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Urmeela Raikwar (parihar)
White आसमान मैं तेरे नाम का भी एक तारा है wrote by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar) #good_night तेरे नाम का
#good_night तेरे नाम का
read moreअनिल कसेर "उजाला"
दिल को दीपक हमनें बनाया है, तब जा के नाम कुछ कमाया है। लोग कहने लगे हैं दीवाना मुझे, यार जब से तू दिल में समाया है। ©अनिल कसेर "उजाला" नाम
नाम
read moreMahesh Patel
White सहेली..... मिले जो जिंदगी हमें दोबारा.. तुम्हारी हाथों की लकीरों में.. हमारा नाम होगा.. लाला.... ©Mahesh Patel सहेली.. हमारा नाम.. लाला..
सहेली.. हमारा नाम.. लाला..
read moreShiva Sarika
White राम का नाम लो है सुख इस नाम में ©Shiva Sarika # राम तेरा नाम
# राम तेरा नाम
read moremalay_28
White कहीं किसी रोज़ ये भी होता न तुम ही रहते न मैं ही होता फ़क़त हमारा हम ही रहता जुदा भी होते तो ग़म न होता. ©malay_28 #हमारा हम
#हमारा हम
read moreAnjali Singhal
"ख़्यालों के जज़ीरे पे बैठे हैं हम दिल थाम के, कि कब उनका दिल धड़के और वो हमारा नाम लें!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
read moreAlok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
White कहते हैं सावरे मुझको यूं ही सभी, बिन तेरे साथ के मैं तो कुछ भी नहीं, जिन्दगी ये मेरी किसी काम की नहीं, राधा नाम की नहीं तो किसी नाम की नहीं- 2 राधा नाम की नहीं तो किसी नाम...!
राधा नाम की नहीं तो किसी नाम...!
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
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