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Dharmendra Gopatwar
White 📕_गर वक्त हो ! ..✍️। ✍️_ ध। वि। ग़ोपतवार।🔖 _गर वक्त हो ..! 2x तो दो पल साथ चलकर तो देख .. मेरे दिल की गहराइयों में शतरंज का खेल तो देख | . . मेरी खामोशी के मंज़र में गुमनाम हू मैं . , तु मुझे दिल के किरदार से ढूंढ़ कर तो देख। . . गर वक्त हो . . ! २x। ज़बान ए खामोशी , पढ़ कर तो देख । . . गगन में उड़ती पंछियां वनों की हरियाली समंदर की खामोशी जरा पढ़कर तो देख । . . शहर की इस भीड़ से दूर कई किसी गांव की मिट्ठी की महक सूंघ कर तो देख । . . बहुत मिला लिए हो हाथ परायों से , . . 2x गर वक्त हो ! तुम अपनों से गले लगकर तो देख । . नफ़रत भरे इस बाज़ार में कुछ फूल प्यार के बेच कर तो देख । . . महलों की ठंडक से बाहर कही किसी ग़रीब की कुटिया में कुछ वक्त गुजारकर तो देख । . . गुमराहों की इस भीड़ में किसी का हमदर्द , तू बनकर तो देख । . . गर वक्त हो . . ! आकलन कर लेना . . 2x तुम खुद को पाओगे जंजीरों से जखड़कर उसे तोड़ चैन की सांस तू लेकर तो देख . . । पहचान अपनी हस्ती की. . , तुम खुद जान जाओगे ।. .2x तु ख़ुदको ढूंढ़ कर तो देख . . गर वक्त हो . . ! दिल के द्वार किसी अजनबी के लिए खोल कर तो देख । 2x ए दोस्त ! मुझसे गले मिल कर तो देख . . गर वक्त हो . . ! ©Dharmendra Gopatwar गर वक्त हो..!✍️ हिंदी कविता
गर वक्त हो..!✍️ हिंदी कविता
read moreAnil Sapkal
थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal #foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी
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