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JEETENDRA Sharma
जो दिल में वही लिखते हैं हम। क्यों कि उसके साये से भी डरते हैं हम ©JEETENDRA Sharma साये से
साये से #शायरी
read moreअभियंता प्रिंस कुमार
White भू- राजस्व विभाग बिहार ******** मोबाईल ज़रूरी है,मज़बूरी है, मजदूरी है, मुस्किल भी है, । इक दिन थे, जब कैमरे की गोद में सोना अच्छा लगता था, लेकिन अब कैमरा देख लगता जैसे LRC का मुक़ाम मुस्तकिल भी है। ___________ ©अभियंता प्रिंस कुमार #@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #goodnight
#@अभियन्ता प्रिंस कुमार @अभियन्ता प्रिंस कुमार @abhiyanta_prince_kumar #GoodNight #कोट्स
read moreJashvant
White सफ़र की धूप में चेहरे सुनहरे कर लिए हम ने वो अंदेशे थे रंग आँखों के गहरे कर लिए हम ने ख़ुदा की तरह शायद क़ैद हैं अपनी सदाक़त में अब अपने गिर्द अफ़्सानों के पहरे कर लिए हम ने ज़माना पेच-अंदर-पेच था हम लोग वहशी थे ख़याल आज़ार थे लहजे इकहरे कर लिए हम ने मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने वही जीने की आज़ादी वही मरने की जल्दी है दिवाली देख ली हम ने दसहरे कर लिए हम ने ©Jashvant सफर की धूप में Nandani patel Andy Mann Rakesh Srivastava Mukesh Poonia Sangeet...
सफर की धूप में Nandani patel Andy Mann Rakesh Srivastava Mukesh Poonia Sangeet... #Life
read moreParasram Arora
White जीवन पथ पर मैंने ज़ब भी धूप से बचने के. लिये छाया को चुना..... जिंदगी को आलसी होने से न बचा सका लेकिन ज़ब भी मैंने धूप को चुना जिंदगी को पसीनो की सौगात मिली और मेरे होसलो मे गज़ब का इज़ाफ़ा हुआ ©Parasram Arora धूप छाया
धूप छाया #कविता
read moreArpit Mishra
चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार #Shayari
read moreNeel
White न सोंचो, न समझो, न देखो, न भालो, भरो धूप मुट्ठी में, ऊपर उछालो.... कहो सांझ से, तेरी चाहत में हूं मैं, चांदनी रात में, मुझको आकर सम्हालो। बादलों को बुलाकर के, कह दो कि बरसो, धरा से कहो, बूंदें खुद में समा लो.... थोड़ी बेफिकरी से जीकर तो देखो, भरी रेत दिल में जो, उसको निकालो।। 🍁🍁🍁 ©Neel #धूप 🍁