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नवनीत ठाकुर
जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता
#प्रकृति का विलाप कविता
read moreIG @kavi_neetesh
White “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्हें है पथ तुम्हें दुर्गम मिलेंगे मन तुम्हारा वह छलेंगे हारकर रुकना नहीं है टूटकर झुकना नहीं है जय विजय का प्रण लिए निर्भीक पग चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। दिव्यता का दीप तुम हो सजग प्रहरी वीर तुम हो चिर निरंतर जल रहा जो धर हृदय वह धीर तुम हो सृष्टि के कल्याण परहित कठिन पथ चलना तुम्हें है तुम जलो, जलना तुम्हें है।। रोशनी के तुम शिखर हो तिमिर के शत्रु प्रखर हो हो रहा जो रण अटल उस सभ्यता का दीप तुम हो घोर गहवर इन तमों से लड़ना सदा डटकर तुम्हें है तुम जलो , जलना तुम्हें है ।। ©IG @kavi_neetesh #GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
#GoodMorning प्रेम कविता देशभक्ति कविताएँ कविताएं कविता कोश हिंदी कविता “ निशीथ का दिया “ तुम जलो , जलना तुम्हें है तुम चलो , चलना तुम्ह
read moreबेजुबान शायर shivkumar
चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है असल ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है अनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भी अब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही है पहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ आजकल मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है दूरी बढ़ती जा रही मंज़िल से मेरी चलते चलते भी थकावट सी हो रही है शब्द कम पड़ रहे मेरी बातों में भी ख़ामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है और मशवरे की आदत न रही लोगो को अब गुज़ारिश भी शिकायत सी हो रही है. ©बेजुबान शायर shivkumar #चेहरे की #हसी दिखावट सी हो रही है असल #ज़िन्दगी भी बनावत सी हो रही है ll अनबन बढ़ती जा रही #रिश्तों में भी अब अपनों से भी #बग़ावत स
Sunil Kumar
White मुश्किल घड़ियां सभी के जीवन में किसी न किसी रूप में मौज़ूद रहती हैं। कहते हैं बुरे हालात में अपना साया भी साथ छोड़ देता है लेकिन ऐसे ही वक़्त में इंसान के हौंसले और आत्मविश्वास की परीक्षा भी होती है। शेरो-शायरी और कविताओं में इतनी ताक़त तो होती है कि हर आदमी अपनी मुश्किलों में कुछ प्रेरणादायक पंच, कविता, शायरी की खोज करता है। पेश है प्रेरणा देने वाले शेर... बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो ©Sunil Kumar होसलो से सब मुशकिले दूर हो जाती है प्रेरणादायी कविता हिंदी
होसलो से सब मुशकिले दूर हो जाती है प्रेरणादायी कविता हिंदी
read moreAnil Sapkal
थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal #foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी
#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी
read moreANATH SHAYAR
भरोसा का अर्थ है मां #follow #motivationकीआग #Motivational #Youtubeshorts #Youtube #youtubeShort
read moreSatish Kumar Meena
White पर्वत के समान बनना कोई आसान काम नहीं है उसके लिए सभी तरह के थपेड़ों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है तब जाकर इंसान पर्वत के समान कठोर बनता है। ©Satish Kumar Meena पर्वत के समान
पर्वत के समान
read moreबादल सिंह 'कलमगार'
हिंदी का अर्थ हो तुम... #badalsinghkalamgar Poetry #Hindi प्रेम कविता Arshad Siddiqui Neel Ritu Tyagi Beena Kumari Shiv Naraya
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