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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक राधा नाम जप श्रीराधाराधा प्रत्येकं कणेषु वर्तते। लहर लहर श्री राधा राधा लह
read moreAnuradha T Gautam 6280
#स्त्री_का_दर्द_सिर्फ_स्त्री_ही अच्छे से समझ सकती है और बिन बोले बेटी का दर्द सिर्फ #एक_माँ_ही समझती है..🖊️ राखी_पांडे_धन्यवाद_आपका💐
read moreMukesh Poonia
बच्चे ज्यादा परेशान कर रहे हो तो उन्हें पढ़ने के लिए बोले, यह तरीका सबसे आसान है उनको सुलाने का... ©Mukesh Poonia #बच्चे ज्यादा #परेशान कर रहे हो तो उन्हें #पढ़ने के लिए बोले, यह #तरीका सबसे २आसान है उनको #सुलाने का... आज का विचार अच्छे विचार फोटो सुविच
Mr.Ravi Rajdev
📱 फोन का उचलत नाय सांग की रे माझ्या राजा👑🫶💞🤟 #Nojotoviralvideo #viral #MarathiKavita #reelsinstagram #trendingreels मराठी शायरी मरा
read moreGhumnam Gautam
White कोयल के संग काग रहा हूँ, अच्छा लगता है फिर रातें मैं जाग रहा हूँ, अच्छा लगता है सबको किसी न किसी के रंग में रंगना है, रंग जाना है मैं भी कुछ दिन फाग रहा हूँ, अच्छा लगता है ©Ghumnam Gautam #Sad_Status #ghumnamgautam #कोयल
#Sad_Status #ghumnamgautam #कोयल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही दीन ईमान वो बेच खाते रहे जिनके आगे मेरी बोलती चुप रही बोलियां जो बहुत बोलते थे यहाँ उन पे कोयल की जादूगरी चुप रही वो जो मरकर जियें या वो जीकर मरें देखकर यह बुरी त्रासदी चुप रही ।। बाढ़ में ढ़ह गये गाँव घर और पुल । और टेबल पे फ़ाइल पड़ी चुप रही ।। देखकर ख़ार को हम भी खामोश थे । जो मिली थी प्रखर वो खुशी चुप रही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही
ग़ज़ल मौत थीं सामने ज़िन्दगी चुप रही दर्द के दौर मैं हर खुशी चुप रही जिसकी आँखों ने लूटा मेरे चैन को बंद आँखें वही मुखबिरी चुप रही
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।। ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा । वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के
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