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Stories related to हर्ष लिंबाचिया

harshit tyagi

हमारे भारत देश की यही खूबसूरत बात है कि हम सभी मिलकर सारे त्योहार बड़े हर्ष के साथ मनाते हैं ।

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छठ पूजा की हर तैयारी में बसते हैं 
आस्था और भक्ति के रंग 
जय हो छठ मैया 
🙏

©harshit tyagi हमारे भारत देश की यही खूबसूरत बात है कि हम सभी मिलकर सारे त्योहार बड़े हर्ष के साथ मनाते हैं ।

cldeewana

#love_shayari हर्ष बैंक की कविता

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Rimpi chaube

#विजयादशमी 🏹❤️ ये हुआ वो हुआ ये होगा वो होगा सबको किनारे लगाते है। जो होगा देखा जाएगा अभी से क्यूं चिंता गले लगाते है। चलो कुछ पल को ये सब भ

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ये हुआ वो हुआ ये होगा वो होगा सबको किनारे लगाते है।
जो होगा देखा जाएगा अभी से क्यूं चिंता गले लगाते है।
चलो कुछ पल को ये सब भूल जाते है।
आओ,हर्ष उल्लास से विजयादशमी मनाते है।।

©Rimpi chaube #विजयादशमी 🏹❤️
ये हुआ वो हुआ ये होगा वो होगा सबको किनारे लगाते है।
जो होगा देखा जाएगा अभी से क्यूं चिंता गले लगाते है।
चलो कुछ पल को ये सब भ

संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

तरु व क्रिशु पक्षतः सर्वदेशवासिनाम् अनन्त चतुर्थी हेतु शुभकामना विश्व को शुभकामनाएं! ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ समस्त देशवासियों को तरु

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।

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White विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।।
बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे ।
आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।।

करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार।
सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।।
झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने ।
और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।।
दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता ।
क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।।

यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात ।
अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।।
बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके ।
दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।।
यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा ।
एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।।

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा   कुण्डलिया :-

तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
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