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seema patidar

उपहार एक अनमोल खुशी 😊

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BeHappy उपहार एक ऐसी अनमोल खुशी है 
जिसमे देने वाले और पाने वाले 
दोनो का मन आनंद से भर जाता है
खुद से लाई गई करोड़ो की चीज 
उतनी खुशी नही देती 
जितनी किसी अपने  से पाई गई 
किसी  वस्तु से मिल जाती है 
फिर चाहे वो वस्तु कितनी ही छोटी और सस्ती हो
हमारे लिए अनमोल होती है ।

©seema patidar  उपहार एक अनमोल खुशी 😊

Shivkumar barman

#भाईबहन का प्यार पवन , प्रेम भरा ये #संसार । ये नोंक झोंक के #रिश्ते नाते , होता है उनमे तकरार ।। भाई दूज का यह #त्यौहार ,आता है ये हर

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White 

भाई बहन का प्यार पवन , प्रेम भरा ये संसार ।
ये नोंक झोंक के रिश्ते नाते , होता है उनमे तकरार ।।

भाई दूज का यह त्यौहार ,आता है ये हर साल ।
देख देख कर भाई भावज, जाती बहन वो निहाल ।।

चंदन तिलक शीश पर शोभे, देती है वो ये आशीष ।
लेती बहन भाई से सदा ,देख खूब वो बख्शीस ।।

तरह तरह के मेवा, मिष्ठान्न सजा, देती है वो उपहार ।
उनकी लंबी आयु की कर कामना वो करती बहन दुलार ।।

एक ही डाली के दो पुष्प, इनसे खिले अनेक बहार ।
वो मात पिता के सदा लाडले , वो घर के ये श्रृंगार ।।

होनहार बच्चे है दोनों, ईश्वर का ये सौगात ।
भाई बहनों का ये रिश्ता, किस्मत की है ये बात ।।

लो चली पराई आँगन बहना, भाई हुआ बहुत उदास ।
आते ही बहना को घर में, छाए है सब उल्लास ।।

पावन बंधन है दोनों का ,रहे सदा ही एक साथ ।
एक दूसरे के मुश्किल में, थामे रहते दोनों हाथ ।।

©Shivkumar barman #भाईबहन  का प्यार पवन , प्रेम भरा ये #संसार  ।
ये नोंक झोंक के #रिश्ते  नाते , होता है उनमे तकरार ।।

भाई दूज का यह #त्यौहार  ,आता है ये हर

IG @kavi_neetesh

*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी

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IG @kavi_neetesh

इस बार दीवाली कुछ ऐसे मनायें ------------------------------------ इस बार दीवाली कुछ ऐसे मनाये, राष्ट्र की समस्याओ को मिटा , नये युग का

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MiMi Flix

"टिम्मी कछुआ और बोलने वाला कंकड़" - एक आकर्षक यात्रा पर निकलें, एक हरित जंगल में जहां एक युवा कछुआ नामक टिमी अपने अद्भुत राज को खोजता है। अप

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

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दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून

Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

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Harshvardhan असरार जौनपुरी

#poetryunplugged जैसी हो वैसे ही पसंद किया है तुम्हें कोई बदलाव नहीं चाहिए अब तुममे और बात-बात पर तुम्हारा खफा होना तुम्हें मनाते रहना अच्

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।

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White विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।।
बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे ।
आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।।

करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार।
सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।।
झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने ।
और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।।
दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता ।
क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।।

यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात ।
अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।।
बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके ।
दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।।
यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा ।
एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।।

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।

Ravendra

सशस्त्र सीमा बल, बहराइच में ब्रह्मा कुमारी समाज, द्वारा किया गया रक्षाबंधन 42वी वाहिनी के प्रांगण में रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया जिसम

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