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बाबा ब्राऊनबियर्ड
दीवारों में जब तक कान थे तब तक सब सही था । वो सुनती थी। जब से दरारे हुई है ... मसला भी तब से हुआ है। ✍️ ©बाबा ब्राऊनबियर्ड खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है।
खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है। #Life
read moreInternet Jockey
White मेरी तलाश, मुझसे मिलने के बाद होती है ©Internet Jockey #Sad_Status मेरी तलाश, मुझसे मिलने के बाद होती है
#Sad_Status मेरी तलाश, मुझसे मिलने के बाद होती है
read moreseema patidar
White मेरे जाने के बाद ............ बोलती और सोचती बहुत ज्यादा थी पर बातो में गहराई थी उसके जिद्दी तो बहुत ज्यादा थी पर दिल की साफ थी किसी रिश्ते के लिए इतनी खास तो नही थी पर रिश्ते निभाना बखूबी से जानती थी उसकी उदासी तो नही देख पाया कोई पर दूसरो को उदास देख परेशान हो जाती थी मासूमियत और सादगी भरा जीवन था उसका पर समझदार उससे ज्यादा थी उसके लिए तोहफे तो दूर खास दिन भी नहीं याद रखे गए पर सबके लिए उपहारों और खास दिन को हमेशा याद रखती थी perfect तो नही समझा गया उसे कभी पर parfect बनकर चली जरूर गई सबके जैसी थी पर सबसे न्यारी थी सच में वह स्त्री बहुत प्यारी थी। ©seema patidar मेरे जाने के बाद......
मेरे जाने के बाद...... #Life
read moreranjit Kumar rathour
आज़ से पचीस साल पूर्व ढेर सारी नसीहतो के साथ पापा ने मुझे पटना तब भेजा था ज़ब गांव का सामान्य आदमी शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था और भाई भागलपुर स्टेशन तक हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने बोला नहीं था कुछ लेकिन नजरो से एक वादा ले लिया था जाओ आप पापा के सपने बनाना मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना तब हम नहीं समझ पाए थे लगा ये शैतानी कर रहा है अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है आज ज़ब समझा तो लगा की हम बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे और उम्मीदों को बोझ बेटों पर उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए एक तपस्या के लिए घर से दूर हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour पचीस साल बाद
पचीस साल बाद #मोटिवेशनल
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