुंधली हो चुकी है, दिल का रास्ता अब वीरान हो चुका है। अनन्त ©Anant Nag Chandan #Sad_Status लाखों ख्वाहिशें खुदकुशी कर चुके हैं, दिल मेरा अब श्मशान हो चुका है। सब उम्मीदें अब धुंधली हो चुकी है, दिल का रास्ता अब वीरान हो
#Sad_Status लाखों ख्वाहिशें खुदकुशी कर चुके हैं, दिल मेरा अब श्मशान हो चुका है। सब उम्मीदें अब धुंधली हो चुकी है, दिल का रास्ता अब वीरान हो
read morekumar ramesh rahi
White शीर्षक (बेटी) मेरी व्यथा यहाँ समझेगा कौन, देख रहा समाज, हो मूक मौन। आंखो से करते वो चीरहरण चौराहे पर, खड़ा कर दिया हर बेटी को दोराहे पर। बाबा उम्मीदें हमसे भी पालो तुम, गिर भी जाऊं हाथ पकड़ संभालो तुम। अपमानित न हो सके कोई द्रौपदी, गिरधारी बन भैया लाज बचालो तुम। ©kumar ramesh rahi हिंदी कविता #बेटी #हैवानियत #विनती #उम्मीदें #बाबा #समाज #जिम्मेदारी #लाज #गिरधारी #kumarrameshrahi
हिंदी कविता #बेटी #हैवानियत #विनती #उम्मीदें #बाबा #समाज #जिम्मेदारी #लाज #गिरधारी #kumarrameshrahi
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White लोगों को लगता है की , हम उन्हे अहमियत देते है तो वो हमारे साथ कुछ भी करे , हमे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन हम भी तो एक इंसान ही है ना , हमे भी तो तकलीफ होती है हम चाहते है की हमें भी कोई , यु प्यार करे वक्त दे और इज्जत करे जैसे की हम सामने वाले की करते है लेकिन वो अपने हिसाब से हमें कुछ भी सोच लेता है और ऐसा treat करेगा जैसा हम सह नही सकते इसलिए हमे किसी से भी उतनी ही , उम्मीदें रखनी ही नही चाहिए हमे खुद को यु अकेला ही , खुश रखने की कोशिश भी करनी चाहिए ©बेजुबान शायर shivkumar #Thinking #Thinking #Nojoto #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर143 #कविता95 Sethi Ji Kshitija Jyotilata Parida Anupriya shiza मोटिवेशनल कव
#Thinking #Thinking #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर143 #कविता95 Sethi Ji Kshitija Jyotilata Parida Anupriya shiza मोटिवेशनल कव
read moreNiaz (Harf)
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
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