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theABHAYSINGH_BIPIN
White उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग करते हैं बातें हज़ार, बस अपने सफर का इरादा कर। मुश्किलें बहुत हैं, पर हार न मान, मायूसियों को हंसकर दूर किया कर। थाम ले एक बार फिर से हाथ, यूँ बार-बार ना हाथ छुड़ाया कर। उकेर दे आसमान में अपनी तस्वीर, अपने महबूब पर ऐतबार किया कर। होने दे चर्चे अपने इश्क़ के यार, ऐसी बातों से तू ना घबराया कर। नकार दे दुनियादारी की बातों को, इश्क़ की धुन यूँ ही गुनगुनाया कर। ©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग कर
#love_shayari उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग कर
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था, तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश मे जाके कपड़े सुखाना ही नहीं था//२ किसी कमजर्फ से लगा अपने दिल को,फिर ये सिलसिला तुझे आगे बढ़ाना ही नहीं था//३ जब बढ़ चुके,इश्क़ मे,इश्क़ की हद से आगे,तो फिर तुझे सनम को चश्म से गिराना ही नहीं था//४ अब होके तुझपे निसार,थाम चुके तेरा दामन, के"शमा"का तो बातिल से फ़साना ही नहीं था//५ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
#lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
read moreShivkumar barman
ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम
बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम
read morepramod malakar
@ हाथों में तलवार थाम लो @ चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । तुम्हारा सनातन ख़तरे में है , यही सच है तुम मान लो । कांग्रेस,सपा,राजद और , झामूमो का साथ छोड़ दो। जो धर्म विरोधी है देश विरोधी, उसका राह मोड़ दो। दुनिया से हिन्दू खत्म, पाकिस्तान में हिन्दू खत्म , बंगलादेश में खून बह रहा है। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो । कल औरंगजेब बाबर ने मंदिर तोड़ा, आज पाकिस्तान बंगलादेश में टूट रहा है। नहीं जागे तो तुम्हारा खत्म होना तय है, हो रहा भारत इस्लाम मय है । वक्त कम है खून गर्म करो , दिल कठोर करो नहीं नर्म करो। चलो जागो उठो निकलो , हाथों में तलवार थाम लो ।। #################### प्रमोद मालाकार ... 26.11.24 ©pramod malakar #हाथों में तलवार थाम लो ।
हाथों में तलवार थाम लो ।
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