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Stories related to राखी ऑनलाइन

Abasaheb Patil

*🌾☘️प्रधानमंत्री पीक विमा योजना रब्बी हंगाम 2024-25* 🌱🌿☘️🍀🎋🍃🍂🌾 *सर्व शेतकऱ्यांना कळविण्यात अत्यंत आनंद होतो की दरवर्षीप्रमाणे याही वर्षी प्र

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©Abasaheb Patil *🌾☘️प्रधानमंत्री पीक विमा योजना रब्बी हंगाम 2024-25*
🌱🌿☘️🍀🎋🍃🍂🌾
*सर्व शेतकऱ्यांना कळविण्यात अत्यंत आनंद होतो की दरवर्षीप्रमाणे याही वर्षी प्र

Abasaheb Patil

रब्बी हंगाम 2024-2025 पीकविमा भरण्यास सुरवात. आमच्याकडे खात्रीशीर ऑनलाइन फॉर्म भरून मिळेल. 7/12 ऑनलाइन सर्व्हिसेस, कुकटोळी आबासाहेब पाटील

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Abasaheb Patil

©Abasaheb Patil रब्बी हंगाम 2024-2025 पीकविमा भरण्यास सुरवात.
आमच्याकडे खात्रीशीर ऑनलाइन फॉर्म भरून मिळेल.
7/12 ऑनलाइन सर्व्हिसेस, कुकटोळी 
आबासाहेब पाटील

Satish Kumar Meena

@नादानी की राखी

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Dinesh Sharma Jind Haryana

#ऑनलाइन गर्लफ्रेंड

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White अगर मेरे दोस्त को अंग्रेजी आती तो 
आज उसकी एक ऑनलाइन गर्लफ्रेंड बन जाती
वो cute लिखती रही और मेरा दोस्त कुत्ते समझता रहा

©Dinesh Sharma Jind Haryana #ऑनलाइन गर्लफ्रेंड

KUNDAN KUMAR SINGH

चार बेस्ट तरीके जिससे आप घर बैठे ऑनलाइन कमाई कर सकते हैं। #Educational #training #information मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष
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